Budget 2017: पॉलिटिकल फंडिंग पर बड़ा फैसला, 2 हजार से ऊपर कैश लेने पर रोक
आम बजट 2017 को वित्त मंत्री अरुण जेटली सदन में पेश कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने राजीनितिक दलों को मिलने वाले चंदे पर बड़ा ऐलान किया।
नई दिल्ली(जेएएनएन)। राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे के संबंध में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बड़ा ऐलान किया है। लोकसभा में पेश आम बजट 2017 को पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अब कोई भी राजनीतिक दल एक स्रोत के जरिए 2 हजार रुपये से ज्यादा कैश के रूप में चंदा नहीं ले सकेगा। 2 हजार रुपये के ऊपर चंदा डिजिटल जैसे चेक, ईसीएस और बान्ड्स के जरिए हासिल कर सकेंगे। इससे पहले 20 हजार रूपये तक राजनीतिक दल कैश के रूप में चंदा ले सकते थे। इसके अलावा 20 हजार के चंदे के बारे में स्रोत बताने से छूट हासिल थी। लेकिन अब राजनीतिक दलों को कैश चंदा लेने पर स्रोत बताना पड़ेगा।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि राजनीतिक दल अरसे से चंदे में पारदर्शिता की मांग करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि अक्सर ये देखा गया है कि राजनीतिक दल उन स्रोतों के बारे में बताने से कतराते थे, जहां से वो चंदा हासिल करते थे।
राजनीतिक चंदे पर वित्त मंत्री का ऐलान
- चुनाव आयोग की सिफारिश के आधार पर कोई भी राजनीतिक दल किसी भी स्रोत से 2,000 रुपये से ज्यादा का चंदा कैश में नहीं ले पाएगा।
- राजनीतिक दल 2,000 रुपये से ज्यादा का चंदा चेक अथवा डिजिटल मोड से ही ले पाएंगे।
- राजनीतिक चंदा देने वालों के लिए बॉन्ड जारी किए जाएंगे।
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ऐक्ट में सुधार किया जाएगा ताकि राजनीतिक चंदा देने वाले किसी भी अधिकृत बैंक से ही बॉन्ड खरीद सकते हैं
- सभी राजनीतिक दलों को इनकम टैक्स ऐक्ट के तहत समय पर रिटर्न भरना होगा ताकि गड़बड़ियों की आशंका पूरी तरह खत्म हो जाए।
राजनीतिक चंदा और एडीआर रिपोर्ट
24 जनवरी को एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) की एक रिपोर्ट में पता चला कि तमाम राजनीतिक दलों ने 2004-05 से 2014-15 के बीच बेनामी स्रोतों से 7855 करोड़ रुपए की फंडिंग हासिल की थी।एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म वो संस्था है जो राजनीतिक दलों के काम-काज के बारे में आंकड़े इकट्ठे करती है।
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक ये 7855 करोड़ की रकम, राजनीतिक दलों की पूरी कमाई का 69 फीसद है।अज्ञात स्रोतों से आमदनी को राजनीतिक दलों ने अपने आयकर रिटर्न में तो बताया है। मगर ये पैसा उन्हें किससे मिला, इसकी जानकारी राजनीतिक दलों ने नहीं दी। ये वो चंदे हैं जो बीस हजार से कम वाले हैं। ये वो रकम है, जिसका पूरा हिसाब राजनीतिक दलों ने नहीं दिया। इस पर उन्होंने टैक्स भी नहीं भरा. कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि ये राजनीतिक दलों का काला धन है।