एस.के. सिंह, नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में दो हफ्ते से उथल-पुथल मची है। बीएसई में बड़ी कंपनियों का इंडेक्स, सेंसेक्स तो 2 मार्च से 15 मार्च तक 1.49% नीचे आया, लेकिन बीएसई मिडकैप में 3.64% और स्मॉलकैप इंडेक्स में 7.73% की गिरावट आई है। एक्सचेंज में लिस्टेड शेयरों का मार्केट कैपिटलाइजेशन इस दौरान 15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा गिर गया है। इसकी मुख्य वजह है मार्केट रेगुलेटर सेबी का एक्शन। पहले तो उसने म्यूचुअल फंडों को मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में निवेश कम करने को कहा, फिर सेबी चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने इन शेयरों में बबल यानी गुब्बारा बनने और छोटी कंपनियों में प्राइस मैनिपुलेशन की बात कही।

इस खबर का वीडियो देखने के लिए यहां क्लिक करें

कुछ समय पहले तक मिडकैप और स्मॉलकैप को ‘हिडन जेम्स’ यानी छिपा हुआ हीरा बताया जा रहा था, सेबी के एक्शन के बाद ये शेयर ‘बर्निंग जेम्स’ यानी जलता हुआ हीरा बन गए हैं। इस जलन को आम निवेशक भी महसूस कर रहे हैं जिनके इन्वेस्टमेंट की वैल्यू लाखों करोड़ रुपये गिर गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि मिडकैप और स्मॉलकैप से निकलने वाले निवेशक लार्जकैप शेयरों में पैसा लगा सकते हैं। लांग टर्म और सुरक्षा के लिहाज से ईटीएफ भी अच्छा विकल्प है।

ऊंची वैलुएशन पर भी हो रहा था काफी निवेश

मिडकैप और स्मॉलकैप में ऊंची वैलुएशन पर भी काफी निवेश हो रहा था। स्मॉलकैप फंड में 2022-23 में कुल 22,103 करोड़ रुपये आए थे, जबकि मौजूदा वित्त वर्ष में जनवरी तक 37,360 करोड़ रुपये का निवेश हो चुका था। इस दौरान मिडकैप फंड में 20,205 करोड़ रुपये की तुलना में लगभग 19,400 करोड़ रुपये जमा हुए। कैलेंडर वर्ष 2023 में म्यूचुअल फंडों की स्मॉलकैप और मिडकैप स्कीमों में करीब 64,000 करोड़ रुपये का निवेश हुआ। यह इक्विटी स्कीमों में आई कुल राशि का लगभग 40 प्रतिशत था। म्यूचुअल फंडों की संस्था एम्फी के अनुसार, जनवरी में सभी म्यूचुअल फंड की स्मॉलकैप स्कीम का एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) लगभग 2.5 लाख करोड़ रुपये हो गया था और एक साल में इसमें करीब 90% की वृद्धि हुई थी। मिडकैप फंडों का आकार भी 58% बढ़कर 2.9 लाख करोड़ रुपये हो गया।

बबल का अहसास हुआ तो सेबी ने किया स्ट्रेस टेस्ट

इस सेगमेंट में निवेश में तेज वृद्धि से सेबी को बाजार में बनते बबल का अहसास हुआ। उसने जनवरी में बड़े म्यूचुअल फंडों की स्मॉलकैप और मिडकैप स्कीम को लेकर एक स्ट्रेस टेस्ट किया। इसमें उसने यह आकलन किया कि अगर बाजार में गिरावट का माहौल बनता है तो क्या ये फंड बिकवाली के दबाव के झेल सकेंगे।

एंजेल वन ब्रोकिंग के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अमर देव सिंह बताते हैं, “मिडकैप और स्मॉलकैप में देखें तो दो-तीन साल में अनेक स्टॉक मल्टीबैगर बन कर निकले हैं, उन्होंने निवेशकों को बहुत ज्यादा रिटर्न दिया है। मान लीजिए 100 रुपये का शेयर कम समय में 1000 रुपये का हो गया, लेकिन वह कभी भी 600 रुपये पर भी आ सकता है। माना जाता है कि किसी भी शेयर में गिरावट हमेशा चढ़ाई से अधिक तेज होती है। मिडकैप और स्मॉलकैप में यह स्पष्ट दिखता है।”

सेबी ने फरवरी के बुलेटिन में बताया है कि जनवरी में म्यूचुअल फंडों से 1,23,205 करोड़ रुपये का नेट इनफ्लो हुआ, जबकि दिसंबर 2023 में 40,685 करोड़ रुपये का नेट आउटफ्लो हुआ था। दिसंबर की तुलना में सभी फंडों का नेट एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 3.86% बढ़कर जनवरी के अंत में 52,74,001 करोड़ हो गया था। इक्विटी मार्केट में फंडों ने जनवरी में 23,011 करोड़ रुपये की शुद्ध खरीद की थी। सेबी के आंकड़ों के अनुसार मार्च में 13 तारीख तक म्यूचुअल फंडों ने इक्विटी में 67,835.21 करोड़ का निवेश किया और 50677.10 करोड़ निकाले। इस तरह उन्होंने 17158.11 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया।

सेबी ने दिया फंड का प्रवाह कम करने का निर्देश

स्ट्रेस टेस्ट के बाद सेबी ने म्यूचुअल फंडों को इन सेगमेंट में पैसे का प्रवाह कम करने और पोर्टफोलियो की रीबैलेंसिंग के साथ स्मॉलकैप और मिडकैप निवेशकों को बचाने के लिए फ्रेमवर्क बनाने के निर्देश दिए। सेबी ने सभी म्यूचुअल फंड ट्रस्ट को 21 दिन के भीतर अपनी वेबसाइट पर निवेशक सुरक्षा नीति जारी करने का निर्देश दिया। उसके बाद म्यूचुअल फंडों की संस्था एम्फी ने अपने सदस्यों से इन सेगमेंट में निवेश धीमा करने को कहा।

सेबी का यह निर्देश 27 फरवरी को आया। उससे पहले 7 फरवरी को बीएसई स्मॉलकैप और 8 फरवरी को बीएसई मिडकैप रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे। सेबी का निर्देश जारी होने के बाद इसकी प्रमुख माधवी पुरी बुच ने कहा, “बबल बनने की अनुमति देना उचित नहीं होगा, क्योंकि जब वे फूटेंगे तो निवेशकों को नुकसान होगा…। रेगुलेटर ने छोटी कंपनियों की लिस्टिंग के बाद प्राइस मैनिपुलेशन का पैटर्न देखा है।”

फिर क्या था। मिडकैप और स्मॉलकैप में गिरावट का माहौल बन गया। ऑल टाइम हाई की तुलना में 15 मार्च तक मिडकैप में 5% और स्मॉलकैप में 10% से ज्यादा गिरावट आ चुकी है। कम से कम 750 शेयर 20 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुके हैं। कुछ शेयरों का भाव तो 50-60 प्रतिशत से भी अधिक गिर गया है।

अमर देव कहते हैं, “रेगुलेटर यह चाहता है, जो ठीक भी है, कि अगर कहीं रैली हो रही है तो उसमें प्रॉफिट बुकिंग भी आ सकती है। इसलिए लोगों को सचेत रहना चाहिए। ग्लोबल कारणों से भी अगर मुख्य इंडेक्स में गिरावट आती है, तो मिडकैप और स्मॉलकैप में उससे ज्यादा गिरावट दिखेगी। मिडकैप और स्मॉलकैप में एलर्ट रहने की जरूरत है क्योंकि इनमें अनेक स्टॉक्स ने काफी ज्यादा रिटर्न दिया है।”

निर्देश के बाद म्यूचुअल फंडों ने उठाए कदम

रेगुलेटर के निर्देश के बाद आईसीआईसीआई म्यूचुअल फंड ने पिछले मंगलवार को कहा कि वह गुरुवार से मिडकैप और स्मॉलकैप फंड में लंपसम डिपॉजिट अस्थायी रूप से बंद करेगा। पिछले महीने कोटक एसेट ने भी स्मॉलकैप फंड में जमा पर अंकुश लगाया था। एसबीआई, टाटा, कोटक जैसे म्यूचुअल फंड भी इस तरह के कदम उठा चुके हैं।

सेबी के बयान के बाद म्यूचुअल फंडों के कुछ स्टॉक से निकलने और कुछ में एक्सपोजर कम करने की भी खबरें हैं। खबरों के मुताबिक फंड एमएमटीसी और लक्स इंडस्ट्रीज जैसी कंपनियों से बाहर निकल गए हैं तो आदित्य बिड़ला फैशन और बाटा इंडिया जैसे शेयरों में उन्होंने होल्डिंग कम की है। अमर देव के अनुसार, “सेबी ने चेतावनी दी है तो फंड एलर्ट मोड में आएंगे ही। फंडों ने जहां पैसा बनाया, वहां से निकलने के लिए प्रॉफिट बुकिंग भी कर रहे हैं।”

माना जा रहा है कि सेबी स्मॉलकैप शेयरों में म्यूचुअल फंड के निवेश से संबंधित नियमों में संशोधन कर सकता है। नियम के मुताबिक स्मॉलकैप और मिडकैप फंड में आने वाली कम से कम 65% राशि को इन्हीं स्टॉक में निवेश करना पड़ता है। हालांकि अमर देव मानते हैं कि नियम में बदलाव पर अभी कुछ कहना मुश्किल है। सब कुछ बाजार की परिस्थिति पर निर्भर करता है। वे यह भी मानते हैं कि अभी बाजार के लिए थोड़ा मुश्किल समय रह सकता है।

इस माहौल में क्या करें आम निवेशक

अमर देव सिंह के अनुसार, लार्जकैप यानी बड़े स्टॉक स्थिर गति से चलते हैं। अगर निफ्टी इंडेक्स 14-15 प्रतिशत रिटर्न देता है तो लार्जकैप में भी वैसी ही उम्मीद करते हैं। उनमें कुछ स्टॉक औसत से अच्छा तो कुछ औसत से कमजोर प्रदर्शन कर सकते हैं, भले ही वे हर म्यूचुअल फंड के पोर्टफोलियो में हो। अभी भारत और अमेरिका समेत अनेक देशों में चुनाव होने वाले हैं, इसलिए बाजार में थोड़ी अनिश्चितता है। ऐसे माहौल में निवेशक अपने निवेश की सुरक्षा के लिए लार्जकैप में जाएंगे।

उनका कहना है, अगर कोई निवेशक तेजी आने के बाद किसी स्टॉक में पैसे लगाता है तो उसे पहले यह देखना चाहिए कि आगे उसके पास कमाने का कितना मौका है और नुकसान की कितनी आशंका है। मिडकैप और स्मॉलकैप में निवेशक को क्वालिटी भी देखनी चाहिए। किसी स्टॉक में सिर्फ इसलिए निवेश न करें कि वह पांच गुना बढ़ गया है। कंपनी का ट्रैक रिकॉर्ड, उसका मुनाफा, उसके प्रोडक्ट लाइन इन सब पर ध्यान देने की जरूरत है। रिस्क-रिवार्ड रेशियो समझना जरूरी है। ईटीएफ या एसआईपी के माध्यम से निवेश करने पर एक फायदा यह होता है कि वह पैसा अक्सर अच्छे शेयरों में जाता है।

अमर देव की राय में, “आज जो स्मॉलकैप हैं, वे कल मिडकैप में जाएंगे। मिडकैप के स्टॉक लार्जकैप में जाएंगे। लेकिन कुछ शेयर ही ऐसी ग्रोथ करेंगे, सब नहीं। इसलिए निवेशकों को हमेशा क्वालिटी स्टॉक में पैसा लगाना चाहिए। चाहे वह लार्जकैप हो, मिडकैप या स्मॉलकैप। निवेश भी इन तीनों का मिश्रण होना चाहिए, ताकि अगर मिडकैप या स्मॉलकैप में बड़ी गिरावट आती भी है तो लार्जकैप उसे संतुलित करेगा।”