नई दिल्ली। संदीप राजवाड़े।

केस 1 - नोएडा की 38 साल की घरेलू महिला। वे कोई नशा नहीं करती हैं और हाल तक उन्हें कोई बीमारी भी नहीं थी। हल्का-फुल्का एक्सरसाइज भी नियमित करती थीं। कोलेस्ट्राल लेवल भी ठीक था। कुछ दिनों पहले उन्हें सीने में दर्द हुआ तो घरवालों ने गैस की परेशानी समझ दवा दे दी। लेकिन दर्द बार-बार उठने लगा तो फिजिशियन के पास गईं जिसने उन्हें कार्डियोलॉजिस्ट के पास भेजा। जांच में उनके दिल में ब्लॉकेज निकला। अब उनका इलाज चल रहा है।

केस 2 - दिल्ली निवासी 36 साल का व्यक्ति। नियमित जिम जाने वाले। कुछ दिनों पहले उन्हें एक्सरसाइज के दौरान सीने में दर्द होने लगा। पहले जिस ताकत से एक्सरसाइज करते थे, अब नहीं कर पा रहे थे। गैस्ट्रिक का मामला मानकर वे इसे इग्नोर करते रहे। एक दिन दफ्तर में ही उनके सीने में दर्द हुआ और वे गिर गए। सहकर्मियों ने पास के अस्पताल में पहुंचाया तो जांच में ब्लॉकेज मिला। उन्हें स्टेंट लगाया गया है।

केस 3 - जयपुर के 52 साल के एक डॉक्टर। फिट बॉडी और रोजाना बैडमिंटन खेलने वाले। एक दिन खेल के दौरान सीने में दर्द हुआ और वे बेहोश होकर गिर गए। उन्हें आनन-फानन अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की पर उन्हें बचा न सके।

दिल की बीमारी से जुड़ी तीनों घटनाएं बताती हैं कि उम्र, फिटनेस और अनुभव के बाद भी व्यक्ति हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट का शिकार हो सकता है। इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि दिल की बीमारी से जुड़े किसी भी लक्षण को भूलकर भी अनदेखा न करें। सीने में दर्द, सांस फूलना, सीढ़ी चढ़ने के दौरान खांसना या अन्य तकलीफ हो तो अलर्ट रहें और समय पर जांच कराएं।

पिछले दो-तीन वर्षों से हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के केस बढ़ने और इससे मौत के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। ताजातरीन घटना अभिनेता-निर्देशक सतीश कौशिक की कार्डिक अरेस्ट के कारण मौत की है। उनसे पहले फिटनेस फ्रीक अभिनेत्री सुष्मिता सेन को भी हार्ट अटैक आया। 

दिल की बीमारी के विशेषज्ञों का कहना है कि जंक फूड खाना, एक्सरसाइज न करना, कम सोना जैसी बिगड़ी लाइफस्टाइल लोगों को हार्ट पेशेंट बना रही है। जागरण प्राइम ने इस बीमारी के संकेत और सचेत रहने को लेकर कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डियक सर्जन से बात की। सभी विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी के 80 फीसदी से ज्यादा लोग शुरूआती लक्षणों की अनदेखी कर देते हैं। इससे स्थिति गंभीर हो जाती है।

लक्षण दिखने पर जांच कराएं 

सनार इंटरनेशनल हॉस्पिटल ग्रुरुग्राम के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. डीके झाम्ब बताते हैं कि अधिकतर केस में यह देखा गया है कि मरीज शुरूआती लक्षणों को लेकर अलर्ट नहीं रहते हैं। वे सीने में दर्द और सांस फूलने जैसे संकेतों को आम समझकर खुद इलाज करने लगते हैं। इसी से केस बिगड़ते हैं।

इसलिए रायपुर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर व सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ स्मित श्रीवास्तव का कहना है कि लोगों को अनदेखी से बचना चाहिए। शरीर हमेशा संकेत देता है, बस उसे समझकर समय पर इलाज या जांच कराने की जरूरत है। लक्षण महसूस करने के बाद भी जांच नहीं कराने पर ही केस बिगड़ते हैं। खानपान, एक्सरसाइज और नशे के सेवन को लेकर लोगों को अलर्ट रहना होगा। 

गुरुग्राम के कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी डॉ. दीक्षित गर्ग का कहना है कि लोगों को अपनी मानसिकता व सोच बदलने की जरूरत है। अधिकतर लोगों को लगता है कि उन्हें यह बीमारी कैसे हो सकती है। इसी सोच के कारण वे शुरूआती लक्षणों को इग्नोर कर देते हैं, जबकि उसी समय डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

डायबिटीज और बीपी के मरीज रहें ज्यादा सतर्क

रायपुर मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर और सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि दिल से जुड़ी बीमारियों के मामले लगातार बढ़ने के लिए कई जिम्मेदार हैं। जिनके माता-पिता को डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की बीमारी रही है, उन्हें दिल की बीमारी की आशंका ज्यादा रहती है। उनके बच्चों में भी इसकी आशंका सामान्य की तुलना में तीन से चार गुना तक होती है। आकलन में सामने आया है कि सबसे ज्यादा दिल के मरीज नशा का सेवन करने वाले होते हैं। इनमें तंबाकू, सिगरेट और शराब पीने वाले 80 फीसदी होते हैं। गांव-कस्बों में तंबाकू उत्पाद और नशा करने वाली महिलाओं में यह बीमारी अधिक पाई गई। दिल के 5-6 फीसदी मरीज हाइपरटेंशन वाले होते हैं।

सनार इंटरनेशनल हॉस्पिटल गुरुग्राम के कार्डियो विभाग के एचओडी और सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ डीके झाम्ब ने कहा कि बीपी, शुगर, डायबिटीज और हाइपरटेंशन के मरीजों में दिल की बीमारी की आशंका अधिक रहती है। भारी काम करने और सीढ़ी चढ़ने में सांस फूलने लगे या छाती में दर्द हो, खिंचाव आने लगे तो जांच करानी चाहिए। समय रहते जांच करने पर दिल की बीमारी को बड़ा होने से रोका जा सकता है।

शुगर पैक्ड ड्रिंक और यूज्ड तेल भी कारण

डॉ. स्मित का कहना है कि मोटापा, शुगर वाले पैक्ड ड्रिंक (एनर्जी ड्रिंक-कोल्डड्रिंक) लेने वाले, यूज्ड तेल से बने आयटम खाने वालों में भी हार्ट से जुड़ी बीमारी की आशंका बनी रहती है। जंक फूड या फास्ट फूड के कारण अगर मोटापा बढ़ रहा है तो उसे अनदेखा न करें। होटल-रेस्तरां में बार-बार प्रयोग किए जाने वाले तेल में ट्रांस फैट की आशंका रहती है। इससे नसों में ब्लॉकेज होते हैं। इसी तरह शुगरेटेड ड्रिंक मोटापा के साथ हाइपरटेंशन और डायबिटीज को बढ़ाता है। कैफीन युक्त ड्रिंक पीने से हार्ट पर जोर पड़ता है, वह तेज धकड़ने लगता है। इसके अधिक सेवन से बचना चाहिए। ये ड्रिंक चार कॉफी के बराबर होते हैं, जो बेहद नुकसानदायक है। 

आदत और मानसिकता बदलनी होगी

इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी कंसल्टेंट डॉ. दीक्षित गर्ग का कहना है कि लोगों को सबसे पहले अपनी मानसिकता और आदत बदलनी होगी। शुरूआती लक्षण दिखने पर ही डॉक्टर के पास जाएं। पहले 40 उम्र के बाद ही हार्ट से जुड़ी बीमारी को लेकर सचेत रहने या ईसीजी व टीएमटी की सलाह दी जाती थी। अब जो केस आ रहे हैं, उनमें 30-32 साल के युवा भी शामिल हैं। अधिकतर केस में बिगड़ी लाइफस्टाइल और खानपान के कारण यह हो रहा है। उन्होंने कहा कि 32-34 की उम्र के बाद निमयित तौर पर ईसीजी या टीएमटी टेस्ट जरूर कराएं। इस बीमारी को लेकर अधिकतर युवा या कम उम्र वालों की सोच रहती है कि मुझे कैसे यह बीमारी हो सकती है, मेरी तो कोई ऐसी उम्र ही नहीं है, यह सोच बदलनी होगी। कभी भी किसी को बीमारी हो सकती है, उसे लेकर कितने जागरुक हैं, यह मायने रखता है। देर रात तक जागना, कम नींद लेना, अनहेल्दी खानपान और कसरत न करने की आदतों को सुधारने से बड़ा फर्क देखा जा सकता है।

खर्राटे के संकेत को पहचानें

डॉ. स्मित के अनुसार अगर आप नियमित खर्राटे लेते हैं तो आपको सावधान होने की जरूरत है। मोटापे के कारण भी खर्राटे की समस्या होती है। जब शरीर में सांस सही तरीके से नहीं पहुंचती तब भी खर्राटे होते हैं। यह भी संकेत है कि आपके दिल में कोई न कोई समस्या है। 30-35 की उम्र के बाद साल में कम से कम एक बार ईसीजी और ट्रेड मिल टेस्ट (टीएमटी) करानी चाहिए। शुगर और कोलेस्ट्राल टेस्ट भी कराना चाहिए।

लाइफस्टाइल और खानपान में सुधार जरूरी

डॉ. डॉ झाम्ब ने बताया कि अधिकतर मरीजों को हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट के पहले शरीर कुछ न कुछ संकेत देता है। जल्दी थकान, तीन-चार मंजिल की सीढ़ियां चढ़ने के दौरान सांस फूलना, खांसी उठना, सीने में दर्द दिल की बीमारी के शुरूआती लक्षण हैं। ऐसा कोई भी लक्षण होने पर जांच कराएं। समय रहते जांच से बीमारी को गंभीर स्थिति में पहुंचने के पहले ठीक किया जा सकता है। डॉ. स्मित ने बताया कि लाइफस्टाइल में थोड़ा बदलाव और खानपान में सुधार कर हम इस बीमारी से बच सकते हैं। नियमित रूप से कुछ कसरत और वॉक करें। शुगर, कोलेस्ट्राल, बीपी का समय-समय पर टेस्ट कराएं। डॉ झाम्ब का कहना है कि कोई भी लक्षण दिखने पर आसपास के किसी भी अस्पताल में जाकर ईसीजी टेस्ट कराना चाहिए। 

2030 तक सवा दो करोड़ मौतें दिल की बीमारी से होंगी

- वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार 2020 में दिल की बीमारी से दुनिया में 18.9 मिलियन मौत।

- फेडरेशन का अनुमान है कि 2030 तक दिल से जुड़ी बीमारी से 22.2 मिलियन की मौत होगी।

- 2050 तक यह संख्या 32.3 मिलियन मौत प्रतिवर्ष होगी।