'इंसानों की तरह फैसले नहीं ले सकता AI', डिजिटल क्रांति को लेकर क्या बोले पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़?
पूर्व प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने वर्चुअल अदालतों के प्रभाव पर चर्चा की जहां उन्होंने कहा कि यह न्याय प्राप्ति को सुगम बनाता है लेकिन निष्पक्ष सुनवाई की चुनौतियां भी सामने आई हैं। उन्होंने AI के कानूनी प्रक्रियाओं में योगदान को स्वीकार किया लेकिन इसे मानव निर्णयों का स्थान न देने की बात कही। इसके अलावा उन्होंने न्याय में समानता और सकारात्मक कार्रवाई नीतियों की आवश्यकता पर जोर दिया।

पीटीआई, मुंबई। पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि वर्चुअल अदालतों ने न्याय पाने को सुगम किया है लेकिन इससे निष्पक्ष सुनवाई को लेकर चिंताएं पैदा हुई हैं। नवाचार और न्यायिक सत्यनिष्ठा के बीच संतुलन होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कानूनी ढांचे को उभरती डिजिटल वास्तविकताओं के अनुरूप होना चाहिए ताकि शासन निष्पक्ष, लचीला और भविष्य के लिए तैयार हो सके।
'इंसानों की जगह नहीं ले सकता एआई'
पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि एआई मुकदमों के प्रबंधन में बदलाव ला रही है, कानूनी प्रक्रियाओं को तेज और अधिक कुशल बना रही है। उन्होंने कहा कि मशीन सहायता तो कर सकती है, लेकिन वह मानव की तरह निर्णय नहीं ले सकती।
वेलिंगकर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट की ओर से आयोजित एक सम्मेलन में उन्होंने कहा कि कहा कि विविधता को बढ़ावा देने और अन्याय को खत्म करने के लिए सकारात्मक कार्रवाई संबंधी नीतियां महत्वपूर्ण हैं।
डिजिटल क्रांति ने अस्तित्व को फिर किया परिभाषित: डीवाई चंद्रचूड़
डीवाई चंद्रचूड़ कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति, महिलाएं, अल्पसंख्यक जैसे हाशिए पर मौजूद समूहों को विभिन्न बाधाओं का सामना करना पड़ता है, जो शिक्षा, रोजगार और नेतृत्व की भूमिकाओं तक उनकी पहुंच को सीमित करती हैं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सभी को समान अवसर मिले। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति ने हमारे अस्तित्व को फिर से परिभाषित किया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि नवाचार और प्रौद्योगिकी को शासन के ऐसे ढांचे द्वारा संतुलित किया जाना चाहिए जो समय के साथ आगे बढ़ता रहे।
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