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    जनरल नरवणे ने कहा- ड्रैगन की विस्तारवादी नीति को विफल कर सकता है भारत, सीमाओं पर हमेशा बना रहता है खतरा

    By AgencyEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Thu, 15 Dec 2022 12:00 AM (IST)

    भारतीय सेना के पूर्व प्रमुख जनरल एमएन नरवणे ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से में नजदीक बह रही नदी को पार करके चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में आए। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी हर साल दो-तीन बार ऐसी हरकत करती है इसलिए भारतीय सैनिक जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहते हैं।

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    पूर्व सेना प्रमुख नरवणे ने कहा- गलवन संघर्ष के दौरान चीन को मिला पहला झटका।

    नई दिल्ली, एएनआइ। अरुणाचल प्रदेश के यांग्त्से में नजदीक बह रही नदी को पार करके चीनी सैनिक भारतीय क्षेत्र में आए। वहां पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) हर साल दो-तीन बार ऐसी हरकत करती है, इसलिए भारतीय सैनिक जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार रहते हैं। वहां पर हम रणनीतिक रूप से बेहतर स्थिति में हैं। इसलिए चीनी सैनिकों का आगे बढ़ पाना मुश्किल होता है। लेकिन साल दर साल वे अपनी हरकतें बंद नहीं करते और अंतत: उन्हें चोट खाकर वापस जाना पड़ता है। यह बात पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल एमएन नरवणे ने साक्षात्कार में कही है।

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    गलवन में भारतीय सेना दिए थे मुंहतोड़ जवाब 

    जनरल नरवणे ने कहा, हाल के वर्षों में देखा गया है कि इलाके में बर्फबारी से पहले चीनी सैनिक यह हरकत करते हैं, क्योंकि बर्फ जमने के बाद वहां की स्थिति ज्यादा दुर्गम हो जाती है और नदी पार कर आगे बढ़ना संभव नहीं हो सकता। गलवन में 2020 में पीएलए के साथ हुई टकराव की घटना का उल्लेख करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि वहां पर भारतीय सैनिक कमजोर नहीं पड़े थे। उन्होंने चीन की हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया था। डोकलाम के बाद गलवन में भी चीन की विस्तारवादी नीति को झटका लगा था।

    पड़ोसी देशों की भूमि हड़पने के फिराक में चीन

    उन्होंने कहा कि चीन पिछले दो दशकों से पड़ोसी देशों की भूमि हड़पने में लगा हुआ है। दक्षिण चीन सागर उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। गलवन की घटना के जरिये भारत ने दुनिया को दिखा दिया था कि चीन की विस्तारवादी नीति को विफल करने में भारत सक्षम है। हाल के वर्षों में देश की उत्तरी सीमा पर स्थितियां चुनौतीपूर्ण हुई हैं। इसलिए वहां पर सेनाओं की सघन तैनाती और सतर्कता बहुत जरूरी हो गई है।

    चीनी सेना हुड़दंग मचाने वाली

    जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना का पेशेवर और जिम्मेदारीपूर्ण तरीके से कार्य करती है जबकि चीन की सेना का रुख हुड़दंग मचाने वालों और सड़क पर लड़ने वालों जैसा है। गलवन में उन्होंने ऐसा ही किया था। वे वहां पर कंटीले तार, कील लगी लाठियां और लोहे की छड़ें लेकर हमला करने आए थे।

    चीन बलिदान को छिपाता है

    एक प्रश्न के उत्तर में जनरल नरवणे ने कहा, देश का प्रत्येक जवान किसी का बेटा या बेटी होती है। जब उसके बलिदान की खबर आती है तो स्वाभाविक रूप से सभी को दुख होता है। लेकिन साथ ही यह गर्व भी होता है कि उसने कर्तव्य का निर्वहन करते हुए देश के लिए जान दी है। लेकिन चीन में ऐसा नहीं है। वहां पर सीमा पर जान देने वालों की जानकारी छिपाई जाती है।

    भारतीय सेना चीन को जवाब देने में सक्षम

    जनरल नरवणे ने कहा, चीन अगर 1993 में हुए समझौते को तोड़ते हुए सीमा को बदलने की कोशिश करता है तो भारत उसके खिलाफ कार्रवाई करने में सक्षम है। उन्होंने कहा, चीन की नीयत का पता इसी से चलता है कि वह स्थान बदल-बदल कर बार-बार ऐसी कोशिश कर रहा है। वह टकराव पर उतारू है-इसलिए उसके मंसूबे विफल करने के लिए भारतीय सेना को सतर्क रहना होगा। दुनिया में इस समय तेजी से बदलाव हो रहे हैं। इसलिए भारत को उनके अनुसार कदम उठाने के लिए खुद को तैयार रखना होगा। सेनाओं को हमेशा युद्ध के लिए तैयार रखना होगा। सीमाओं पर खतरा एक सतत प्रक्रिया है। वह परिस्थितियों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है लेकिन खत्म कभी नहीं होता।

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