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    चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बैचलेट को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार, भाजपा ने की आलोचना

    Updated: Thu, 20 Nov 2025 04:47 AM (IST)

    चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बैचलेट को बुधवार को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया।

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    चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बैचलेट को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार (फोटो- रॉयटर)

    एएनआइ, नई दिल्ली। चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बैचलेट को बुधवार को शांति, निरस्त्रीकरण और विकास के लिए इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार प्रदान किया गया। इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट और कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उन्हें यह पुरस्कार प्रदान किया।

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    पुरस्कार प्रदान करते हुए सोनिया गांधी ने न सिर्फ अपने चिली के लिए, बल्कि वैश्विक शांति के लिए बैचलेट के योगदान को याद किया।

    उन्होंने कहा कि मिशेल बैचलेट ने अपने शुरुआती वर्षों में नुकसान, उत्पीड़न, यातना और निर्वासन को देखा है और बाधाओं को पारकर चिली व लैटिन अमेरिका में पहली महिला रक्षा मंत्री बनने के उनकी यात्रा को याद किया।

    सोनिया ने कहा कि बैचेलेट ने तब इतिहास रच दिया जब वह दो बार अपने देश की राष्ट्रपति चुनी गईं। जब 2010 में बैचलेट को संयुक्त राष्ट्र महिला एजेंसी का पहला निदेशक और बाद में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त नियुक्त किया गया, तो उनका प्रभाव चिली और लैटिन अमेरिका की सीमाओं से कहीं आगे तक फैल गया था।

    बैचलेट ने कहा, इंदिरा गांधी का मानना था कि विभिन्न देश तभी तरक्की करेंगे जब वे एक-दूसरे के साथ तालमेल करेंगे। चारों ओर संघर्ष और चुनौतियां हैं, कोई भी देश इनका अकेले समाधान नहीं कर सकता।

    भाजपा ने की बैचलेट को पुरस्कार देने की आलोचना

    भाजपा नेता अमित मालवीय ने चिली की पूर्व राष्ट्रपति मिशेल बैचलेट को इंदिरा गांधी शांति पुरस्कार देने के लिए कांग्रेस की आलोचना की। उन्होंने बैचलेट पर 2018 से 2022 तक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त के तौर पर भारत विरोधी और इस्लाम समर्थक विमर्श को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया।

    मालवीय ने दावा किया कि उनके काम ''ग्लोबल लेफ्ट-लिबरल इकोसिस्टम'' से पूरी तरह मेल खाते हैं, जिसे कांग्रेस आसानी से अपना लेती है। उन्होंने आरोप लगाया कि चिली की लेफ्ट-विंग सोशलिस्ट पार्टी की आजीवन सदस्य रहीं बैचेलेट ने अल्पसंख्यकों के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के बहाने बार-बार भारत को निशाना बनाया। असली मुद्दा उनका पक्षपात नहीं, बल्कि कांग्रेस की उन्हें पुरस्कृत करने की उत्सुकता है।