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    Mike Shot: धरती से जीवन को खत्‍म करने की ताकत रखते हैं विश्‍व में मौजूद हाइड्रोजन बम

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 01 Mar 2021 10:06 AM (IST)

    अमेरिका ने जिस हाइड्रोजन बम का परीक्षण 1 मार्च 1952 को किया था वो हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बम से कहीं अधिक शक्तिशाली था। इस धरती पर मौजूद ये बम पृथ्‍वी से जीवन को खत्‍म कर सकते हैं।

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    1 मार्च 1952 को अमेरिका ने किया था पहला परीक्षण

    नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। दुनिया के इतिहास में 1 मार्च का दिन हाइड्रोजन बम के परीक्षण के रूप में दर्ज है। ये मानव इतिहास में अब तक किया गया सबसे बड़ा विस्‍फोट था। इसकी ताकत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ये हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए एटम बम की तुलना में कहीं अधिक शक्तिशाली था। अमेरिका ने इसकी टेस्टिंग को माइक शॉट का निकनेम दिया था।  

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    इस बम को बनाने के पीछे दुनिया को अपनी ताकत के बारे में बताना भी था। 1952 में अमेरिका ने ये परीक्षण प्रशांत क्षेत्र में स्थित मार्शल द्वीपों के बिकिनी द्वीपसमूह पर किया था। इसकी वजह से यहां पर जीवन पूरी तरह से खत्म हो गया था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि उस वक्‍त में इसके प्रभाव का आकलन करने वाले सभी उपकरण ऐसा करने में विफल हो गए थे। इसकी वजह थी कि ये उनके आकलन से कहीं अधिक शक्तिशाली था। आज तक इस बम का कहीं इस्‍तेमाल नहीं किया गया है और मानवता को बचाए रखने के लिए यही जरूरी भी है।

    आपको बता दें कि जब 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर बम गिराया गया था उस वक्‍त उससे निकली तेज चमक और उसकी वजह से बढ़े तापमान में वहां इंसानों की हड्डियां भी भाप बनकर उड़ गई थीं। हाइड्रोजन बम का प्रभाव इसकी तुलना में कहीं अधिक है। इस तरह के बम को वैज्ञानिक अपनी भाषा में थर्मोन्यूक्लियर बम या एच-बम भी कहते हैं। दुनिया के कुछ ही देशों के पास इस तरह का बम है जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस, भारत, पाकिस्तान और इजराइल शामिल हैं।

    एनरिको फर्मी को हाइड्रोजन बम बनाने का श्रेय दिया जाता है। इस तरह के बम बनाने में ट्रिटियम और ड्यूटिरियम का इस्‍तेमाल किया जाता है। ये बम आइसोटोप्स के आपस में जुड़ने के सिद्धांत पर काम करता है। इस सिद्धांत पर सूर्य अपनी ताकत को बनाए रखता है। इस हाइड्रोजन बम के तीन प्रमुख चरण होते हैं। इसके धमाके से होने वाली ऊर्जा सूरज से उत्‍पन्‍न होने वाली ऊर्जा के ही बराबर होती है। इसको देखने भर से ही कोई इंसान अंधा हो सकता है। इसके धमाके से पैदा होने वाली शॉकवेव्‍स किसी भी चीज को नष्‍ट कर सकती हैं और सैकड़ों मीटर दूर तक फेंक सकती हैं। ये कितना भयानक हो सकता है इसका केवल अंदाजा ही लगाया जा सकता है।

    आपको बता दें कि दुनिया के कुछ देश ऐसे भी हैं जिनके पास इस तरह के बम होने का संदेह है। दुनिया में इस तरह के सैकड़ों से लेकर हजारों तक बम है, जो धरती पर जीवन को खत्‍म कर सकते हैं। हर देश इसकी ताकत को जानता है इसलिए इस तरह के बम का उपयोग करने से बचता है। आपको बता दें कि दूसरे विश्‍व युद्ध के दौरान 'ब्लॉकबस्टर' में करीब 11 टन ट्राईनाइट्रोटोलुईन (TNT) प्रयुक्त हुआ था। हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरा परमाणु बम में इससे करीब 2000 गुना अधिक शक्तिशाली था। इसका धमाका टीएनटी के 22,000 टन के बराबर था। हाइड्रोजन बम इससे कहीं अधिक शक्तिशाली है।