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    इस बार देखने को नहीं मिलेगा 'हिंगोट युद्ध', 200 साल में पहली बार टूटी परंपरा

    By Manish PandeyEdited By:
    Updated: Sun, 15 Nov 2020 09:46 AM (IST)

    हिंगोट युद्ध में कई लोग घायल भी हो जाते हैं। इसमें कई लोगों की जान भी जा चुकि है। इसको देखते हुए जिला प्रशासन युद्ध के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करता है। आपात स्थिति से निपटने के लिए फायर बिग्रेड और एंबुलेंस तैनात रहती हैं।

    कोरोना संक्रमण के कारण प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी है।

    इंदौर, एएनआइ। कोराना वायरस के प्रकोप के कारण मध्य प्रदेश में युद्ध की सदियों पुरानी परंपरा हिंगोट इस बार नहीं मनाई जाएगी। इतिहास में यह पहली बार है जब प्रशासन ने कोरोना संक्रमण के कारण इसकी अनुमति नहीं दी है। हिंगोट युद्ध दो समूहों द्वारा दीवाली के एक दिन बाद मनाई जाती है। कलंगी और तुर्रा समूह के लोग गौतमपुरा के देपालपुर गांव में एक दूसरे पर बारूद से भरे हुए हिंगोट से फेंकते हैं।

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    हिंगोट युद्ध को प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने से नराज कांग्रेस विधायक विशाल पटेल ने भाजपा पर हमला बला है। देपालपुर निर्वाचन क्षेत्र के कांग्रेस विधायक पटेल ने कहा कि अधिकारियों ने कोरोना महामारी के कारण इस साल हिंगोट युद्ध का जश्न मनाने की अनुमति नहीं दी, हालांकि चुनाव प्रचार में विशाल समारोह आयोजित किए गए थे।

    उन्होंने भाजपा पर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप लगाया और कहा कि अधिकारियों को पारंपरिक आयोजनों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए और उन्हें जल्द से जल्द अनुमति देनी चाहिए। चुनाव अभियानों में हजारों लोग रैलियों के लिए इकट्ठा हुए थे। रैलियों और चुनाव प्रचार के लिए भी अनुमति दी गई थी।

    पटेल ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर हिंगोट युद्ध की अनुमति देने की मांग की थी, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। हिंगोट युद्ध दशकों से हो रहा है। इसमें ना कोई विजेता है और ना ही कोई हारने वाला। यहां बस परंपराओं को जीवित रखा जा रहा है।

    वहीं, गौतमपुरा तहसीलदार बजरंग बहादुर ने कहा कि कोरोना महामारी के मद्देनजर इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है। उन्होंने बताया कि इस आयोजन में लगभग 15,000 से 20,000 लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है, जिससे वायरस फैल सकता है। राज्य सरकार और जिला कलेक्टर के आदेशों के अनुसार, ऐसे सभी आयोजन जहां अधिक भीड़ इकट्ठा होगी है, उन्हें कोरोना महामारी के कारण अनुमति नहीं दी जा सकती है। यही कारण है कि इस साल हिंगोट युद्ध नहीं देखने को मिलेगा।

    बता दें कि तुर्रा टीम रुणजी गांव की है, जबकि कलंगी की टीम इंदौर से लगभग 59 किलोमीटर दूर गौतमपुरा गाव की है। यह आयोजन में कई लोग घायल भी हो जाते हैं। यही नहीं इसमें अबतक कई लोगों की जान भी जा चुकि है। मान्यता है कि गौतमपुरा क्षेत्र की सुरक्षा में तैनात सैनिकों ने मुगल सेना के घुड़सवारों पर हिंगोट दागते थे। यहीं से यह परंपरा शुरू हुई।