तीन साल से रह रहे थे अलग, बेटी को कोरोना होने के डर से पति-पत्नी हुए एक, मध्य प्रदेश में दिलचस्प वाकया
कोरोना पॉजिटिव होना भले ही चिंता का विषय हो लेकिन इस डर का एक सकारात्मक पक्ष भी सामने आया है। वाकया है राज्य के बैरागढ़ का जहां तीन साल की बेटी को तेज बुखार के साथ सर्दी-जुकाम हुआ तो अलग रह रहे माता-पिता गिले-शिकवे भुलाकर एक हो गए।
भोपाल, अंजली राय। कोरोना पॉजिटिव होना भले ही चिंता का विषय हो लेकिन इस डर का एक सकारात्मक पक्ष भी सामने आया है। वाकया है राज्य के बैरागढ़ इलाके का जहां तीन साल की बेटी को तेज बुखार के साथ सर्दी-जुकाम हुआ तो अलग रह रहे माता-पिता कोरोना संक्रमण के डर से घबरा गए और सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक हो गए। बैरागढ़ निवासी यह दंपती चार साल पहले विवाह बंधन में बंधे थे।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, शादी के कुछ दिन बाद से ही दोनों में छोटी-छोटी बातों पर विवाद होने लगा था। पत्नी सास-ससुर को छोड़ पति के साथ अलग रहना चाहती थी। इसी को लेकर मनमुटाव इतना बढ़ा कि तीन साल पहले बेटी के जन्म के कुछ दिन बाद ही दोनों अलग हो गए थे। व्यापारी पति मध्य प्रदेश के भोपाल में तो पत्नी मायके गुजरात के अहमदाबाद में रहने लगी।
पति ने एक साल पहले पत्नी को वापस बुलाने के लिए कुटुंब न्यायालय में केस भी दाखिल किया था, जिसकी काउंसिलिंग चल रही थी। केस के सिलसिले में पत्नी बेटी के साथ 15 दिन पहले भोपाल पहुंची। इसी दौरान बेटी की तबीयत बिगड़ गई। यह बात पति को पता चली तो उसे बेटी के कोरोना संक्रमित हो जाने का डर सताने लगा। वह बिना देर किए पत्नी और बेटी को अलग घर लेकर रखने के लिए तैयार हो गया।
दोनों ने बेटी की खातिर एक साथ रहने का फैसला किया। बेटी का इलाज करवाया और वह स्वस्थ हो गई। उसे कोरोना भी नहीं था। काउंसिलिंग में पति को काउंसलर ने सलाह दी थी कि पत्नी ससुराल में रहना नहीं चाहती है तो उसे एक अलग घर लेकर रखना चाहिए। उसे बेटा होने के साथ-साथ पति होने का भी फर्ज निभाना चाहिए। पति ने इकलौता बेटा होने का हवाला देकर पत्नी को अलग रखने की बात से इनकार कर दिया था।
ससुराल वालों पर प्रताडि़त करने का आरोप काउंसिलिंग में पत्नी ने शिकायत की थी कि ससुराल वाले उसे प्रताडि़त करते हैं। इसी वजह से वह ससुराल वालों से अलग रहना चाहती है, लेकिन पति अलग रहने को तैयार नहीं था और विवाद की बड़ी वजह यही थी। दोनों घरों का ख्याल रखने का वादा काउंसिलिंग में पति ने कहा कि वह दोनों घरों का ख्याल रखेगा। उसके माता-पिता भी इस फैसले से खुश हैं।
पति का कहना है कि जब पत्नी का मेरे घरवालों के साथ रहने का मन करेगा, तब वह मेरे माता-पिता के साथ रह सकती है। कुटुंब न्यायालय के काउंसलर शैल अवस्थी ने कहा कि इस मामले में कई बार काउंसिलिंग की गई लेकिन कोई फायदा नहीं हो रहा था। दोनों एक-दूसरे के साथ रहना चाहते थे लेकिन पत्नी घरवालों से अलग रहना चाहती थी जो पति को पसंद नहीं था। जब बेटी की तबीयत बिगड़ी तो दोनों सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक हो गए।