'ट्रेड डील में भारत की रेड लाइन का हो सम्मान', अमेरिका के साथ तनाव के बीच जयशंकर का बड़ा बयान
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने क्वाड को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए कहा कि क्वाड जिंदा है और सही स्थिति में है। उन्होंने यह बात कौटिल्य इकोनॉमिक कॉन्क्लेव के समापन समारोह में कही। अमेरिका और भारत के बीच कारोबारी मुद्दों पर जारी तनाव पर जयशंकर ने कहा कि कारोबारी समझौते को लेकर सहमति बनाने की कोशिश जारी है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के संगठन क्वाड की आगामी बैठक होगी या नहीं या इसका भविष्य क्या होगा, इसको लेकर चल रहे कयासों पर विराम देने की कोशिश करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि, क्वाड जिंदा है और सही स्थिति में है। यह बात रविवार को कौटिल्या इकोनॉमिक कान्क्लेव (केईसी) के समापन समारोह में कही।
अमेरिका और भारत के बीच कारोबारी मुद्दों को लेकर जारी तनाव पर जयशंकर ने कहा कि कोशिश यह हो रही है कि कारोबारी समझौते को लेकर सहमति बने लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कुछ मुद्दों को लेकर भारत ने लाल-रेखा खींच रखी है। जयशंकर ने अनिश्चित काल में विदेश नीति निर्माण विषय पर अपनी बात रखते हुए माना कि अभी वैश्विक स्तर पर जिस तरह की अनिश्चितता है वैसी पहले कभी नहीं देखी गई।
क्वाड पर पूछा गया था सवाल
जयशंकर से पूछा गया था कि क्वाड संगठन की मौजूदा स्थिति क्या है, इस पर उन्होंने कहा कि, 'इस साल क्वाड विदेश मंत्रियों की दो बैठकें हो चुकी हैं। एक जनवरी, 2025 में और दूसरी जुलाई, 2025 में। क्वाड जिस ढांचे के तहत गठित था, वह जारी है। क्वाड जिंदा है और वह सही है।' यह पहला मौका है क्वाड के चारों सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों में से किसी एक ने इस पर स्थिति स्पष्ट की है
क्वाड शिखर सम्मेलन का आयोजन सितंबर, 2025 में करने की बात हुई थी। फरवरी, 2025 में वाशिंगटन में जब पीएम नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की थी तब उन्हें भारत आने के लिए आमंत्रित भी किया था। ट्रंप ने इसके लिए हामी भी भरी थी। लेकिन इसके बाद ट्रंप प्रशासन का रवैया भारत को लेकर बदल गया। ना सिर्फ भारत के लिए बल्कि जापान के साथ भी अमेरिका के संबंध पहले जैसे नहीं है।
ट्रंप प्रशासन के लिए क्वाड प्राथमिकता नहीं
ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका ने कई देशों के साथ कारोबारी समझौता कर लिया है लेकिन जापान व भारत के साथ अभी ऐसा नहीं हो सका है। इसके साथ ही जापान में राजनीतिक अस्थिरता भी है। कई अंतरराष्ट्रीय जानकारों का कहना है कि अभी ट्रंप प्रशासन के लिए क्वाड प्राथमिकता नहीं है। ऐसे में क्वाड शिखर सम्मेलन को लेकर पूरी अनिश्चतता है। जयशंकर ने मौजूदा वैश्विक अनिश्चतता के लिए जिन मुद्दों को जिम्मेदार ठहराया उनमें अमेरिका की ऊर्जा उत्पादन में आये बदलाव को भी गिनाया। एक दशक पहले अमेरिका ना सिर्फ कच्चे तेल के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो गया है बल्कि वह इसका एक बड़ा आयातक भी बन गया है।
जयशंकर का यह कहना महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका की तरफ से एक तरफ तो भारत पर यह दबाव बनाया जा रहा है कि वह रूस से तेल नहीं खरीदे जबकि दूसरी तरफ यह भी मांग की जा रही है कि भारत अमेरिका से ज्यादा से ज्यादा तेल की खरीद करे। जयशंकर ने कहा कि, अमेरिका सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और दोनों देशों के बीच कारोबारी समझौता करने के लिए अभी तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है। हमें सहमति बनानी पड़ेगी लेकिन हमने जो लाल रेखा खींच रखी है, उसका आदर करना होगा।
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