टैरिफ को हथियार के तौर पर किया जा रहा इस्तेमाल, वित्त मंत्री ने ऐसा क्यों कहा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वैश्विक व्यापार में शुल्क और अन्य उपायों का हथियार के तौर पर इस्तेमाल बढ़ रहा है, इसलिए भारत को सावधानी से आगे ...और पढ़ें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि शुल्क और अन्य उपायों के जरिये वैश्विक व्यापार का 'हथियार के तौर पर इस्तेमाल' तेजी से बढ़ता जा रहा है और भारत को ऐसे में सावधानीपूर्वक आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की समग्र मजबूती देश को अतिरिक्त लाभ प्रदान करेगी।
वित्त मंत्री की यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च शुल्कों के कारण वैश्विक व्यापार बाधित हुआ है। मेक्सिको ने भी हाल ही में उन देशों पर उच्च शुल्क लगाने की घोषणा की है जिनके साथ उसके मुक्त व्यापार समझौते नहीं हैं।
यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीतारमण ने कहा कि अब यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि वैश्विक स्तर पर व्यापार स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा, 'शुल्क और अन्य कई उपायों के जरिये व्यापार को हथियार बनाया जा रहा है।
भारत को इसलिए सावधानीपूर्वक बातचीत करनी होगी और केवल शुल्क से निपटना काफी नहीं होगा ज्बल्कि हमारी समग्र आर्थिक मजबूती ही हमें अतिरिक्त लाभ प्रदान करेगी। उन्होंने कहा, 'भारत को यह कहकर उपदेश दिया जा सकता है कि आप (भारत) बहुत अंतर्मुखी हैं, आप शुल्क के बादशाह हैं इत्यादि। हालांकि शुल्क का दुरुपयोग हथियार के रूप में किया गया है।'
मंत्री ने कहा कि भारत का इरादा कभी भी शुल्क का इस्तेमाल हथियार के रूप में करने का नहीं रहा। सीतारमण ने कहा कि भारत ने केवल अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा की है ताकि वे ऐसे हालात से बच सकें जहां कोई देश या कंपनी अपने सस्ते सामान को बाजार में लाकर उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है।
मंत्री ने कहा कि आज व्यापार का हथियार के रूप में इस्तेमाल बिना किसी आलोचना के हो रहा है और कुछ देश कहते हैं कि शुल्क अच्छे नहीं हैं और किसी को भी यह कदम नहीं उठाना चाहिए। हालांकि अचानक नए लोग सामने आकर कहते हैं कि हम शुल्क बाधाएं खड़ी करेंगे और इस पर कोई सवाल नहीं उठाया जाता है। इस पर कोई सवाल नहीं उठाया जाता। इसलिए ऐसा लगता है कि यही नया सामान्य चलन बन गया है।
केंद्र सरकार ने वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए कुछ स्पष्ट लक्ष्य तय किए वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने वित्तीय प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए कुछ स्पष्ट लक्ष्य तय किए हैं और अपने कर्ज के सतर को कम किया है।
उन्होंने राज्यों से भी ऐसा करने का आग्रह किया ताकि देश 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का अपना लक्ष्य हासिल कर सके। उन्होंने कहा, ''केंद्र सरकार ने बजट तैयार करते समय पारदर्शिता के लक्ष्य तय किए हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि वित्तीय प्रबंधन सभी को दिखाई दे और जवाबदेही तय हो सके।
उन्होंने कहा कि इसी का नतीजा है कि हम कोरोना के बाद जीडीपी के अनुपात में कर्ज को कम करने में सक्षम हुए हैं। बता दें कि कोरोना के बाद जीडीपी के अनुपात में कर्ज 61.4 प्रतिशत हो गया था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों से इसे 2023-24 तक 57.1 प्रतिशत तक लाने में मदद मिली।
सरकार को उम्मीद है कि इस साल यह घटकर 56.1 प्रतिशत हो जाएगा। सीतारमण ने कहा कि राज्य कर्ज चुकाने के लिए कर्ज ले रहे हैं, लेकिन विकासात्मक खर्च के लिए कर्ज नहीं ले रहे हैं। यह वित्तीय क्षेत्र में एक खराब खेल है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।