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    ग्रे लिस्ट से बाहर होने का मतलब टेरर फंडिंग की छूट नहीं, FATF की पाकिस्तान को चेतावनी

    Updated: Sat, 25 Oct 2025 10:30 PM (IST)

    फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि ग्रे लिस्ट से बाहर होने का मतलब निगरानी खत्म होना नहीं है। टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर वैश्विक निगरानी जारी रहेगी। एफएटीएफ अध्यक्ष ने कहा कि पाकिस्तान जैसे देशों को अवैध वित्तीय गतिविधियों से निपटने के लिए सतर्क रहना होगा। भारत की रिपोर्ट में भी पाकिस्तान पर आतंक फंडिंग का केंद्र होने का आरोप लगाया गया है।

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    FATF की पाकिस्तान को चेतावनी। (फाइल)


    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनिया में आतंक की फंडिंग और काले धन की निगरानी करनेवाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है कि ग्रे लिस्ट से बाहर आने का ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि अब उस पर निगरानी खत्म हो गई है। टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर पाकिस्तान पर वैश्विक निगरानी लगातार जारी है।

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    एफएटीएफ अध्यक्ष एलीसा डी एंडा माद्राजो ने जोर देकर कहा कि सूची से बाहर होने के बावजूद पाकिस्तान जैसे देशों को अवैध वित्तीय गतिविधियों से निपटने के लिए लगातार सतर्क और प्रतिबद्ध रहना होगा। माद्राजो की टिप्पणी उन रिपोर्टों के बीच आई है कि जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन डिजिटल वालेट और छिपे हुए नेटवर्क के जरिए अपने ट्रेनिंग कैंप और फंडिंग का इंतजाम कर रहे हैं।

    एफएटीएफ की पाकिस्तान को चेतावनी

    इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पाकिस्तान की सरकारी संस्था नेशनल डेवलपमेंट कांप्लेक्स (एनडीसी) से जुड़े कुछ संगठन आतंक फंडिंग से जुड़े हैं। माद्राजो ने कहा कि कोई भी देश जो कभी ग्रे लिस्ट में रहा है, वह अपराधियों की गतिविधियों से पूरी तरह सुरक्षित नहीं होता। चाहे वह मनी लॉन्ड्रिंग हो या आतंक फंडिंग- खतरा हमेशा बना रहता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान समेत सभी देशों को सतर्क और जिम्मेदार बने रहना चाहिए, क्योंकि ग्रे लिस्ट से बाहर होना सिर्फ एक कदम है, अंत नहीं। देशों को अपने सिस्टम को मजबूत बनाना होगा और उन कमजोरियों को दूर करना होगा, जिसका फायदा अपराधी उठाते हैं।

    भारत की रिपोर्ट में भी पाकिस्तान पर आरोप

    भारत की 'नेशनल रिस्क असेसमेंट रिपोर्ट 2022' में साफ कहा गया है कि पाकिस्तान अब भी आतंक की फंडिंग का बड़ा केंद्र बना हुआ है। एफएटीएफ की रिपोर्ट में भारत के इनपुट भी शामिल किए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया में अब भी राज्य प्रायोजित आतंकवाद और परमाणु प्रसार से जुड़ी वित्तीय गतिविधियों का खतरा बना हुआ है।

    एफएटीएफ की अध्यक्ष माद्राजो ने कहा कि हमारा लक्ष्य साफ है- आतंकवादियों और अपराधियों को पैसों से वंचित करना। इसके लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा।

    क्या है एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट'?

    एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट में नेपाल, म्यांमार, ईरान, उत्तरी कोरिया समेत 17 देश शामिल हैं। ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जहां आतंकवाद की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए सिस्टम कमजोर या लापरवाह पाया जाता है। जब किसी देश का नाम इसमें शामिल होता है, तो उस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बढ़ता है और निवेशक भी सतर्क हो जाते हैं। अगर देश सुधार नहीं करता, तो उसे ब्लैक लिस्ट में भी डाला जा सकता है, जिससे विदेशी कारोबार बुरी तरह प्रभावित होता है।

    (समाचार एजेंसी एपी के आइएएनएस के साथ)