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    Farmers Protest: अगली बैठक में निकल सकते हैं सुलह के रास्ते, सरकार के बाद अब किसान भी दिखा सकते हैं नरमी

    By Sanjeev TiwariEdited By:
    Updated: Fri, 01 Jan 2021 07:04 AM (IST)

    किसान संगठनों ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए अपनी जिद को छोड़कर संवैधानिक प्रक्रिया को स्वीकार कर लिया है। बुधवार को हुई वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच तमाम मुद्दों पर सैद्धांतिक सहमति बना ली गई है।

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    किसान संगठनों और सरकार के बीच सुलह के रास्ते खुलने लगे हैं। (फाइल फोटो)

    सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। आंदोलनकारी किसान संगठनों और सरकार के बीच सुलह के रास्ते खुलने लगे हैं। नए साल में चार जनवरी को होने वाली अगले दौर की बैठक में समस्या के समाधान की संभावनाएं बढ़ गई हैं। किसान संगठनों ने दूरदर्शिता का परिचय देते हुए अपनी जिद को छोड़कर संवैधानिक प्रक्रिया को स्वीकार कर लिया है। बुधवार को हुई वार्ता के दौरान दोनों पक्षों के बीच तमाम मुद्दों पर सैद्धांतिक सहमति बना ली गई है। माना जा रहा है कि अगली बैठक में किसान संगठन कानून निरस्त करने की मांग छोड़कर एमएसपी की गारंटी पर बातचीत केंद्रित करेंगे।

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    नए कृषि कानूनों को रद करने पर अड़ियल रुख अपनाए किसान नेताओं ने अपना रुख नरम किया है। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल व वाणिज्य मंत्री पीय़ूष गोयल ने बैठक में किसान नेताओं के समक्ष कानून बनाने अथवा संशोधन की संवैधानिक प्रक्रिया का विस्तार से उल्लेख भी किया। तोमर ने बताया कि इन कानूनों के बनाने में ढाई दशक से अधिक का समय लगा है। इसमें विशेषज्ञ, कानूनविद, राजनीतिक दल, योजना आयोग और भी कई तरह गैर सरकारी संगठनों की सिफारिशों की मदद ली गई है।

    कृषि कानून के मामले में संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाने पर जोर

    सूत्रों के मुताबिक सरकार से अगली वार्ता में कृषि कानूनों के रद करने की मांग को लेकर किसान संगठनों का रुख लचीला हो सकता है। संयुक्त किसान मोर्चा की कई बैठकों में कई किसान नेताओं ने संवैधानिक प्रक्रिया को अपनाए जाने पर अपनी सहमति व्यक्त की है। यही वजह है कि पिछली बैठक में किसान नेताओं ने कृषि मंत्री तोमर की बातों को गंभीरता से सुना। अगली बैठक में इस पर विस्तार से चर्चा करने और किसी नतीजे पर पहुंचने की हामी भरी है। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि किसानों के शंका समाधान के लिए सरकार की मंशा साफ है। सरकार किसी तरह की जिद नहीं करेगी, लेकिन कृषि कानून के मामले में संवैधानिक और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाने पर जोर देगी।

    एमएसपी पर सरकार लिखित गारंटी देने को राजी 

    कृषि कानूनों को रद करने को लेकर शुरू हुए किसान आंदोलन में अचानक न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी का मुद्दा भी जुड़ गया। सूत्रों का कहना है कि किसान संगठनों की राय में सरकार इस मसले पर कोई विश्वसनीय भरोसा देने को तैयार हो जाए तो बात बन जाएगी। उधर, सरकार इसके लिए लगभग तैयार है। पंजाब और हरियाणा के किसानों को वैसे भी एमएसपी पर अपनी उपज का सर्वाधिक हिस्सा बेचने की सहूलियत मिलती ही है। सरकार इसके लिए लिखित गारंटी देने को राजी है कि एमएसपी पर चल रही खरीद बाधित नहीं होगी।

    देशभर में लागू किया जा सकता है भावांतर योजना

    किसानों को उनकी उपज का मूल्य एमएसपी से कम नहीं मिलना चाहिए। इसके लिए मध्य प्रदेश सरकार ने भावांतर योजना की शुरुआत की है। इसके तहत मंडियों में होने वाली खरीद का पूरा ब्योरा रहता है। इसके आधार पर खुले बाजार में कम भाव पर होने वाली बिक्री का अंतर किसानों को मिलता है। इस योजना को देशभर में सख्ती से लागू किया जा सकता है, ताकि किसानों का नुकसान न होने पाए।