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    16 अप्रैल 1853: भारत में इसी दिन बॉम्बे से ठाणे के बीच चली थी पहली ट्रेन

    By Sonu GuptaEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Sat, 08 Apr 2023 06:21 PM (IST)

    भारत में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को मुंबई (बॉम्बे) के बोरीबंदर से ठाणे के बीच चालाई गई थी। ट्रेन ने अपना सफर स्टेशन पर मौजूद भारी संख्या में लोगों की भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट और 21 तोपों की सलामी के साथ ही शुरू हुआ था। फाइल फोटो।

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    भारत में 16 अप्रैल 1853 को बॉम्बे से ठाणे के बीच चली थी पहली ट्रेन।

    नई दिल्ली, सोनू गुप्ता। भारतीय रेल का इतिहास बहुत पुराना है। देश में पहली ट्रेन 18वीं सदी में चालाई गई थी। अंग्रेजों के शासन काल से ही भारत में रेलवे का विकास होना शुरू हो गया था। देश में पहली ट्रेन 16 अप्रैल 1853 को मुंबई (बॉम्बे) के बोरीबंदर से ठाणे के बीच चालाई गई थी। इस दिन को देश में भारतीय रेल परिवहन दिवस (Indian Rail Transport day) के रूप में मनाया जाता है। मालूम हो कि बॉम्बे को ठाणे, कल्याण, थाल और भोर घाटों के साथ जोड़ने के लिए भारत में रेलवे का विचार पहली बार साल 1843 में भांडुप (Bhandup) की यात्रा के दौरान बॉम्बे सरकार के चीफ इंजीनियर जॉर्ज क्लार्क (George Clark) को आया था।

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    21 तोपों की सलामी के साथ ही शुरू हुआ था ट्रेन का सफर

    अंग्रेजों में भारत में रेल का नेटवर्क अपने व्यापार के लिए बिछाया था। कई लोगों को लगता है कि यह ट्रेन एक माल गाड़ी थी और भारत में रेल परिवहन के लिहाज से पहली गाड़ी थी। लेकिन हकीकत यह है कि यह एक पहली यात्री ट्रेन थी और इसमें 400 लोगों में सफर किया था। इस दौरान 34 किलोमीटर का यह सफर इस ट्रेन ने एक घंटा 15 मिनट में पूरा किया था। ट्रेन ने अपना सफर स्टेशन पर मौजूद भारी संख्या में लोगों की भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट और 21 तोपों की सलामी के साथ ही शुरू हुआ था।

    400 लोगों ने किया था डेक्कन क्वीन की सवारी

    भारत में चलाई गई पहली डेक्कन क्वीन नाम की इस ट्रेन में कुल 14 डिब्बे थे। यह ट्रेन दोपहर 3.30 बजे बोरीबंदर से प्रारंभ हुई थी, जिसे आज छत्रपति शिवाजी टर्मिनल स्टेशन के नाम से जाना जाता है और अपने गंत्वय पर शाम 4.45 बजे पहुंची थी। इस ट्रेन को चलाने के लिए तीन इंजनों का उपयोग किया गया था, जिसको अंग्रेजो ने ब्रिटेन से मंगवाया था। इन इंजनों के नाम साहिब, सुल्तान और सिंध थे। इस ट्रेन में चार सौ लोगों ने सफर किया था। भारत में रेलवे की शुरुआत उस दौरान एक बड़ी उपलब्धि थी।

    1837 में चली थी देश की पहली मालगाड़ी ट्रेन

    अंग्रेजों ने भारत में रेल नेटवर्क को लोगों की जरूरत के लिए नहीं बल्कि अपने माल की आवाजाही को प्राथमिकता के लिए बनाया गया। भारत में रेलवे के प्रयास 1932 में मद्रास से शुरु हुए थे। रेल परिवहन के नाम पर भारत में सबसे पहले मालगाड़ी चली थी जिसका नाम रेड हिल रेलवे था। यह मद्रास में रेड हिल से चिंताद्रीपेट ब्रिज तक 1837 में चली थी। साल 1932 के दौरान ब्रिटेन में रेल यात्रा अपनी प्रारंभिक अवस्था में थी, लेकिन ईस्ट इंडिया कंपनी एक व्यापक रेल नेटवर्क विकसित करने के लाभों के बारे में जानती थी। हालांकि एक लंबे दशक की निष्क्रियता के बाद निजी उद्यमियों को साल 1844 में भारत के गवर्नर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग द्वारा एक रेल प्रणाली स्थापित करने की अनुमति दी गई और साल 1845 में "ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी" और "ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे(GIPR)" नामक दो कंपनियों का गठन किया गया था।

    हावड़ा स्टेशन से निकली थी पूर्व की पहली सार्वजनिक यात्री ट्रेन

    देश में पूर्व की पहली सार्वजनिक यात्री ट्रेन 15 अगस्त, 1854 को हावड़ा से हुगली के लिए रवाना हुई। इस ट्रेन ने कुल 24 मील की दूरी तय की। इस प्रकार ईस्ट इंडियन रेलवे का पहला खंड सार्वजनिक यातायात के लिए खोल दिया गया, जिससे पूर्वी दिशा में रेलवे परिवहन की शुरुआत हुई, जबकि दक्षिण में पहली लाइन 1 जुलाई, 1856 को मद्रास रेलवे कंपनी द्वारा खोली गई थी। यह व्यासपदी जीवा निलयम (Vyasarpadi Jeeva Nilayam) (वेयासारपैडी) और वालाजाह रोड (Walajah Road) (आरकोट) के बीच 63 मील की दूरी पर चली थी।

    उत्तर में 3 मार्च 1859 को इलाहाबाद से कानपुर तक 119 मील लंबी लाइन बिछाई गई थी। हाथरस रोड (Hathras Road) से मथुरा छावनी तक का पहला खंड 19 अक्टूबर, 1875 को यातायात के लिए खोल दिया गया था। ये छोटी शुरुआत थी जो कि पूरे देश में रेलवे लाइनों के नेटवर्क के रूप में विकसित हुई। 1880 तक भारतीय रेल प्रणाली का रूट माइलेज लगभग 9000 मील था।

    यात्री रेलवे का परिचय और विस्तार (1853-1924)

    1853- 16 अप्रैल को भारत में पहली ट्रेन बॉम्बे (मुंबई) से ठाणे के लिए रवाना हुई थी। ट्रेन में 14 डिब्बे हैं और इसे साहिब, सिंध और सुल्तान नाम के तीन स्टीम लोकोमोटिव इंजनों द्वारा खींचा गया था। इसने लगभग 34 किमी की यात्रा की और लगभग 400 लोगों ने यात्रा किया था। इसके रेलवे यात्री लाइन का निर्माण और संचालन ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे (GIPR) द्वारा किया गया था।

    1854- पूर्वी खंड में पहली यात्री ट्रेन हावड़ा से हुगली (24 मील) तक संचालित की गई थी। इस रेलवे लाइन का निर्माण और प्रबंधन ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी (ईआईआर) द्वारा किया गया था।

    1854- GIPR बॉम्बे-ठाणे लाइन को बढ़ा दिया गया था और यह एक डबल-ट्रैक लाइन थी। इसका उद्घाटन लॉर्ड एलफिन्स्टन (Lord Elphinstone) ने किया था।

    1855 - बीबी और सीआई रेलवे (BB&CI Railway) को शामिल किया गया, जिसने सूरत-बड़ौदा लाइन पर अपना काम शुरू किया। ठाणे-कल्याण लाइन को उत्तर-पूर्व में वासिंद तक भी बढ़ाया गया था। इसके साथ ही इसी अवधि के दौरान अगस्त में ईआईआर एक्सप्रेस और फेयरी क्वीन स्टीम लोकोमोटिव लॉन्च किए गए थे।

    1856- मद्रास रेलवे कंपनी द्वारा रोयापुरम-वल्लाजाह रेल लाइन का निर्माण किया गया था। दक्षिण में पहली ट्रेन सेवा एक जुलाई को मद्रास रेलवे कंपनी द्वारा रोयापुरम/वेयासरापदी (मद्रास) से वालाजाह रोड (आरकोट) तक शुरू की गई थी। साथ ही, सिंध बाद में सिंध, पंजाब और दिल्ली रेलवे का गठन किया गया जो एक गारंटीकृत रेलवे था। इसी साल में मद्रास रेलवे की पहली कार्यशाला भी मद्रास के पास पेरंबूर में खोली गई थी।

    1859- उत्तर में पहली ट्रेन 3 मार्च को इलाहाबाद से कानपुर के बीच चलाई गई थी। साथ ही पूर्वी बंगाल रेलवे ने कलकत्ता-कुश्तिया लाइन पर भी निर्माण शुरू किया। कलकत्ता और दक्षिण-पूर्वी रेलवे का गठन सरकार से 5% गारंटी के साथ किया गया था।

    1855-1870- विभिन्न रेलवे लाइन कंपनियों को शामिल किया गया।

    1860- GIPR ने भुसावल स्टेशन को स्थापित किया। इसी दौरान वासिंद-आसनगांव लाइन खोली गई।

    1862- 8 फरवरी को जमालपुर लोको वर्क्स की स्थापना की गई। इसी वर्ष मद्रास रेलवे लाइन को रेणिगुंटा तक बढ़ाया गया था।

    1863- 14 मई को बॉम्बे से भोरे घाट से पुणे तक GIPR लाइन का निर्माण किया गया था।

    1864- 1 अगस्त को दिल्ली और कलकत्ता के बीच पहली ट्रेन को चलाया गया था।

    भारतीय रेलवे (औद्योगिक रेलवे) का इतिहास: 1832-1852

    • 1832- भारत में रेलवे का प्रस्ताव सर्वप्रथम मद्रास में किया गया था।
    • 1835-36- मद्रास के पास चिंताद्रिपेट में एक छोटी रेलवे लाइन का निर्माण किया गया था। यह बाद में रेड हिल रेलमार्ग बन गया।
    • 1873- रेड हिल रेलवे नाम की देश की पहली ट्रेन रेड हिल्स से मद्रास में चिंताद्रीपेट पुल तक चली। इसे रोटरी स्टीम लोकोमोटिव इंजन द्वारा खींचा गया था। इंजन विलियम एवरी द्वारा निर्मित और इंजीनियर आर्थर कॉटन द्वारा बनाया गया था। रेलवे का उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट पत्थर के परिवहन के लिए किया जाता था।
    • 1840 का दशक- मुख्य रूप से कलकत्ता (EIR) और बॉम्बे (GIPR) के आसपास भारत में रेलवे के लिए कई प्रस्ताव।
    • 1845- राजमुंदरी के पास एक रेलवे चल रही थी। गोदावरी बांध निर्माण रेलवे राजमुंदरी के दौलेश्वरम में बनाया गया था। इसे भी आर्थर कॉटन ने बनाया था।
    • 8 मई 1845- मद्रास रेलवे को शामिल किया गया था, उसके बाद उस वर्ष ईस्ट इंडिया रेलवे का गठन किया गया था।
    • 1 अगस्त 1849- ग्रेट इंडियन पेनिनसुलर रेलवे (GIPR) को संसद के एक अधिनियम द्वारा शामिल किया गया था।
    • 1851- रुड़की में 22 दिसंबर से शुरू हुए निर्माण कार्य के लिए लोकोमोटिव थॉमसन का इस्तेमाल किया गया था।
    • 1852- मद्रास गारंटीड रेलवे कंपनी का गठन किया गया।

    रेलवे से संबंधित कुछ अन्य तथ्य

    पहली रेलवे वर्कशॉप 1862 में बिहार के मुंगेर के पास जमालपुर में स्थापित की गई थी। यह धीरे-धीरे भारत की प्रमुख औद्योगिक इकाई में से एक बन गई, जिसमें लोहा और इस्पात फाउंड्री, रोलिंग मिल और बहुत कुछ था।

    1864 में, दिल्ली जंक्शन, शहर का सबसे पुराना, यह एक प्रमुख स्टेशन और जंक्शन था और आज तक बना हुआ है। यह पहली बार 1864 में चांदनी चौक के पास स्थापित किया गया था जब हावड़ा/कलकत्ता से ट्रेनों का संचालन दिल्ली तक शुरू हुआ था।

    उत्तर में अगला महत्वपूर्ण स्टेशन लखनऊ था। यह अवध और रोहिलखंड रेलवे (O&RR) का मुख्यालय था, जिसकी लखनऊ से कानपुर तक पहली लाइन अप्रैल 1867 में बिछाई गई थी।

    1880 में, दार्जिलिंग स्टीम ट्रामवे (बाद में दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे) ने सिलीगुड़ी और कुर्सेओंग (Kurseong) के बीच अपना पहला खंड शुरू किया। 1881 में लाइन को दार्जिलिंग तक बढ़ा दिया गया था। यह लाइन नैरो गेज पर संचालित हुई और 1999 में इसे विश्व विरासत का दर्जा दिया गया था, जो इस तरह का दर्जा पाने वाला एशिया का पहला रेलवे था।