न महामारी, न कोई आपदा... पिछले 30 साल में मौसम की वजह से कैसे चली गई 80 हजार भारतीयों की जान?
CRI rank report ग्लोबल वार्मिंग की वजह से देश में अक्सर मौसमी आपदा देखने को मिलती है। कहीं तूफान कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा लोगों को नुकसान पहुंचाता है। मौसम के इस बदलावों के कारण भारत को भी बड़ा नुकसान हुआ है। देश में 1993 से 2022 तक 30 वर्षों के अंदर 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत होने की बात सामने आई है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। CRI rank report दुनियाभर में क्लाइमेट चेंज एक बड़ी चिंता का विषय बन गया है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से कहीं न कहीं मौसमी आपदा देखने को मिल ही जाती है। कहीं तूफान, कहीं बाढ़ तो कहीं सूखा लोगों को नुकसान पहुंचाता है।
भारत में 30 सालों में 80 हजार की मौत
इस बीच ये जानकारी सामने आई है कि मौसम के इस बदलावों के कारण भारत को भी बड़ा नुकसान हुआ है। देश में 1993 से 2022 तक 30 वर्षों के अंदर 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत होने की बात सामने आई है।
रैंकिंग में सुधार, फिर भी हालत खराब
- ये जानकारी पर्यावरण थिंक टैंक जर्मनवॉच द्वारा जारी जलवायु जोखिम सूचकांक (CRI) 2025 में सामने आई है। हालांकि, रिपोर्ट (CRI rank report) में कहा गया है कि भारत ने रैंकिंग में सुधार किया है।
- भारत 2019 में ऐसी ही मौसमी घटनाओं के कारण दुनिया भर में सातवें सबसे अधिक प्रभावित देश में गिना जाता था, जो अब 2022 में 49वें स्थान पर आ गया।
- वहीं, इस सुधार के बावजूद भारत छठे सबसे खराब स्थान पर होने के कारण शीर्ष 10 सबसे अधिक प्रभावित देशों में बना हुआ है।
1562 करोड़ रुपये का नुकसान भी झेला
रिपोर्ट की बताया गया कि इन मौसमी घटनाओं के कारण होने वाली मौतों और आर्थिक नुकसान से भारत भी बड़े तौर पर प्रभावित हुआ है। भारत ने 30 वर्षों में 400 चरम मौसमी घटनाओं में 80,000 लोगों की जान गंवाई और लगभग 1562 करोड़ (180 बिलियन डॉलर) का नुकसान दर्ज किया।
वैश्विक स्तर पर बुरा असर, 7 लाख की गई जान
वैश्विक स्तर पर 2022 तक 30 वर्षों में 9400 से अधिक ऐसी चरम मौसमी घटनाओं के कारण 7 लाख 65 हजार से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवाई। इससे कुल 4.2 ट्रिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ।
अमीर देश भी बच न सके
रिपोर्ट में वैश्विक स्तर पर बढ़ते जलवायु जोखिमों के परिणामों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें दिखाया गया है कि 2022 में 10 सबसे अधिक प्रभावित देशों में से सात उच्च आय वाले देश समूह के हैं।
भारत का जिक्र करते हुए, रिपोर्ट में बताया गया है कि देश ने 1993, 1998 और 2013 में विनाशकारी बाढ़ के साथ-साथ 2002, 2003 और 2015 में भीषण गर्मी का सामना किया। देश में 1993-2022 के दौरान उच्च मृत्यु दर और आर्थिक नुकसान देखा।
सोर्स- जर्मनवॉच के Climate Risk Index के इनपुट के आधार पर।
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