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    'हम सत्तू खाकर काम मिलने का इंतजार करेंगे', ठेकेदार का घर डूबा, सिक्किम बाढ़ प्रभावित लोगों की दर्द भरी कहानी

    सिक्किम बाढ़ की विभीषिका के बीच लोगों ने अपनी दर्दनाक कहानियां सुनाई हैं। 28 साल की मिष्टी हलदर ने बताया कि जब वो बुधवार की सुबह उठी तो उसने देखा सिलीगुड़ी के पास माटीगाड़ा में तीस्ता नदी उसके बरामदे से कुछ ही दूरी पर बह रही थी। मिष्टी ने देखा कि बाढ़ के कारण नदी के तेज बहाव में टेंट बर्तन और जानवरों के शव बह रहे थे।

    By Jagran NewsEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Thu, 05 Oct 2023 12:44 PM (IST)
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    सिक्किम बाढ़ से प्रभावित लोगों की सुनाई दर्दनाक कहानियां (फोटो, जागरण)

    पीटीआई, न्यू जलपाईगुड़ी। सिक्किम में ल्होनक झील के ऊपर बादल फटने से बुधवार (4 अक्टूबर) को तीस्ता नदी में अचानक बाढ़ आ गई। पानी के बहाव में सेना के 23 जवान लापता हो गए। राज्य सरकार ने ताजा जानकारी बताते हुए कहा है कि अबतक 14 लोगों की मौत हो गई है और 100 से ज्यादा लोग लापता बताए गए साथ ही 26 लोग घायल हैं।

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    बाढ़ की विभीषिका के बीच लोगों ने अपनी दर्दनाक कहानियां सुनाई हैं। 28 साल की मिष्टी हलदर ने बताया कि जब वो बुधवार की सुबह उठी तो उसने देखा, सिलीगुड़ी के पास माटीगाड़ा में तीस्ता नदी उसके बरामदे से कुछ ही दूरी पर बह रही थी। तीस्ता नदी मिष्टी के घर से लगभग 250 मीटर की दूरी पर है, लेकिन उसने देखा कि बाढ़ के कारण नदी के तेज बहाव में टेंट, बर्तन और जानवरों के शव बह रहे थे।

    'टेंट शिविर उखड़ कर नदी में बह रहे थे'

    गृहिणी मिष्टी हलदर ने कहा, "सिक्किम में अचानक आई बाढ़ और बारिश की वजह से तीस्ता नदी रात भर में उफान पर आ गई। इसकी वजह से हमारे जिले के निचले इलाकों में बाढ़ आ गई। ऊपरी इलाकों में पर्यटकों या सेना के उखड़े टेंट शिविर नदी में बह रहे थे। यह एक अविश्वसनीय दृश्य था।"

    गुरुवार को कम हुआ नदी का जलस्तर

    मिष्टी ने बताया कि पुलिस ने बाढ़ का पानी बढ़ता देख जल्द ही उन्हें पास के स्कूल में बने आश्रय स्थल में जाने के लिए कहा। उन्होंने कहा, "हममें से कई लोग घर से अपने सूटकेस के साथ यह प्रार्थना करते हुए चले गए कि हमारे घर बच जाएं।" हालांकि गुरुवार यानी आज नदी का जलस्तर कम हो गया और मिष्टी हलदर और उनके जैसे सैकड़ों अन्य लोग अपने घरों में लौट आए। हालांकि, सैकड़ों लोग राज्य सरकार द्वारा बनाए गए अस्थायी बाढ़ आश्रय स्थलों में रूके हुए हैं।

    उत्तरी बंगाल के मैदानी इलाकों में भी अचानक आई बाढ़

    सिक्किम के अलावा उत्तरी बंगाल के मैदानी इलाकों में भी अचानक आई बाढ़ से लोग प्रभावित हैं। जल एवं सिंचाई विभाग के एक अधिकारी समासार एजेंसी पीटीआई को बताया कि बाढ़ से बचने के लिए तीस्ता नदी पर गाजोलडोबा बैराज के सभी गेट खोलने होंगे।

    पर्यटकों का ग्रुप सिंगटेम के पास बिना खाने के फंसा

    वहीं, बाइक-ट्रैकिंग टूर पर गए कोलकाता से पर्यटकों का एक ग्रुप सिंगटेम के पास बिना खाने के फंस गया। ग्रुप के पास वहां से वापस आने का कोई रास्ता नहीं मिल रहा था क्योंकि सिक्किम को पूरे भारत से जोड़ने वाला एनएच 10, राजमार्ग बाढ़ में जगह-जगह से बह गया है। इनमें से एक पर्यटक राजीब भट्टाचार्य ने कहा, "कम से कम हम सुरक्षित बच गए और बाद में हम एक घर ढूंढने में कामयाब रहे। यहां हमें खाने के लिए नूडल्स मिल गए।"

    रेलवे स्टेशन पर फंसे निर्माण मजदूर

    वहीं, सिक्किम जा रहे 33 साल के निर्माण मजदूर रमाकांत यादव अपने आठ साथियों के साथ न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन पर फंस गए। रमाकांत उन सैकड़ों पर्यटकों, श्रमिकों और छात्रों में से हैं जो रेलवे स्टेशन पर फंसे हुए हैं।

    रमाकांत यादव ने कहा, "हमने कैब किराए पर लेकर जाने की कोशिश की लेकिन हमें बीच रास्ते से ही वापस लौटा दिया गया। हमारे पास यात्रा के पैसे अब खत्म हो गए हैं।

    यादव ने कहा "हमारा ठेकेदार सिक्किम से है। वो हमारी मदद करने में असमर्थ है, क्योंकि उसका अपना घर बाढ़ में डूब गया है। हम कुछ दिनों तक और इंतजार करेंगे। हम अपने साथ 'सत्तू' लाए हैं वही खाएंगे। अगर हमें कोई काम नहीं मिला तो घर वापस चले जाएंगे।"

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