चुनाव सुधारों के लिए मशहूर पूर्व सीईसी टीएन शेषन का हुआ निधन, पीएम मोदी ने जताया शोक
86 वर्षीय पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का रविवार रात करीब 9.30 बजे चेन्नई स्थित अपने घर में निधन हो गया।
नई दिल्ली, प्रेट्र। अपने कड़े फैसलों के लिए मशहूर 86 वर्षीय पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का रविवार रात करीब 9.30 बजे चेन्नई स्थित अपने घर में निधन हो गया। पिछले कुछ वर्षों से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी, जिसकी वजह से वह घर से बाहर नहीं निकलते थे। शेषन को देश में चुनाव व्यवस्था में आमूलचूल बदलाव लाने के लिए जाना जाता है। उनका डायलॉग 'आई ईट पॉलिटिशियंस फॉर ब्रेकफास्ट' काफी चर्चाओं में रहा। शेषन के परिजनों ने बताया कि उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ है। उनके निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस सांसद शशि थरूर व पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
चुनाव प्रणाली में कई सुधार किए
तिरुनेल्लई नारायण अय्यर शेषन यानी टीएन शेषन का जन्म 15 दिसंबर, 1932 को केरल के पलक्कड़ जिले में हुआ था। शेषन अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनके पिता पेशे से वकील थे। 1955 बैच के तमिलनाडु कैडर के आइएएस अधिकारी रहे शेषन 12 दिसंबर दिसंबर, 1990 से 11 दिसंबर 1996 तक देश के 10वें मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर रहे। इस पद पर रहते हुए उन्होंने भारतीय चुनाव प्रणाली में कई सुधार किए। सरकारी सेवाओं के लिए उन्हें 1996 में रैमन मैग्सेस अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
बड़े से बड़े नेताओं को नहीं बख्शा
मुख्य चुनाव आयुक्त का पद संभालने से पहले 1989 में वह देश के 18वें कैबिनेट सचिव के पद पर थे। लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह से उनकी नहीं जमी। वीपी सिंह ने उन्हें कैबिनेट सचिव के पद से हटाकर योजना आयोग में भेज दिया था। वीपी सिंह के बाद प्रधानमंत्री बने चंद्रशेखर ने उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था। चंद्रशेखर तब कांग्रेस के समर्थन से सरकार चला रहे थे। कहा जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर उन्होंने शेषन को मुख्य चुनाव आयुक्त बनाया था। मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में उन्होंने तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव से लेकर बिहार के सीएम रहे लालू प्रसाद यादव किसी को नहीं बख्शा। उन्होंने कई चुनाव रद्द करवाए और बिहार में बूथ कैप्चरिंग रोकने के लिए सेंट्रल पुलिस फोर्स का इस्तेमाल किया। शेषन ने 1997 में राष्ट्रपति का चुनाव लड़ा था, हालांकि, उन्हें सफलता नहीं मिली और आरके नारायण राष्ट्रपति चुने गए थे।
पहचान पत्र से चुनाव की शुरुआत कराई
शेषन के कार्यकाल में ही चुनावों में मतदाता पहचान पत्र का इस्तेमाल शुरू हुआ। शुरू में नेताओं ने इसका विरोध किया था और इसे बहुत खर्चीला बताया था। लेकिन शेषन नेताओं के आगे नहीं झुके और कई राज्यों में तो मतदाता पहचान पत्र तैयार नहीं होने की वजह से उन्होंने चुनाव तक स्थगित करवा दिए थे।
पीएम मोदी, अमित शाह, शशि थरूर और कुरैशी ने दी श्रद्धांजलि
पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि 'टीएन शेषन एक उत्कृष्ट सिविल सेवक थे। उन्होंने अत्यंत परिश्रम और निष्ठा के साथ भारत की सेवा की। चुनावी सुधारों के प्रति उनके प्रयासों ने हमारे लोकतंत्र को मजबूत और अधिक सहभागी बनाया है। उनके निधन से पीड़ा हुई। ओम शांति।'
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन जी के निधन से दुखी हूं। उन्होंने भारत की चुनावी संस्था को सुधारने और मजबूत बनाने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई। राष्ट्र उसे हमेशा लोकतंत्र की मशाल को लेकर चलने वाले के रूप में याद रखेगा। मेरी प्रार्थनाएं उनके परिवार के साथ हैं।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी ट्वीट कर शेषन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, 'यह जानकर दुख हुआ कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन का चेन्नई में निधन हो गया है।
भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एसवाई कुरैशी ने उनके निधन पर कहा कि टीएन शेषन (भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त) का कुछ समय पहले निधन हुआ है। वह अपने सभी उत्तराधिकारियों के लिए एक सच्चे किंवदंती और मार्गदर्शक बल थे। मैं उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं।