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    रूस-यूक्रेन के बीच भड़के युद्ध का G-20 पर ग्रहण, किसी भी मंत्रिस्तरीय बैठक में नहीं बनी घोषणापत्र पर सहमति

    By Jagran NewsEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sat, 05 Aug 2023 10:55 PM (IST)

    यूक्रेन और रूस के बीच तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। इससे जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद साझा घोषणापत्र जारी करने की संभावनाएं और धूमिल होती जा रही हैं। भारत लगातार सभी सदस्य देशों के साथ संपर्क बनाये हुए है कि घोषणापत्र के स्वरूप और इसकी भाषा को लेकर एक सहमति बन जाएलेकिन बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत की कोशिशों का बहुत नतीजा निकलता नहीं दिख रहा।

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    रूस-यूक्रेन के बीच भड़के युद्ध का G-20 पर ग्रहण। फाइल फोटो।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूक्रेन और रूस के बीच तनाव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। ताजा घटनाक्रम में यूक्रेन के राकेट हमले में जिस तरह से रूस के नौ सैनिक अड्डे को क्षति पहुंचने की बात सामने आई है, उससे माना जा रहा है कि रूस की तरफ से भी बड़ी जवाबी कार्रवाई होगी। इन घटनाक्रमों से जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद साझा घोषणापत्र जारी करने की संभावनाएं और धूमिल होती जा रही हैं।

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    सभी देशों से संपर्क बनाये हुए हैं भारत

    वैसे भारत लगातार सभी सदस्य देशों के साथ संपर्क बनाये हुए है कि घोषणापत्र के स्वरूप और इसकी भाषा को लेकर एक सहमति बन जाए, लेकिन बढ़ते तनाव को देखते हुए भारत की कोशिशों का बहुत नतीजा निकलता नहीं दिख रहा। अमेरिका की अगुवाई वाले सबसे अमीर सात देशों का संगठन जी-7 भी लचीला रुख अपनाने के मूड में नहीं है।

    जी-7 के कुछ सदस्य देशों ने दिया संकेत

    कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि हाल के हफ्तों में जी-7 के कुछ सदस्य देशों ने भारत को यह संकेत दिया है कि उनके लिए यूक्रेन विवाद को लेकर नरम रवैया अख्तियार करना संभव नहीं है। पिछले दिनों जापान के विदेश मंत्री योशीमासा हायासी के साथ भारत के दौरे पर आये एक वरिष्ठ अधिकारी ने यहां तक कहा कि जी-20 का अध्यक्ष भारत है और किसी भी मुद्दे पर आम सहमति बनाने का मुख्य दायित्व अध्यक्ष का ही होता है।

    अभी जी-7 का अध्यक्ष है जापान

    जापान अभी जी-7 का अध्यक्ष है और भारत के साथ उसके रिश्ते बहुत ही मजबूत हैं। जापान आधिकारिक तौर पर भारत को सफलतापूर्वक जी-20 की बैठक का आयोजन करने में मदद देने की बात करता रहा है, लेकिन साझा बयान में सहमति बनाने में वह भी कोई वादा नहीं कर रहा। भारत दूसरे जी-7 देशों के साथ भी संपर्क में है।

    मंत्रीस्तरीय स्तर पर हो रही है बातचीत

    दैनिक जागरण ने हाल के दिनों में जी-20 की तैयारियों में जुटे कई उच्चपदस्थ अधिकारियों से बात की है। एक अधिकारी ने बताया कि भारत अभी सभी पक्षों के साथ बात कर रहा है। यह बातचीत मंत्रीस्तरीय होने के साथ ही शेरपा स्तर पर भी हो रही है। असलियत में भारत सरकार एक टीम के तौर पर अलग-अलग देशों के साथ संपर्क में है ताकि सितंबर, 2023 की शिखर सम्मेलन को साझा घोषणापत्र की भाषा व तथ्य को लेकर सहमति बन सके।

    भारत कर रहा कई प्रयास

    एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि बतौर अध्यक्ष हमारी कोशिश में कोई कमी नहीं है। यह बात जी-20 के एजेंडे से भी पता चलती है। पहली बार डिजिटल इकोनमी, प्रदूषण करने वाले ऊर्जा स्त्रोतों की जगह पर कम प्रदूषण करने वाले ऊर्जा स्त्रोतों के इस्तेमाल जैसे मुद्दे अब केंद्र में आ गये हैं। विकासशील देशों के हितों को जिस तरह से जी-20 में शामिल किया जा रहा है, वह अपने आप में अनूठा है। इसके बावजूद जी-20 की पूरी व्यवस्था ऐसी है कि हम दूसरे देशों को साझा घोषणापत्र के लिए बाध्य नहीं कर सकते।

    भारत की कोशिशों के बावजूद पूरा जी-20 तीन खेमे में बंटा

    आगामी नौ से 10 सितंबर को नई दिल्ली में जी-20 का शिखर सम्मेलन होने वाला है। भारत की कोशिशों के बावजूद जमीनी हकीकत यह दिखाई दे रही है कि पूरा जी-20 अभी तीन खेमे में बंटा है। एक तरफ जी-7 देश हैं और इसके कुछ दूसरे समर्थक देश भी हैं। जबकि दूसरी तरफ रूस व चीन हैं। तीसरे समूह में सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, इंडोनेशिया, ब्राजील जैसे देश हैं जो साझा घोषणापत्र को लेकर भारत के समर्थन में हैं।

    वजह यह है कि 2024 में जी-20 की अध्यक्षता ब्राजील व इसके बाद दक्षिण अफ्रीका करेगा। ये दोनों भी भारत की तरह ही विकासशील देश हैं जो जी-20 को सफल होते देखा चाहते हैं। ऐसे में अगले एक महीने भारत को इन तीनों खेमों के बीच सामंजस्य बनाने का काम करना है।