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    मप्र के खालवा का जंगल नजर आई दुर्लभ प्रजाति की उड़न गिलहरी, जानें इसके बारे में

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Sun, 12 Jan 2020 09:27 PM (IST)

    कालीभीत के जंगल में दुर्लभ प्रजाति की उड़न गिलहरी भी नजर आई है। यह उड़ने वाली गिलहरी देश के अन्य जंगलों और अभयारण्यों में कम ही बची है। ...और पढ़ें

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    मप्र के खालवा का जंगल नजर आई दुर्लभ प्रजाति की उड़न गिलहरी, जानें इसके बारे में

    खंडवा/खालवा, नईदुनिया प्रतिनिधि। मध्य प्रदेश के खंडवा वनमंडल में सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच कालीभीत के जंगलों में कीमती वनस्पति और जड़ी बूटियों का खजाना है, वहीं दुर्लभ प्रजाति के वन्य प्राणी और पक्षी भी हैं। हाल ही में यहां दुर्लभ प्रजाति की 'उड़न गिलहरी' भी नजर आई है। यह उड़ने वाली गिलहरी देश के अन्य जंगलों और अभयारण्यों में कम ही बची है। इसकी मौजूदगी से खालवा क्षेत्र के जंगल का महत्व और बढ़ गया है। 

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    जंगल में वन्य प्राणियों की गतिविधियों व सुरक्षा के लिए लगे नाइट विजन कैमरे में वन्य प्राणियों के बीच उड़न गिलहरी की गतिविधि भी कै द हुई हैं। खालवा के जंगलों में चीता, तेंदुआ, नीलगाय, चौसिंगा, भालू सहित विभिन्न प्रकार के शाकाहारी और मांसाहारी वन्य प्राणी, पशु व पक्षी मौजूद हैं। इनके बीच यहां दुर्लभ उड़न गिलहरी भी पाई जाती है। यह दुर्लभ वन्य प्राणी के रूप में जानी जाती है। इनकी मौजूदगी से यह क्षेत्र किसी अभयारण्य से कम नहीं है। यह विलुप्त होने की कगार पर है। भारत में मध्य प्रदेश और राजस्थान के सीमावर्ती सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य और महुआ और सागौन के सघन जंगलों में मिलती है।

    निशाचर प्राणी

    वनपरिक्षेत्र खालवा के वनपरिक्षेत्र अधिकारी उत्तम सिंग सस्तिया ने बताया कि इस क्षेत्र का जंगल दुर्लभ वन्य प्राणियों से भरा पड़ा है। राष्ट्रीय अभयारण्यों से भी अधिक व विभिन्न प्रजाति के वन्य प्राणी यहां है। इस क्षेत्र में उड़न गिलहरी भी देखने को मिली है। यह नेवले के आकार की होती है और पेड़ के कोठर में रहती है। यह रात्रि में भोजन की तलाश में निकलती है।

    यह ग्लाइड करती है

    उड़न गिलहरी की खूबी है कि यह एक पेड़ से दूसरे या नीचे उतरने के लिए ग्लाइड करती है। यह विचरण करते समय अपने चारों पैरों को समान दूरी पर फै लाती है। पैरों के बीच की लचीली चमड़ी एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर छलांग लगाते समय पैराशूट के रूप में खुलती है। इससे वह आसानी से अपने शरीर को नियंत्रित कर हवा में सुरक्षित छलांग लगती है, इसलिए इसे उड़न गिलहरी कहा जाता है। यह 20 से 40 फीट तक संतुलन बनाकर छलांग लगाती है।

    भारत में पायी जाती हैं गिलहरी की 12 प्रजातियां

    एसएन कॉलेज खंडवा के प्राणी शास्त्र विभाग के व्याख्याता विवेक के शोरे ने बताया कि  शाकाहारी प्राणी उड़ने वाली गिलहरी शाकाहारी प्राणी है। इसका वैज्ञानिक नाम टेरोमायनी या पेटौरिस्टाइनी है। जो पीटाॉरिस्ट फिलिपेंसीस परिवार की गिलहरी की 50 प्रजातियों में से भारत में 12 पाई जाती है, यह उनमें से एक है।