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को‍री बकवास है ईवीएम में छेड़छाड़ करने की बातें, कई स्तरों पर होती है चेकिंग

एक सवाल हमेशा से ही बरकरार रहा है कि आखिर ईवीएम कितनी सुरक्षित है और क्‍या इसमें धांधली की जा सकती है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 14 Mar 2018 01:10 PM (IST)Updated: Thu, 15 Mar 2018 09:49 AM (IST)
को‍री बकवास है ईवीएम में छेड़छाड़ करने की बातें, कई स्तरों पर होती है चेकिंग
को‍री बकवास है ईवीएम में छेड़छाड़ करने की बातें, कई स्तरों पर होती है चेकिंग

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। तीन लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव के बाद आज (बुधवार) को मतों की गिनती हो रही है। इस पर सभी की निगाहें लगी हुई है। हालांकि ऐसा शायद पहली बार हो रहा है कि उपचुनाव को लेकर इतनी तवज्‍जो दी जा रही है। बहरहाल, हम पहले बता दें कि उत्तर प्रदेश की गोरखपुर, फूलपुर और बिहार की अररिया समेत दो विधानसभा सीटों पर 11 मार्च को वोट डाले गए थे। यूपी की दो लोकसभा सीट भाजपा के लिए इस लिहाज से भी खास हैं क्‍योंकि इनमें से एक से यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ और दूसरी सीट से राज्‍य के उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या आते हैं।

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ईवीएम को लेकर हो चुका है काफी शोर

यहां पर चुनाव और मतगणना को हम इसलिए तवज्‍जो दे रहे हैं क्‍योंकि राज्‍यों में हुए विधानसभा चुनावों से पहले ईवीएम को लेकर काफी शोर सुनाई दिया था। विपक्षी पार्टियों का आरोप था कि इसमें धांधली कर भाजपा हर राज्‍य में अपनी सरकार बना रही है। इसको लेकर कुछ नेताओं और पार्टियों ने चुनाव आयोग तक पर अंगुली उठाई थी। आयोग ने पार्टियों को संतुष्‍ट करने को लेकर भी कुछ कदम उठाए थे। लेकिन फिर भी एक सवाल हमेशा से ही बरकरार रहा कि आखिर ईवीएम कितनी सुरक्षित है और क्‍या इसमें धांधली की जा सकती है।

कई देशों में हो चुका है ईवीएम का उपयोग

आपको बता दें कि ईवीएम का इस्‍तेमाल भारत में ही नहीं किया जा रहा है बल्कि कई देशों में इसका प्रयोग पहले हो चुका है। भारत से अलग देशों की बात करें तो वहां पर ईवीएम एक नेटवर्क से कनेक्‍टेड होती थी, लेकिन भारत में ऐसा नहीं है। इसके अलावा आपको बता दें कि ईवीएम में धांधली इसके हार्डवेयर में छेड़छाड़ करके या वाई फाई कनेक्‍शन से इसलिए भी नहीं हो सकती है क्‍योंकि न तो इसका कोई फ्रिक्‍वेंसी रिसीवर होता है और न ही इसमें वायरलैस डिकोडर होता है।

हार्डवेयर चेक

इसके अलावा ईवीएम की सिक्‍योरिटी के लिए इसमें लगी सीलिंग और हार्डवेयर चेक लगाया जाता है। एम 3 मशीन की यदि बात की जाए तो इसकी खासियत है कि यदि इसमें टेंपरिंग की कोशिश की भी गई तो यह अपने आप बंद हो जाएगी। भारत के अंदर होने वाले चुनाव के लिए ईवीएम का निर्माण दो कंपनियां करती हैं इनमें से एक है भारत इलेक्‍ट्रानिक लिमिटेड और दूसरी है इलेक्‍ट्रानिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड। इसके अंदर लगी चिप में मशीन का पूरा प्रोग्राम होता है जो मशीन कोड का काम करता है। इस चिप में मशीन की जांच को लेकर डिजिटल सिग्‍नेचर भी होता है। किसी खास मशीन को किसी खास मतगणना केंद्र पर भी नहीं भेजा जाता है। इन मशीन पर चुनाव में खड़े उम्‍मीद्वारों को अंग्रेजी की वर्णमाला के अनुसार नंबर और नाम दिया जाता है, जो ईवीएम मशीन पर दिखाई देता है।

शुरुआत में ही हो सकती है गड़बड़ी

कहा ये भी जाता रहा है कि ईवीएम को बनाने के दौरान ही उसमें ऐसा प्राग्राम फिट किया जा सकता है जिससे मतदाता किसी को भी वोट डालेगा लेकिन वह किसी अमुक पार्टी के ही खाते में जाएगा। लेकिन यह केवल एक कोरी अफवाह से ज्‍यादा कुछ नहीं है। क्‍योंकि इस बारे में कोई नहीं जानता है कि ईवीएम की मशीन कहां से आएंगी और कहां पर जाएंगी। इसके अलावा अब तो VVPAT मशीन ने अपने आप ही इन अफवाहों को खारिज करने का काम किया है, जहां पर वोटर को यह पता चल जाता है कि उसका वोट कहां और किसके खाते में गया है। लिहाजा ये एक और वेरिफिकेशन चेक इसमें लग गया है।

बैलेट पेपर से बेहद खास है ईवीएम

भारत की यदि बात की जाए तो यहां पर लगभग पूरे वर्ष ही कहीं न कहीं छोटे और बड़े चुनाव होते रहते हैं। वहीं बैलेट पेपर की तुलना में यदि ईवीएम को आंका जाए तो यह कई मायनों में बेहद खास हो जाती है। बैलेट पेपर के दौरान कई बार वोट इनवेलिड हो जाता था। इसकी कई वजह होती थीं। अक्‍सर बैलेट पर लगाया निशान यदि दो जगहों पर आ जाता था तब भी इसको इनवेलिड मान लिया जाता था। यह नतीजों को काफी प्रभावित करता था। लेकिन ईवीएम के आने के बाद ऐसा नहीं रहा है। ईवीएम ने चुनाव में होने वाली धांधली पर ब्रेक लगा दिया है। इसके अलावा यदि आपको याद हो तो बैलेट पेपर के वक्‍त कई बार दोबारा चुनाव करवाने की जरूरत पड़ जाती थी, लेकिन ईवीएम की बदौलत ऐसा न के ही बराबर होता है। इसके साथ ही ईवीएम का एक असर यह भी हुआ है कि वोटिंग फीसद भी बढ़ा है।

चुनाव से पहले कई टेस्‍ट से गुजरती है ईवीएम

आपको यहां पर बता दें कि ईवीएम को मतदान केंद्र तक पहुंचाने से पहले कई टेस्‍ट से गुजरना पड़ता है। इसमें सबसे पहले इसका फंग्‍शनल चेक किया जाता है। इस दौरान इसको पूरी तरह से साफ किया जाता है। इसके रिजल्‍ट को क्लियर किया जाता है। इसके अलावा इसमें लगे सभी बटनों, वायर आदि को भी चेक किया जाता है।

मशीन का ट्रायल रन

इसके बाद मशीन का ट्रायर रन किया जाता है। इसका अर्थ है कि एक मॉक ड्रिल के दौरान इसमें वोट डालकर देखे जाते हैं, बाद में इसके रिजल्‍ट को वेरिफाइ किया जाता है। इसके बाद बारी आती है इसके रेंडम चेक की। इसमें भी एक मॉक पोल किया जाता है। इसमें करीब हजार वोट तक डाले जाते हैं, फिर इनका रिजल्‍ट चेक किया जाता है। इसके बाद बारी आती है इनको मतदान केंद्र पर भेजने की। मतदान केंद्र से पहले यह एक विधानसभा क्षेत्र में बने केंद्र पर जाती हैं, जिसके बाद इन्‍हें विभिन्‍न केंद्रों पर भेजा जाता है। यहां पर सभी उम्‍मीद्वारों का इस पर नाम अंकित किया जाता और बैलेट यूनिट को बंद कर सील कर दिया जाता है।

कंट्रोल यूनिट से जुड़ी होती है ईवीएम

यह बैलेट यूनिट एक कंट्रोल यूनिट से जुड़ी होती है। कंट्रोल यूनिट से ओके होने के बाद ही कोई वोटर अपना वोट डाल पाता है। किसी चुनाव में इन यूनिट्स को भेजने से पहले इसको कई बार मॉक पोलिंग की टेस्टिंग से गुजरना पड़ता है। इस दौरान विभिन्‍न पार्टियों और उम्‍मीद्वारों के एजेंट वहां मौजूद होते हैं। इनके ही सामने इस मॉक पोलिंग का रिजल्‍ट भी घोषित किया जाता है। जब ईवीएम को मतदान केंद्र पर ले जाया जाता है तब भी इसकी विभिन्‍न तरीकों से जांच की जाती है।

फाइनल चेक

यह जांच पोलिंग एजेंट, ऑब्‍जरवर और सुरक्षाबलों द्वारा की जाती है। यह इस मशीन का फाइनल चेक भी होता है। जिस वक्‍त मतदान समाप्‍त होता है आखिरी वोट मशीन के द्वारा डाला जाता है तो कंट्रोल यूनिट से क्‍लोज का बटन दबाकर इस पर आने वाले नंबर को नोट कर लिया जाता है। इसके बाद इस मशीन को सील लगा दी जाती है। इसके बाद इन मशीनों को पूरी तरह से सुरक्षित जगह पर जिसे स्‍ट्रांग रूम कहा जाता है, रख दिया जाता है।

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