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    'तेल खरीद पर अमेरिकी रुख हैरान करने वाला', जयशंकर बोले- हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं

    Updated: Fri, 22 Aug 2025 02:00 AM (IST)

    रूस के दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कर दिया है कि भारत तेल खरीदने के मुद्दे पर अमेरिकी दबाव के आगे झुकने नहीं जा रहा। जयशंकर ने पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और बाद में वह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मिले। इन दोनों बैठकों में जयशंकर की भारत-रूस ऊर्जा सहयोग को विस्तार देने के एजेंडे पर बात हुई।

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    'तेल खरीद पर अमेरिकी रुख हैरान करने वाला', जयशंकर (फाइल फोटो)

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। रूस के दौरे पर गए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ कर दिया है कि भारत तेल खरीदने के मुद्दे पर अमेरिकी दबाव के आगे झुकने नहीं जा रहा। जयशंकर ने पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की और बाद में वह राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मिले। इन दोनों बैठकों में जयशंकर की भारत-रूस ऊर्जा सहयोग को विस्तार देने के एजेंडे पर बात हुई।

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    पहले रूस से तेल खरीदने को कहता रहा है अमेरिका

    लावरोव के साथ मुलाकात के बाद जयशंकर ने तेल खरीद पर दबाव बनाने में जुटे अमेरिकी रुख पर हैरानी जताई और रहस्योद्घाटन किया कि अमेरिका स्वयं भारत को पहले रूस से तेल खरीदने को कहता रहा है, ताकि वैश्विक पेट्रोलियम बाजार में स्थिरता रहे।

    दूसरी तरफ, लावरोव ने कहा कि रूस भारत के साथ बड़े ऊर्जा सहयोग पर काम कर रहा है। इसमें परमाणु ऊर्जा से लेकर पेट्रोलियम परियोजनाएं तक शामिल हैं। भारतीय तेल कंपनियों को रूस में तेल व गैस भंडार आवंटित करने पर भी बात हुई है।

    हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं- जयशंकर

    जयशंकर से एक पत्रकार ने रूस से तेल खरीदने के मामले में अमेरिका की तरफ से भारत पर लगाए गए टैरिफ पर सवाल पूछा। इस पर उन्होंने जवाब दिया, मैं किसी व्यक्ति पर टिप्पणी नहीं करना चाहता। लेकिन, विषय पर जरूर बोलूंगा। हम रूसी तेल के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं। वह स्थान चीन का है। हम रूसी एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार भी नहीं हैं। मुझे लगता है कि यह यूरोपीय संघ है। 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे अधिक वृद्धि करने वाला देश भी हम नहीं हैं, बल्कि कुछ दक्षिणी देश हैं।

    पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका ने स्वयं कहा है कि हमें विश्व ऊर्जा बाजारों को स्थिर करने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है। साथ ही, हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं और यह मात्रा बढ़ रही है। ईमानदारी से कहूं तो यह तर्क काफी हैरान करने वाला है।

    अमेरिका से भारत का तेल और गैस आयात बढ़ा

    आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल जनवरी से जून तक अमेरिका से भारत का तेल और गैस आयात 51 प्रतिशत तक बढ़ गया है। अमेरिका से तरल प्राकृतिक गैस का आयात भी वित्त वर्ष 2024-25 में लगभग दोगुना होकर 2.46 अरब डॉलर हो गया, जो 2023-24 में 1.41 अरब डॉलर था।

    सूत्रों ने बताया है कि जयशंकर की यह यात्रा भारत और रूस के विशेष रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने वाला है। दोनों विदेश मंत्रियों के बीच भारत-रूस शिखर सम्मेलन के एजेंडे पर भी चर्चा हुई है। इस सम्मेलन के लिए पुतिन इस साल के अंत तक भारत आएंगे।

    भारत के रिश्ते चीन और रूस दोनों के साथ बेहतर हो रहे

    यह साफ तौर पर दिख रहा है कि ट्रंप प्रशासन ने जब से भारत पर कारोबारी समझौते के लिए दबाव बनाने की नीति अपनाई है, तब से भारत के रिश्ते चीन और रूस दोनों के साथ बेहतर हो रहे हैं।

    इस महीने की शुरुआत में एनएसए अजीत डोभाल रूस की यात्रा पर गए थे। उसके बाद चीन के विदेश मंत्री वांग ई भारत आए थे। अब जयशंकर रूस में हैं। इसके बाद 1-2 सितंबर, 2025 को भारत, रूस और चीन के आला अधिकारी एससीओ बैठक में साथ-साथ होंगे।

    भारत, रूस बढ़ाएंगे द्विपक्षीय कारोबार

    प्रेट्र के अनुसार, भारत और रूस ने अपने द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने का संकल्प लिया है। जयशंकर ने गैर-शुल्क बाधाओं और नियामक अड़चनों को शीघ्रता से हल करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

    रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में जयशंकर ने कहा, हम मानते हैं कि भारत और रूस के संबंध द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया के सबसे स्थिर संबंधों में रहे हैं।

    भारत से रूस को निर्यात को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया

    उन्होंने फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और वस्त्र जैसे क्षेत्रों में भारत से रूस को निर्यात को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने व्यापार और निवेश के माध्यम से ऊर्जा सहयोग बनाए रखने को भी महत्वपूर्ण बताया।