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    G-20: तीन अरब लोगों को वित्तीय ढांचे में लाने का मंत्र है भारत का डिजिटल मॉडल

    By Jagran NewsEdited By: Amit Singh
    Updated: Fri, 08 Sep 2023 10:36 PM (IST)

    भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर और इसकी बदौलत किए गए वित्तीय समावेशन यानी फाइनेंशियल इन्क्लूजन की मुरीद हो चुकी है और सब चाहते हैं कि भारत इस काम में दुनिया की मदद करें। तभी जी-20 समूह का इस वर्ष अध्यक्ष होने के नाते भारत जी-20 देशों के साथ पूरी दुनिया खासकर गरीब और विकासशील देशों में वित्तीय समावेशन के लिए अपना डीपीआइ माडल तैयार करने में मदद देना चाहता है।

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    दुनिया के 20 प्रमुख देशों के शीर्ष नेता शनिवार को वैश्विक विकास का रोडमैप तैयार करेंगे।

    राजीव कुमार, नई दिल्ली: दुनिया के कारोबार में 75 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी रखने वाले दुनिया के 20 प्रमुख देशों के शीर्ष नेता जब शनिवार को मिलकर वैश्विक विकास का रोडमैप तैयार करने बैठेंगे तो सबसे पहली चर्चा भारत के वित्तीय समावेशन के डिजिटल मॉडल की होगी। बहुत संभव है कि इस माडल को पूरी दुनिया खासकर विकासशील व गरीब देशों के लिए अपनाने पर सहमति बन जाए। इसकी मदद से बैंक खाते से वंचित दुनिया के तीन अरब लोगों के खाते खोलना आसान हो जाएगा।

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    वहीं, दुनिया के उन चार अरब लोगों को डिजिटल पहचान भी मिल जाएगी जो अभी तक इससे वंचित रहे हैं। इस साल फरवरी में जी-20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों की बैठक में ही यह तय हो गया था कि पूरी दुनिया भारत के डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (डीपीआइ) और इसकी बदौलत किए गए वित्तीय समावेशन यानी फाइनेंशियल इन्क्लूजन की मुरीद हो चुकी है और सब चाहते हैं कि भारत इस काम में दुनिया की मदद करें। तभी जी-20 समूह का इस वर्ष अध्यक्ष होने के नाते भारत जी-20 देशों के साथ पूरी दुनिया खासकर गरीब और विकासशील देशों में वित्तीय समावेशन के लिए अपना डीपीआइ माडल तैयार करने में मदद देना चाहता है।

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    अफ्रीका व लैटिन अमेरिका के कई देश तो भारत से इस दिशा में समझौता भी कर चुके हैं या करने वाले हैं। सूरीनाम, मारीशस, मिस्त्र, आर्मेनिया समेत आठ देश भारत से समझौता कर चुके हैं। भारत गरीब और विकासशील देशों में वित्तीय समावेश के लिए डीपीआइ के विकास में मुफ्त में पूरा सहयोग देने के लिए तैयार है। शीर्ष नेताओं की बैठक से एक दिन पहले शुक्रवार को जी-20 के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि डीपीआइ से वित्तीय समावेशन के बारे में अभी तक कम लोग जानते थे।

    भारत ने अपने इस अनोखे माडल से दुनिया को परिचित करवाया, जिसे अब सभी स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अभी दुनिया में तीन अरब लोगों के पास बैंक खाते नहीं हैं, तो चार अरब के पास अपनी डिजिटल पहचान नहीं है। इसलिए भारत के डीपीआइ माडल की जरूरत सभी गरीब और विकासशील देशों को है।