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    जीवन के अंतिम सालों में एकाकी हो गए थे फिरोज गांधी

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    Updated: Thu, 12 Sep 2013 10:52 AM (IST)

    स्वतंत्रता सेनानी फिरोज गांधी का जन्म 12 सितंबर, 1 ...और पढ़ें

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    नई दिल्ली। स्वतंत्रता सेनानी फिरोज गांधी का जन्म 12 सितंबर, 1912 को मुंबई में एक पारसी परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जहांगीर एवं माता का नाम रतिमाई था। 1915 में वे अपनी मां के साथ इलाहाबाद आ गए। इस प्रकार उनकी आरंभिक शिक्षा-दीक्षा इलाहाबाद में हुई। इलाहाबाद उन दिनों स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियों का केंद्र था।

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    युवा फिरोज गांधी भी इसके प्रभाव में आए और बाद में नेहरू परिवार से उनका संपर्क हुआ। उन्होंने 1928 में साइमन कमीशन के बहिष्कार को लेकर हुए आंदोलन में भाग लिया तथा 1930-1932 के आंदोलन में जेल की सजा काटी। फिरोज गांधी 1935 में आगे के अध्ययन के लिए लंदन गए और उन्होंने स्कूल ऑफ इकोनोमिक्स' से अंतरराष्ट्रीय कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

    फिरोज गांधी ने क्षय रोग से पीड़ित पंडित जवाहर लाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू की भारत और जर्मनी के चिकित्सालयों में बड़ी सेवा की। उसी समय उनका इंदिरा गांधी से संपर्क हुआ और मार्च, 1942 ई. में इलाहाबाद में दोनों का विवाह हुआ।

    अगस्त, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन' में फिरोज गांधी कुछ समय तक भूमिगत रहने के बाद गिरफ्तार कर लिए गए। रिहा होने के बाद 1946 में उन्होंने लखनऊ के दैनिक पत्र नेशनल हेराल्ड' के प्रबंध निदेशक का पद संभाला। 1952 के प्रथम आम चुनाव में वे लोकसभा के सदस्य चुने गए। इसके बाद उन्होंने लखनऊ छोड़ दिया। कुछ वर्ष वे और इंदिरा, नेहरू जी के साथ रहे। इंदिरा जी का अधिकांश समय प्रधानमंत्री पिता की देख-रेख में बीतता था।

    1956 में फिरोज गांधी ने प्रधानमंत्री निवास में रहना छोड़ दिया और वे सांसद के साधारण मकान में अकेले ही रहने लगे। 1957 में वे पुन लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। इस बार उन्होंने संसद में भ्रष्टाचार के कई मामले उठाए। इन्हीं के कारण वित्त मंत्री टी. टी. कृष्णमाचारी को अपने पद से हटना पड़ा। वे नेहरू परिवार से अपने संबंधों की परवाह किए बिना प्रधानमंत्री की कई नीतियों, विशेषकर औद्योगिक नीतियों की कटु आलोचना करते थे। वे बड़े लोकप्रिय सांसद थे, पर निजी जीवन में अंतिम वर्षो में बहुत एकाकी हो गए थे। उनके दोनों पुत्र राजीव गांधी और संजय गांधी भी अपनी मां के साथ प्रधानमंत्री निवास में ही रहते थे।

    1960 में फिरोज गांधी को दिल का दौरा पड़ा। इंदिरा जी उस समय महिला सम्मेलन में भाग लेने के लिए केरल गई थीं। सूचना मिलते ही वे तुरंत दिल्ली आई और 8 सितंबर, 1960 को फिरोज गांधी का देहान्त हो गया।

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