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सांसदों को दोगुने वेतन का प्रस्ताव

संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे के कारण कामकाज में ठंडा रहा था। प्रस्तावित 67 बिलों में से गिने-चुने (लोकसभा और राज्यसभा में 14 और 9) बिल ही पास हो सके।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Thu, 24 Dec 2015 07:16 PM (IST)Updated: Fri, 25 Dec 2015 05:59 AM (IST)
सांसदों को दोगुने वेतन का प्रस्ताव

नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र हंगामे के कारण कामकाज में ठंडा रहा था। प्रस्तावित 67 बिलों में से गिने-चुने (लोकसभा और राज्यसभा में 14 और 9) बिल ही पास हो सके। संसद के इस कथित अकाज से देश को इस सत्र के हरेक दिन 10.4 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। इसके बावजूद जल्द ही माननीय सांसदों के वेतन में दोगुनी बढ़ोतरी करने की तैयारी है। संसदीय मामलों के मंत्रालय ने इसका प्रस्ताव किया है।

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सरकार को लगता है कि सांसदों को इस वेतन वृद्धि का पूरा हक है। सूत्रों का कहना है कि संसद के आगामी बजट सत्र में सांसदों के वेतन में यह बढ़ोतरी हो सकती है। संसदीय मामलों के मंत्रालय ने सांसदों का मासिक वेतन दोगुना यानी 50 हजार रुपये से सीधे एक लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है। इसके अलावा, उनके दफ्तर और संसदीय क्षेत्र के भत्ते भी 45 हजार रुपये से बढ़कर ठीक दोगुने 90 हजार रुपये करने की सिफारिश की है। अगर वित्त मंत्रालय ने इन प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया तो लोकसभा और राज्यसभा दोनों के ही सांसदों का प्रति माह वेतन 2.8 लाख रुपये हो जाएगा।

सचिवों से ज्यादा होगा सांसदों का वेतन

अगले वित्तीय वर्ष में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने की अटकलों के बीच संसदीय कार्य मंत्रालय के इस प्रस्ताव के तहत सांसदों का वेतन केंद्र सरकार के किसी सचिव से एक हजार रुपये अधिक करना और मंत्रियों का वेतन कैबिनेट सचिव से दस हजार रुपये अधिक करना है। वित्त मंत्रालय इस बात पर भी विचार कर रहा है कि सांसदों के वेतन को भी वेतन आयोग से संबद्ध कर दिया जाए। यही आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों का वेतनमान निर्धारित करता है। इस योजना के तहत प्रधानमंत्री का वेतन भी कैबिनेट सचिव से डेढ़ गुना अधिक करने का प्रस्ताव है।

संसद में हंगामा, जनता पर बोझ

केंद्र सरकार इस शीत सत्र में लोकसभा में अपनी गिनती पूरी होने के चलते विपक्ष के हंगामे के बावजूद सदन में कामकाज जारी रख पाई। लेकिन राज्यसभा में अल्पमत में होने के कारण सदन की कार्यवाही निर्धारित समय से आधे समय में ही हो पायी। जनता की गाढ़ी कमाई से चलने वाली संसद में प्रत्येक दिन सदन की कार्यवाही में हर मिनट 29 हजार रुपये का खर्च आता है। इस हिसाब से एक दिन की कार्यवाही का खर्च करीब 10.4 करोड़ रुपये होता है।


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