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    G-20 समिट पर यूक्रेन विवाद का असर पड़ने की आशंका, सोमवार से शुरू होगी सस्टेनेबल फाइनेंस वर्किंग ग्रुप की बैठक

    By Jagran NewsEdited By: Amit Singh
    Updated: Sun, 18 Jun 2023 11:29 PM (IST)

    पिछले दिनों में जी-20 देशों के समाजिक व आर्थिक विकास मंत्रियों की बैठक में अमेरिका ब्रिटेन व कुछ दूसरे देशों ने जिस तरह से यूक्रेन के मुद्दे पर मध्यस्थता करने की भारतीय कोशिशों को दरकिनार किया है उससे भारतीय खेमे में चिंता बढ़ गई है।

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    महाबलिपुरम में होगी सस्टेनेबल फाइनेंस वर्किंग ग्रुप की बैठक

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: सोमवार (19 जून) से महाबलिपुरम (तमिलनाडु) में भारत की अगुवाई में जी-20 देशों की सस्टेनेबल फाइनेंस वर्किंग ग्रुप की दो दिवसीय बैठक शुरू होने जा रही है और बैठक की तैयारियों में जुटे वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को इस बात का डर है कि यहां भी यूक्रेन का मुद्दा कुछ देश उठाएंगे। दरअसल, पिछले दिनों में जी-20 देशों के समाजिक व आर्थिक विकास मंत्रियों की बैठक में अमेरिका, ब्रिटेन व कुछ दूसरे देशों ने जिस तरह से यूक्रेन के मुद्दे पर मध्यस्थता करने की भारतीय कोशिशों को दरकिनार किया है उससे भारतीय खेमे में चिंता बढ़ गई है।

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    जी-20 पर यूक्रेन युद्ध का साया

    चिंता इस बात की है कि अगर यूक्रेन का मुद्दा हर बैठक में यूं ही हावी होता रहा तो सितंबर, 2023 में होने वाली शिखर सम्मेलन के बाद संयुक्त घोषणा जारी करने की कोशिशों पर पानी फिर सकता है। अभी तक जी-20 की तीन अहम मंत्रिस्तरीय बैठकें यूक्रेन विवाद के भेंट चढ़ चुकी हैं। दैनिक जागरण ने जी-20 की बैठक से जुड़े दो वरिष्ठ भारतीय अधिकारियों से बात की। उन दोनों ने इस बात की आशंका से इनकार नहीं किया कि जिस तरह से विदेश मंत्रियों व विकास से जुड़े मंत्रियो की बैठक में सहमति नहीं बनी वैसे ही शिखर सम्मेलन में ही संयुक्त घोषणा पत्र प्रपत्र जारी को सहमति नहीं बने।

    वार्ता का दौर जारी

    एक अधिकारी के मुताबिक, कई स्तरों पर सभी सदस्य देशों के साथ बातचीत चल रही है। गंभीर प्रयास है कि सभी मुद्दों पर सहमति बने। बनेगा या नहीं यह पता नहीं है। लेकिन हम अपनी कोशिशों में कोई कसर नहीं छोड़ रहे।" ऐसे में जी-20 देशों की आगामी शेरपा बैठक को अब सबसे अहम माना जा रहा है। यह बैठक अगले महीने हम्पी में होने जा रही है। इसकी तैयारियों से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि इसमें बहुदेशीय संगठनों में सुधार, विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त फंड की व्यवस्था करने, खाद्य व उर्वरक सप्लाई चेन का मुद्दा तो प्रमुख है लेकिन किस तरह से शिखर सम्मेलन का आयोजन शांतिपूर्ण तरीके से निपटाया जाए और सहमति से साझा प्रपत्र जारी किया जाए, यह विषय भी अब काफी महत्वपूर्ण हो गया है।

    प्रपत्र में यूक्रेन विवाद का जिक्र

    पिछले दिनों में वाराणसी में जी-20 देशों के विकास मंत्रियों की बैठक के बाद कोई साझा घोषणा पत्र जारी नहीं किया गया था। संयुक्त घोषणा पत्र की जगह जो प्रपत्र जारी किया गया उसे "आटकम डॉक्यूमेंट (परिणाम प्रपत्र) एंड चेयर्स समरी (अध्यक्ष देश का सार)" कहा गया। इसमें यूक्रेन विवाद का अच्छा-खासा जिक्र था और इसके लिए परोक्ष तौर पर रूस को जिम्मेदार भी ठहराया गया था। रूस ने इससे अपने आपको अलग कर लिया था जबकि चीन की तरफ से इसमें जोड़ा गया था कि इसमें यूक्रेन का जिक्र नहीं होना चाहिए था। यह बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर की अध्यक्षता में हुई थी। इसके पहले जी-20 के वित्त मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बैठक में भी यूक्रेन विवाद का जिक्र होने की वजह से ही संयुक्त घोषणा पत्र जारी नहीं किया जा सका था।

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