सरकारी बैंकों के प्रमुखों से मिली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, साइबर सुरक्षा से संबंधित चिंताओं समेत इन मुद्दों पर की चर्चा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को सरकारी बैंकों के प्रमुख के साथ बैठक की। फ्रॉड और जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों से संबंधित मुद्दों व नेशनल एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड की प्रगति पर भी विचार विमर्श किया गया। सूत्रों के अनुसार 2024-25 के बजट से पहले यह संभवत अंतिम समीक्षा बैठक थी। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सरकारी बैंकों को 68500 करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ।
पीटीआई, नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को सरकारी बैंकों के प्रमुख के साथ बैठक की। इस दौरान बैंकों के वित्तीय प्रदर्शन की समीक्षा की गई। सूत्रों के अनुसार, बैठक में साइबर सुरक्षा से संबंधित चिंताओं और वित्तीय क्षेत्र पर इसके जोखिमों को लेकर चर्चा की गई।
साथ ही फ्रॉड और जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों से संबंधित मुद्दों व नेशनल एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) की प्रगति पर भी विचार विमर्श किया गया। सूत्रों के अनुसार, 2024-25 के बजट से पहले यह संभवत अंतिम समीक्षा बैठक थी।
सरकारी बैंकों को 68,500 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ
प्रदर्शन के मोर्चे पर बात करें तो चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सरकारी बैंकों को 68,500 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ हुआ है। बैठक में बताया गया कि वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान बैंकों की बैलेंस शीट में जमा और कर्ज वितरण के लिहाज से स्वस्थ वृद्धि रही है। मार्च 2023 में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का सकल एनपीए एक दशक के निचले स्तर 3.9 प्रतिशत पर रहा था, जो सितंबर में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकों की संपत्ति गुणवत्ता में वित्त वर्ष 2018-19 से सुधार शुरू हुआ जो 2022-23 के दौरान भी जारी रहा है। इस महीने की शुरुआत में भी वित्त मंत्रालय ने सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ बैठक की थी। इस बैठक में वित्तीय सेवाओं के सचिव विवेक जोशी ने बैंक प्रमुखों को दिवालिया प्रक्रिया के अधीन सभी मामलों पर नजर बनाए रखने के लिए कहा था।
साइबर सुरक्षा को लेकर भी हुई चर्चा
इस बीच वित्त मंत्री ने संवेदनशील वित्तीय जानकारी और प्रणालियों को साइबर हमलों से बचाने के लिए सक्रिय साइबर सुरक्षा उपायों को अपनाने और कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू करने की आवश्यकता पर ध्यान दिया। उन्होंने बैंकों से उभरते डिजिटल परिदृश्य को अपनाने का आह्वान किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि घरेलू वित्तीय प्रणालियों की अखंडता से कोई समझौता नहीं किया जा सके।
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