Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    परिजनों को नौ साल बाद भी तुकाराम की वापसी का इंतजार

    By Sachin BajpaiEdited By:
    Updated: Sat, 25 Nov 2017 10:12 PM (IST)

    एमएएड कर चुकी वैशाली ने कहा कि उन्हें हमेशा ऐसा लगता रहा है कि पापा ड्यूटी पर गए हैं और घर लौट आएंगे।

    Hero Image
    परिजनों को नौ साल बाद भी तुकाराम की वापसी का इंतजार

    मुंबई, प्रेट्र : 26/11 के आतंकी हमले में आतंकी अजमल कसाब को बंदी बनाने के चलते शहीद पुलिसकर्मी तुकाराम ओम्बले के परिजनों का कहना है कि मुंबई हमले के नौ साल बाद भी उन्हें तुकाराम की वापसी का इंतजार है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मुंबई हमले के हीरो तुकाराम की सबसे बड़ी बेटी वैशाली ओम्बले ने नम आंखों से कहा, 'हमें लगता है कि पापा किसी भी वक्त घर आ जाएंगे। हालांकि हमारा दिल जानता हैं कि अब वह हमारे बीच कभी नहीं होंगे।'

    एमएएड कर चुकी वैशाली ने कहा कि उन्हें हमेशा ऐसा लगता रहा है कि पापा ड्यूटी पर गए हैं और घर लौट आएंगे। हमने उनका सारा सामान घर में वैसे ही रखा है जैसा उनके रहने पर होता था। हमारा परिवार उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए उनका बहुत सम्मान करता है।

    अपनी मां तारा और बहन भारती के साथ वर्ली पुलिस कैंप में रह रही वैशाली ने कहा कि पिछले नौ सालों में एक भी दिन ऐसा नहीं गया जब पापा को याद न किया हो। उन्होंने पूछा कि आखिर कब तक पुलिस बल और सुरक्षा बल के अफसर सर्वोच्च बलिदान के नाम पर अपना जीवन त्यागते रहेंगे? इसे कहीं तो रुकना चाहिए।

    26/11 मुंबई हमले की बरसी की पूर्वसंध्या पर वैशाली ने कहा कि नागरिकों को अपनी जिम्मेदारियों का अहसास होना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए जब पुलिसकर्मी या सेना के जवान अपने कर्तव्य का पालन करते हुए शहीद हो जाते हैं तो यह केवल एक परिवार की ही क्षति नहीं होती है बल्कि यह देश की क्षति है। उन्होंने कहा कि पश्चिमी महाराष्ट्र के सतारा जिसे से उनका परिवार आता है। वहां शहीदों का लंबा इतिहास है। हाल ही में सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल रवींद्र धनवड़े कश्मीर में अगस्त माह में शहीद हुए जबकि कर्नल संतोष महादिक वर्ष 2015 में कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। यह लिस्ट बहुत लंबी है जो मुझे बहुत परेशान करती है। हमें शहीदों के परिवार के हरेक सदस्य को अपने परिवार का सदस्य मानना चाहिए। और उन्हें इस दुख से उबरने में उनकी मदद करनी चाहिए।