उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफे के बाद भी जगदीप धनखड़ को सरकारी बंगले का अधिकार, अब यहां मिलेगा आवास
एक रोज पूर्व उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ को सरकारी बंगले का अधिकार है। उन्हें लुटियंस दिल्ली या किसी अन्य क्षेत्र में एक टाइप-8 वाला बंगला प्रदान किया जाएगा। इस तरह का बंगला आमतौर पर वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों या राष्ट्रीय पार्टियों के अध्यक्षों को आवंटित किया जाता है। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।

पीटीआई, नई दिल्ली। एक रोज पूर्व उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ को सरकारी बंगले का अधिकार है। उन्हें लुटियंस दिल्ली या किसी अन्य क्षेत्र में एक टाइप-8 वाला बंगला प्रदान किया जाएगा। इस तरह का बंगला आमतौर पर वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों या राष्ट्रीय पार्टियों के अध्यक्षों को आवंटित किया जाता है।
पिछले अप्रैल में यहां हुए थे शिफ्ट
केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। धनखड़ पिछले साल अप्रैल में संसद भवन परिसर के पास चर्च रोड पर बने नए उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में स्थानांतरित हुए थे।
उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में है उपराष्ट्रपति का निवास
उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में उपराष्ट्रपति का निवास और कार्यालय शामिल है, जिसे केंद्रीय विस्टा पुनर्विकास योजना के तहत बनाया गया था। यहां लगभग 15 महीने रहने के बाद अब धनखड़ को यह आवास छोड़ना होगा।
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही दी गई धनखड़ के इस्तीफे की जानकारी
उपराष्ट्रपति पद से भले ही जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा देने की बात कही है लेकिन मंगलवार को जब उनके इस्तीफे की खबर के साथ राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई तो सदन के भीतर मौजूद सदस्यों के चेहरे पर मायूसी के साथ कई सवाल भी तैरते दिखे।
जो सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले और स्थगित होने के बाद एक-दूसरे की सीटों के पास जाकर चर्चा के रूप में दिखाई दिए।
इस दौरान उनके इस्तीफे को स्वीकार करने और न करने को लेकर अटकलें भी लगाई गईं लेकिन सदन की कार्यवाही शुरू होने के घंटे भर में तत्काल प्रभाव से उनके इस्तीफे को स्वीकार किए जाने की जानकारी ने और चौंका दिया। धनखड़ के इस्तीफे के पीछे के कारणों को बूझने में विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष के सदस्य भी व्यस्त दिखे।
धनखड़ ने अपना इस्तीफा सोमवार देर रात ही दे दिया था
मंगलवार को ग्यारह बजे जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, पीठासीन उपसभापति हरिवंश ने सदन को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे से अवगत कराया। वैसे तो धनखड़ ने अपना इस्तीफा सोमवार देर रात ही दे दिया था।
पहले दिन खूब मचा संसद में हंगामा
इसके पीछे मंशा यह थी कि सदन में इस्तीफे को लेकर कोई सवाल पूछे इससे पहले ही सदन को अवगत करा दिया जाए। इसके बाद तो बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण पर नियम 267 के तहत चर्चा कराने को मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही को दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
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