ईरान-इराक से लेकर सीरिया तक में चल रहा है खूनी संघर्ष
बड़ा सवाल यह है कि कुछ देशों में ये आपस में क्यों लड़ रहे हैं? खाड़ी में सऊदी अरब बनाम ईरान के बीच संघर्ष है। वहीं पड़ोसी देश चीन की सरकार अपने देश में मुसलमानों पर कठोर कार्रवाई कर रही है।
नई दिल्ली [विवेक शुक्ला]। इन दिनों श्रीलंका में शांति प्रिय बौद्ध मुसलमानों के पीछे पड़े हुए हैं। गत दिनों श्रीलंका के कैंडी जिले में इस हिंसा की शुरुआत हुई। मुसलमानों पर आरोप लग रहे हैं कि वे सीधे-सरल बौद्ध धर्मावलंबियों को मुसलमान बनाने की मुहिम चला रहे हैं। इससे पहले भारत के एक अन्य पड़ोसी देश म्यांमार में भी बौद्धों ने रो¨हग्या मुसलमानों को भगाना चालू कर दिया था। रोहिंग्या मुसलमानों पर आतंकवाद में सीधे तौर पर शामिल होने के आरोप हैं। कहा जा रहा है कि ये रोहिंग्या बौद्ध बच्चियों से दुष्कर्म के बाद उनकी वीभत्स हत्या करने से भी गुरेज नहीं करते। म्यांमार में बौद्ध भिक्षु विराथु वैसे तो शांति के उपासक रहे हैं, मगर उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के सामूहिक अत्याचार के खिलाफ म्यांमार में आंतरिक युद्ध छेड़ दिया है।
कुछ देशों में आपसी संघर्ष
दरअसल बड़ा सवाल यह है कि कुछ देशों में ये आपस में क्यों लड़ रहे हैं? खाड़ी में सऊदी अरब बनाम ईरान के बीच संघर्ष है। वहीं पड़ोसी देश चीन की सरकार अपने देश में मुसलमानों पर कठोर कार्रवाई कर रही है। चीन में रह रहे मुस्लिम लोगों को रमजान के महीने में रोजा रखने तक की इजाजत नहीं दी गई थी। चीनी सरकार की तरफ से रमजान में रोजा रखने पर बैन लगा दिया गया था। इसके साथ ही रमजान के पूरे महीने में खाने-पीने की दुकानों को भी बंद नहीं रखने का फरमान सुनाया गया था। प्रश्न है कि जब चीन में मुसलमानों के नागरिक अधिकार छीने जाते हैं, तब भी इस्लामिक देश चुप्पी क्यों साधे रहते हैं। आबादी के लिहाज से इंडोनेशिया, भारत और बांग्लादेश वास्तव में बड़े देश हैं। इन्हें छोड़ कई देशों में धार्मिक संघर्ष चरम पर है।
सीरिया में बुरा हाल
अब सीरिया की बात करें। वहां पर मासूम लोग गाजर-मूली की तरह काटे जा रहे हैं। हथियारबंद चरमपंथी मुसलमानों को ही मार रहे हैं। राष्ट्रपति बसर अल असद के खिलाफ विरोध शुरू होने के बाद से वहां हजारों लोग मार दिए गए है। इसके अतिरिक्त दुनिया में इस्लामी आतंकवाद एक बड़ा खतरा बना हुआ है। आइएस के बाद नाइजीरिया में कट्टरपंथी संगठन बोको हराम के आतंक से सारी दुनिया सहमी हुई है। बोको हराम नाइजीरिया को इस्लामिक देश में तब्दील करना चाहता है। नाइजीरिया में मुस्लिम राष्ट्रपति होने के बावजूद बोको हराम संतुष्ट नहीं है। अब बात करते हैं पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या की। वहां कुछ समय पहले इस्लामिक चरमपंथियों ने दिल-दहलाने वाला खून-खराबा किया था। उनके हमले में वहां बसे कुछ भारतवंशी भी मारे गए थे। वहां हजारों भारतवंशी रहते हैं।
पूर्वी अफ्रीका में सर्वाधिक भारतीय
पूर्वी अफ्रीका में सर्वाधिक भारतीय केन्या में ही रहते हैं। ये ज्यादातर गुजरात या पंजाब से संबंध रखते हैं। ये 100 सालों से भी अधिक समय से वहां बसे हुए हैं। केन्या में चरमपंथी चुन-चुनकर गैर-मुस्लिमों को मौत के घाट उतार रहे हैं। यदि बात पड़ोसी देश पाकिस्तान की करें तो वहां चरमपंथी कत्लेआम करते वक्त कुछ नहीं देखते। वे शिया, अहमदिया, ईसाइयों, हिंदुओं सबको मार रहे हैं। पर अफसोस कि पाकिस्तानी सरकार इन पर लगाम नहीं लगा रही है। सच तो यह है कि पाकिस्तान में सरकार ही चरमपंथियों को खाद-पानी देती है। चरमपंथी जब चाहते हैं, जिसको चाहते हैं, मार देते हैं। अलकायदा प्रमुख ओसमा बिल लादेन पाकिस्तान में ही मिला था।
ईरान-इराक युद्ध
कौन भूल सकता है ईरान-इराक युद्ध को। 22 सितंबर, 1980 को शुरू हुआ युद्ध आठ साल तक चला था। इराक ने ईरान पर हमले का कारण शत्त अल अरब नहर पर विवाद को बताया था। ईरान में हुई इस्लामी क्रांति के बाद वहां आयातुल्ला खुमैनी का कब्जा हो गया था। वे मानते थे कि सद्दाम हुसैन अपने देश के शिया मुसलमानों को मार रहे हैं। आयातुल्ला खुमैनी चाहते थे कि सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटा दिया जाए। इसलिए दोनों इस्लामिक देश आपस में भिड़ गए थे। इसमें लाखों लोग मारे गए थे। क्यों 50 से अधिक इस्लामी देश दुनिया में इस तरह के खून-खराबे को बंद नहीं करवा पा रहे हैं? उन्हें इस सवाल का जवाब ईमानदारी से खोजना होगा।
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