छलावा है संविधान संशोधन, नेपाली सरकार की मंशा पर सवाल: मधेशी नेता
नेपाल के एक वरिष्ठ मधेशी नेता और सद्भावना पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र महतो ने चेतावनी दी है कि नेपाल के तराई में चार महीने से अधिक 'पुराने मधेशी आंदोलन का एक त्रुटिपूर्ण हल होने से पड़ोसी देश भारत के साथ सुरक्षा सबंधों पर गहरा प्रभाव पड सकता है।
नई दिल्ली। नेपाल के एक वरिष्ठ मधेशी नेता और सद्भावना पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र महतो ने चेतावनी दी है कि नेपाल के तराई में चार महीने से अधिक 'पुराने मधेशी आंदोलन का एक त्रुटिपूर्ण हल होने से पड़ोसी देश भारत के साथ सुरक्षा सबंधों पर गहरा प्रभाव पड सकता है क्योंकि भारत की लगभग 1,100 किलोमीटर की खुली दक्षिणी मैदानी सीमा हिमालयी देश के साथ जुड़ी हुई है। महतो का कहना है कि नेपाल सरकार सरकार मुद्दों छिपाने की कोशिश कर रही है जिसके कारण देश को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
मधेशी नेता के अनुसार नई दिल्ली को ऐतिहासिक आंदोलन को कमजोर करने के लिए किए जा प्रयासों के विस्तार का स्वागत करने से बचना चाहिए। छह लाख से भी अधिक मधेशी पिछले साल 16 अगस्त से अपनी मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे हैं और संविधान संशोधन की मांग कर रहे हैं। 57 वर्षीय महतो जो मधेशी आंदोलन के प्रमुख नेता हैं, ने एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए यह बात कही। नेपाल में पिछले साल 20 सितंबर संविधान सभा द्वारा नया संविधान अपनाया गया था और उसके बाद से ही इस नए संविधान के खिलाफ नेपाल के तराई क्षेत्र में कई विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
नेपाल के बीपी. कोईराला आयुर्विज्ञान संस्थान, धारण में आरम्भिक इलाज कराने के बाद 1 जनवरी को भारत में आए महतो ने गुडगांव के मेंदाता मेडिसिटी अस्पताल में अपना ईलाज करवाया जहां उन्हें विशेष चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जा रही थी और गुरूवार को उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली है। महतो ने कहा कि मधेशी अपने आंदोलन का सही हल चाहते हैं उनका कहना है, “ये आर पार की लड़ाई है, आंदोलन लंबा हो तो भी ठीक है.... पर सैटलमेंट प्रॉपर होना चाहिए।”
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