फर्जी वीडियो ने टिकटॉक पर भारत के प्रतिबंध को ठहराया सही, द टेलीग्राफ ने ब्रिटेन को क्यों बताया गलत?
इजरायल-हमास के बीच प्रोपेगंडा की लड़ाई में बड़े पैमाने पर फर्जी वीडियो के प्रसार से टिकटॉक की प्रासंगिकता पर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है। ब्रिटेन के द टेलीग्राफ अखबार ने अपने लेख में टिकटॉक पर प्रतिबंध नहीं लगाए जाने को बड़ी गलती माना है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इजरायल-हमास के बीच प्रोपेगंडा की लड़ाई में बड़े पैमाने पर फर्जी वीडियो के प्रसार से टिकटॉक की प्रासंगिकता पर नए सिरे से बहस शुरू हो गई है। ब्रिटेन के द टेलीग्राफ अखबार ने अपने लेख में टिकटॉक पर प्रतिबंध नहीं लगाए जाने को बड़ी गलती माना है।
भारत में 2021 में टिकटॉक पर लगा था प्रतिबंध
ध्यान देने की बात है कि भारत ने जनवरी 2021 में ही टिकटॉक को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया था। इजरायल-हमास लड़ाई में फर्जी वीडियो के प्रसार ने भारत के फैसले को सही ठहराया है। दरअसल, टिकटॉक पर इजरायल-हमास संघर्ष से जुड़ा एक वीडियो प्रसारित हुआ।
टिकटॉक पर वायरल हो रहा फर्जी वीडियो
इसमें गाजा पर बम हमले के कारण रात में कई इमारतों में आग लगने और परिणास्वरूप आकाश लाल होने का दृष्य था। इजरायल के हमले की विभीषिका के सुबूत के तौर पर टिकटॉक के साथ ही तमाम इंटरनेट मीडिया मंचों पर इसे पूरी दुनिया में प्रसारित किया गया। सच्चाई में यह दृष्य अलजीरिया की राजधानी अलजीयर्स में फुटबाल मैच के बाद समर्थकों द्वारा खुशी में की गई आतिशबाजी थी।
सच्चाई पता चलने पर टिकटॉक ने इस वीडियो को हटा दिया, लेकिन तब तक इसे करोड़ों लोग देख चुके थे। यह वीडियो सिर्फ एक उदाहरण है। ऐसे हजारों फर्जी वीडियो दूसरे पक्ष की क्रूरता को दिखाने के लिए लड़ाई के बाद से ही टिकटॉक पर प्रसारित किए जा रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हमास ही टिकटॉक पर फर्जी वीडियो के सहारे प्रोपेगंडा फैलाने की कोशिश कर रहा है। इजरायल की ओर से भी ऐसा किया जा रहा है।
इजरायल-हमास युद्ध के बीच टूल बना टिकटॉक
द टेलीग्राफ के अनुसार हमास की ओर से टिकटॉक पर जारी वीडियो को 43 अरब बार और इजरायल की ओर से जारी वीडियो को 37.5 अरब बार देखा गया है। मुस्लिम और यहूदियों के बीच नफरत फैलाने के टूल के रूप में इस्तेमाल हो रहे टिकटॉक पर रोक लगाने का पश्चिमी देशों को कोई विकल्प नहीं नजर आ रहा है।
भारत ने टिकटॉक पर क्यों लगाया था बैन?
वैसे भारत ने 2021 में टिकटॉक पर प्रतिबंध सुरक्षा चिंताओं को लेकर लगाया था। अमेरिका समेत कई देशों में टिकटॉक के माध्यम से जासूसी और डाटा चोरी की आशंका पर प्रतिबंध को लेकर बहस भी चल रही है।
भारत के बाद अमेरिका के कई राज्यों समेत कई देशों ने सरकारी कर्मचारियों के लिए टिकटॉक के इस्तेमाल पर रोक भी लगा रखी है, लेकिन दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने और संघर्ष के दौरान आग भड़काने के रूप में टिकटॉक के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग का मामला पहली बार सामने आया है। पश्चिमी देश भी अब भारत के फैसले को सही ठहराते हुए मानने लगे हैं कि टिकटॉक पर प्रतिबंध नहीं लगाना उनकी बड़ी गलती थी।

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