क्या कर्नाटक में गोलगप्पों पर लग जाएगा प्रतिबंध, सरकार लोगों के सबसे पसंदीदा स्ट्रीट फूड के पीछे क्यों पड़ी?
गोलगप्पों को देश के अलग-अलग हिस्सों में कई नामों से जाना जाता है। मगर यह हर जगह लोगों को खूब पसंद आता है। इसकी वजह इसका चटपटा मसालेदार पानी है। मगर अब ...और पढ़ें

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक में खाद्य विभाग ने गोलगप्पों पर सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। लगातार गोलगप्पे की रेहड़ियों की जांच की जा रही है। नमूने जुटाए जा रहे हैं। अब लोगों को यह डर सताने लगा है कि क्या गोभी मंचूरियन और कॉटन कैंडी के बाद गोलगप्पों पर भी बैन लगा दिया जाएगा। कर्नाटक खाद्य विभाग गोलगप्पों की गुणवत्ता की जांच कर रहा है। जहां गोलगप्पे बनते हैं, वहां पर भी खाद्य विभाग की नजर है।
जांच को भेजे गए 200 नमूने
न्यूज 18 की खबर के मुताबिक कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में गोलगप्पे के नमूने खाद्य विभाग ले रहा है। मॉल और सार्वजनिक स्थानों पर रैपिड फूड टेस्टिंग किट भी लगाई गई हैं। इन किटों के माध्यम से खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता की जांच होती है। खबर के मुताबिक पूरे कर्नाटक में 200 से अधिक गोलगप्पों की रेहड़ियों से नमूने लिए गए हैं। इन्हें जांच के लिए लैब भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही तय होगा कि गोलगप्पे पर प्रतिबंध लगेगा या नहीं। मगर लोगों की स्वास्थ्य चिंताओं को लेकर खाद्य विभाग ने यह पहल की है।

गोलगप्पों की सामग्री की जांच
कर्नाटक खाद्य विभाग गोलगप्पे को बनाने में इस्तेमाल होने वाली सामग्री की भी जांच कर रहा है। यह जानने की कोशिश की जा रही है कि इसमें कौन-कौन सी सामग्री पड़ती है और इसका स्वास्थ्य पर कैसा असर होता है? गोलगप्पे बनाने वाली इकाइयों पर भी छापेमारी की जा रही है। दावा है कि गोलगप्पों का स्वाद बढ़ाने की खातिर कई तरह के हानिकारक रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसका मानव शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
कृत्रिम रंगों से कैंसर होने का खतरा
कर्नाटक सरकार कॉटन कैंडी और गोभी मंचूरियन पर कृत्रिम रंगों के इस्तेमाल पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुकी है। सरकार ने यह प्रतिबंध स्वास्थ्य विभाग की जांच के बाद लगाया। जांच में पाया गया कि इन खाद्य पदार्थों में हानिकारक कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल किया गया है। इन रंगों की वजह से कैंसर जैसी घातक बीमारी हो सकती है।

दरअसल, कर्नाटक सरकार ने पूरे प्रदेश से कॉटन कैंडी और मंचूरियन के नमूने जुटाए थे। गोभी मंचूरियन के 171 में से 107 नमूनों में कृत्रिम रंग मिला। वहीं कॉटन कैंडी के 25 सैंपल में 15 हानिकारक निकले। कर्नाटक सरकार का कहना है कि कृत्रिम रंगों के इस्तेमाल से कैंसर जैसी घातक बीमारी होने का खतरा होता है।

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