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    बिचौलियों से किसानों को मिलेगी छुट्टी, फसलों का मिलेगा अच्छा दाम; एक एप कैसे आसान बनाएगा काम?

    Updated: Mon, 07 Jul 2025 06:27 PM (IST)

    रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के छात्र कुलदीप पटेल ने फसल बाजार ऐप बनाकर किसानों को बिचौलियों से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया है। इस ऐप के माध्यम से किसान सीधे ग्राहकों तक अपनी फसल पहुंचा रहे हैं। इस नवाचार के लिए उन्हें 30 लाख रुपये का अनुदान भी मिला है और कंपनी का टर्नओवर साढ़े तीन करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

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    रायपुर स्थित पैकेजिंग यूनिट में खड़ा कुलदीप पटेल, काम करते कर्मचारी। (फोटो- जेएनएन)

    जेएनएन, मनीष मिश्रा, रायपुर। किसानों को बिचौलियों से बचाने और फसल का अच्छा दाम मिल सके यह एक बड़ी चुनौती है। वहीं, इस चुनौती से पार पाने के लिए इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के छात्र रहे कुलदीप पटेल ने एक नवाचार किया। उन्होंने फसल बाजार एप बनाया।

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    इसके माध्यम से किसान अपनी फसल को सीधे ग्राहक तक पहुंचा रहे हैं। इस नवाचार के लिए कुलदीप को विश्वविद्यालय के इंक्यूबेशन सेंटर से 30 लाख रुपये का अनुदान भी मिला है। इस वित्तीय वर्ष में कंपनी का टर्नओवर साढ़े तीन करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। किसानों को सुविधा मिलने के साथ इस नवाचार से 19 लोगों को सीधे तौर पर और 50 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी मिला है।

    कुलदीप पटेल बताते हैं कि कृषि विश्वविद्यालय से एमएससी एग्रोनामी की पढ़ाई की। गांव से जुड़े होने के कारण किसानों की परेशानी पता थी। बिचौलिए की वजह से किसानों को अपनी फसल की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती थी, इसके लिए फसल बाजार एप बनाया। इस एप के बारे में किसानों को जागरूक किया। किसान अपनी फसल जिसमें अनाज के साथ ही फल सब्जियां भी होती हैं उन्हें एप पर अपलोड कर देते हैं।

    अभी एप के जरिए रायपुर,दुर्ग और भिलाई जैसे क्षेत्रों के किसानों व ग्राहकों को जोड़ा गया है। इस फसल एप के माध्यम से ग्राहक सीधे किसान से उत्पाद खरीद लेता है। ग्राहक तक उत्पाद पहुंचाने के लिए 48 किसान सेंटर भी बनाए गए हैं। जो 10 किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करता है। ग्राहक की आवश्यकता के अनुसार जिस किसान सेंटर में उत्पाद उपलब्ध हैं, वहां से ग्राहक को सीधे दिया जाता है।

    गंवई नाम से तीन स्टोर खोले

    किसानों के उत्पाद बेचने के लिए रायपुर शहर में तीन स्टोर है। इसके अलावा शहर के अलग-अलग क्षेत्र में 35 दुकानों से समझौता भी है जो किसानों के उत्पाद को बेच रहे हैं। दुर्ग-भिलाई में भी 12 दुकानों से टाइअप किया है। आनलाइन अमेजान, फ्लिपकार्ट, मिशो में भी पंजीकृत है। वहां पर ग्राहक आर्डर करते हैं। वहां से भी किसानों को मिलेट्स कुकीज, चिक्की, लड्डू, कोदो, कुटकी, रागी, ज्वार, बाजरा जैसे मिलेट्स उत्पाद मिल जाते हैं। इस वजह से बिना किसी बिचौलिए के किसान अच्छी कीमत पर अपने उत्पाद सीधे ग्राहक तक पहुंचाने के लिए एक सप्लाई चेन बन गई है।

    50 स्वयं सहायता समूह भी जुड़े

    स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी बहुत सारे उत्पाद अपने घरों में बनाती हैं। इन महिलाओं के उत्पाद को भी अपने स्टोर पर रखते हैं। जिससे ग्राहक को बिना मिलावट के बहुत सारे खाद्य पदार्थ मिल सके। फसल एप के जरिए और गंवई स्टोर के साथ 50 के करीब स्व सहायता समूह जुड़े हैं। इनके बनाए उत्पाद स्टोर पर उपलब्ध रहते हैं। इससे महिलाओं को भी फायदा होता है, साथ ही ग्राहक को भी अच्छा सामान मिल जाता है।

    मिलेट्स की खेती को भी कर रहे प्रोत्साहित

    कुलदीप बताते हैं कि पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती करना शुरू किया। शुरू में सब्जी की खेती किया, इसके बाद प्रदेश के पारंपरिक चावलों की खेती करना शुरू किया। इसके बाद मिलेट्स को बढ़ावा देने खेती करना शुरू किया। गांव के किसानों को मिलेट की खेती के फायदे बताए। मिलेट्स की खेती में ज्यादा खर्चा नहीं आता है। 2020 में 60 एकड़ में मिलेट्स की खेती शुरू की थी। पिछले वर्ष 2,360 एकड़ में मिलेट्स की खेती हुई थी।