खाने-पीने की चीजों पर एक्सपायरी डेट खोजनी क्यों पड़ती है, दिखने-पढ़ने लायक जगह पर क्यों नहीं लिखतीं कंपनियां
Expiry Date on foos items खाद्य सुरक्षा नियामक FSSAI के कड़े नियमों के बावजूद कई कंपनियां एक्सपायरी डेट अस्पष्ट तरीके से लिख रही हैं। ग्राहकों को चॉकलेट बिस्किट और नमकीन समेत तमाम खाद्य सामग्री व दवाओं पर एक्सपायरी डेट ढूढ़ने के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। एक्सपायर्ड प्रोडक्ट खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं? अगर नियमों का उल्लंघन हो रहा है तो कहां और कैसे शिकायत करें? यहां पढ़ें..

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज सुबह-सुबह कॉर्न फ्लेक्स के डिब्बे पर नजर गई तो एक्सपायरी डेट देखने का ख्याल आया। इसे कब तक खाया जा सकता है, यह जानने के लिए दिमागी तौर पर मशक्कत करनी पड़ी। इससे पहले भी कई दफा बिस्किट, चॉकलेट, ब्रेड, कोल्ड ड्रिंक, टूथपेस्ट समेत खाने-पीने के सामान पर एक्सपायरी डेट या यूज बाय डेट बड़ी ही छिपे या इस तरह लिखी होती है कि जल्दी से पढ़ी ना जा सके।
अब सवाल ये हैं कि जब एक्सपायरी डेट निकलने के बाद किसी चीज का सेवन करना हानिकारक हो सकता है तो फिर खाद्य सामग्री से लेकर दैनिक जरूरतों के लिए इस्तेमाल होने वाले सामानों पर स्पष्ट तौर पर एक्सपायरी डेट लिखने का कोई नियम नहीं है क्या, अगर है तो इस नियम को कंपनियां क्यों तोड़ रही हैं?
क्या एक्सपायरी डेट के लिए नियम है?
हां, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक्सपायरी डेट को लेकर नियम बनाए हैं। इसमें कहा गया है कि प्रोडक्ट पर एक्सपायरी डेट या यूज बाय डेट 3 मिमी फॉन्ट में नीले, काले या सफेद रंग लिखना जरूरी है।
एक्सपायरी डेट लिखते समय यह ध्यान रखना है कि रंग बैकग्राउंड पर उभरकर नजर आए ताकि कस्टमर आसानी से देख और पढ़ सके। जबकि आपने अक्सर कंपनियों को नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए देखा होगा। कंपनियां चॉकलेट, नमकीन, बिस्किट, ब्रेड, पाउडर, क्रीम और टूथपेस्ट जैसे सामान पर एक्सपायरी डेट छिपाकर लिखती हैं या फिर ट्यूब या बोतल पर ऐसे उकेर देती हैं, जो कस्टमर को पढ़ने में नहीं आती।
क्या नियमों का उल्लंघन करने पर कार्रवाई होती है?
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (Ministry of Consumer Affairs) के अधिकारियों का दावा है कि एक्सपायरी डेट या यूज बाय डेट, चेतावनी और लेबलिंग के नियमों का उल्लंघन पर कार्रवाई की जाती है। साल 2023 में इस तरह के मामलों में 4,120 सैंपलिंग की गईं। डिफाल्टरों से 2.7 करोड़ रुपये का जुर्माना भी वसूला गया।
एक्सपायर्ड प्रोडक्ट खाने से क्या नुक्सान हो सकते हैं?
एक्सपायरी डेट के बाद फूड प्रोडक्ट की क्वालिटी, रंग, स्वाद और गंध धीरे-धीरे बदलने लगती है। हानिकारक बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जोकि स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। मानस हॉस्पिटल नोएडा के सीनियर डॉ. नमन शर्मा बताते हैं कि एक्सपायरी डेट के बाद प्रोडक्ट या दवा खाने पर लाभ होने की बजाय सेहत को भारी पड़ सकता है।
एक्सपायर्ड प्रोडक्ट खाने से अपच, पेट दर्द, दस्त, उल्टी, फूड पॉइजनिंग व एलर्जी आदि होने की आशंका बनी रहती है। एक्सपायर्ड प्रोडक्ट का लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर इम्यूनिटी पर असर पड़ सकता है। अलग-अलग कैटेगरी के प्रोडक्ट शरीर पर अलग-अलग प्रभाव डालते हैं। सेहत के लिए कितना हानिकारक है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि प्रोडक्ट कितने दिन पहले एक्सपायर हुआ है।
क्या हैं नियम, बार कोड को लेकर भी है कोई गाइडलाइन?
हां, भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) के नियम के मुताबिक, प्रोडक्ट पर बार कोड अनिवार्य तौर पर होना चाहिए, जिसमें प्रोडक्ट के बारे में सारी जानकारी दी जानी चाहिए।
- खाद्य सामग्री पर एक्सपायरी डेट या यूज बाय डेट लिखना अनिवार्य है। हलवाई की दुकान पर बनने वाली मिठाइयों के डिब्बे पर भी एक्सपायरी डेट लिखनी जरूरी है।
- एक्सपायरी डेट ऐसी जगह और इस तरह लिखा जाए कि कस्मटर को आसानी से दिख जाए और पढ़ने में आ जाए। फॉन्ट साइज 3 मिमी से कम नहीं होना चाहिए।
- प्रोडक्ट पर बार कोड डालना भी अनिवार्य है। इसको स्कैन करने पर प्रोडक्ट से जुड़ी सारी जानकारी आनी चाहिए।
- खाद्य सामग्री , दवा और कॉस्मेटिक पर एक्सपायरी डेट स्पष्ट तौर पर लिखी हो। लेबल चिपका नहीं होना चाहिए।
- प्रोडक्ट की जानकारी का लेबल पैकेट के साइड का 40% हो।
- पैकेट के फ्रंट में दाएं कोने पर ग्रीन या लाल बिंदी से शाकाहारी या मांसाहारी का इंडिकेटर देना अनिवार्य है।
- FSSAI लोगा व लाइसेंस नंबर लेबल पर अनिवार्य तौर पर होना चाहिए। प्रोडक्ट बनाने वाली यूनिट, रिटेलर, सप्लायर की दुकान पर भी इसे लगाना अनिवार्य है।
- प्रोडक्ट की न्यूट्रिशन इंफॉर्मेशन फ्रंट पर दी होनी चाहिए। हालांकि, ज्यादातर कंपनियां इसे बैक पर दे रही हैं। किसी कलर या प्रिजर्वेटिव का प्रयोग है तो उसका उल्लेख करना अनिवार्य है।
नियमों को उल्लंघन होते देखें तो कहां और कैसे शिकायत करें?
अगर आप खाद्य सामग्री, मिठाई या फिर कोई प्रोडक्ट खरीदते हैं और उस पर नियमों का उल्लंघन होते हुए नजर आ रहा है। या फिर एक्सपायरी डेट में गड़बड़ी नजर आ रही है तो जिला सचिवालय में फूड सेफ्टी कमिश्नर को इसकी शिकायत कर सकते हैं।
इसके अलावा, कंज्यूमर फोरम या जागो ग्राहक जागो पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं। अगर आपकी ओर से लगाए गए मिस ब्रांड या लेबल में गड़बड़ी के आरोप साबित होते हैं तो निर्माता, दुकानदार, रिटेलर व अन्य पर 10 हजार से 3 लाख रुपए तक जुर्माना लग सकता है।
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