Move to Jagran APP

Operation Blue Star: इंदिरा गांधी की हत्या की वजह बना था देश में हुआ यह मिलिट्री अभियान

एक तरफ 3 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लूस्टार में भिंडरावाला मारा गया और ठीक उसके पांच महीने बाद अक्टूबर 1984 में ही इंदिरा गांधी अपने ही सुरक्षा दस्ते का ही शिकार हो गयीं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 09:23 AM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 12:43 PM (IST)
Operation Blue Star: इंदिरा गांधी की हत्या की वजह बना था देश में हुआ यह मिलिट्री अभियान
Operation Blue Star: इंदिरा गांधी की हत्या की वजह बना था देश में हुआ यह मिलिट्री अभियान

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। ऑपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 को अमृतसर (पंजाब, भारत) स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। वर्ष 1984 में दो घटनाओं की टीस आज भी लोगों के जेहन में है। उस साल जून और अक्टूबर के महीने में ऐसी घटनाएं हुईं जिससे देश स्तब्ध था। पंजाब में आतंकवाद अपने पांव पसार रहा था और उसकी अगुवाई करने का आरोप भिंडरावाले पर लगा। तत्कालीन कांग्रेस ने एक ऐसा फैसला किया जिसका भयावह अंत 31 अक्टूबर 1984 को हुआ। एक तरफ 3 जून 1984 को ऑपरेशन ब्लूस्टार में भिंडरावाला मारा गया और ठीक उसके पांच महीने बाद अक्टूबर 1984 में ही इंदिरा गांधी अपने ही सुरक्षा दस्ते का ही शिकार हो गयीं।

loksabha election banner

6 जून को समाप्त हुआ ऑपरेशन ब्लूस्टार
तीन दिन तक चली कार्रवाई में स्वर्ण मंदिर में 492 लोगों की जान चली गयी थी। इसके अलावा सेना के चार अधिकारियों समेत 83 जवान शहीद हो गए थे। ऑपरेशन ब्लूस्टार की समाप्ति के बाद तत्कालीन रक्षा राज्यमंत्री केपी सिंह देव चाहते थे कि ये जानकारी पीएम इंदिरा गांधी तक पहुंचायी जाए। इंदिरा गांधी को जब उनके सचिव आरके धवन ने जानकारी दी तो उनका पहली प्रतिक्रिया ये थी कि, हे भगवान ये क्या हुआ उन लोगों ने बताया था कि इतनी मौतें नहीं होंगी। दरअसल ऑपरेशन ब्लूस्टार से पहले तत्कालीन सेना अध्यक्ष अरुण कुमार वैद्य ने बताया कि ऑपरेशन को शांतिपूर्ण ढंग से अंजाम दिया जाएगा।

इतने वर्षों बाद भी उस ऑपरेशन को लेकर अलग-अलग लोगों की अलग राय है। सिख धर्मावलंबियों के लिए यह उनकी आस्था पर हमला था। वहीं संविधान को मानने वालों के अनुसार यह ऑपरेशन, स्वर्ण मंदिर को आतंकियों से मुक्त कराने की कोशिश थी।

क्यों हुआ ऑपरेशन ब्लूस्टार?
1983 में पंजाब पुलिस के डीआईजी एएस अटवाल ही हत्‍या से माहौल गर्मा गया। उसी साल जालंधर के पास बंदूकधारियों ने पंजाब रोडवेज की बस में चुन-चुनकर हिंदुओं की हत्‍या कर दी। इसके बाद विमान हाईजैक हुए। स्थिति काबू से बाहर हो गई और केंद्र सरकार ने राज्‍य में राष्‍ट्रपति शासन लगा दिया। अब तक स्‍वर्ण मंदिर को अपना ठिकाना बना चुका भिंडरावाला सरकार के निशाने पर आ चुका था और स्‍वर्ण मंदिर को चरमपंथियों के कब्‍जे से मुक्‍त कराने के लिए ऑपरेशन ब्‍लूस्‍टार प्‍लान किया गया।

3 जून की रात
केंद्र सरकार ने भारतीय थल सेना को स्‍वर्ण मंदिर को स्‍वतंत्र कराने का जिम्‍मा सौंपा। जनरल बरार को ऑपरेशन ब्‍लूस्‍टार की कमान सौंपी। 3 जून को सेना ने अमृतसर में प्रवेश किया। चार जून की सुबह गोलीबारी शुरू हो गई। सेना को चरमपंथियों की ताकत का अहसास हुआ तो अगले ही दिन टैंक और बख्‍तरबंद गाड़ियों का उपयोग किया गया। 6 जून की शाम तक स्‍वर्ण मंदिर में मौजूद भिंडरावाला व अन्‍य चरमपंथियों को मार गिराया गया। लेकिन तब तक मंदिर और जानमाल का काफी नुकसान हो चुका था।

फैला आक्रोश
ऑपरेशन के बाद सरकार ने श्वेत पत्र जारी कर बताया कि ऑपरेशन में भारतीय सेना के 83 सैनिक मारे गए और 248 अन्य सैनिक घायल हुए। इसके अलावा 492 अन्य लोगों की मौत की पुष्टि हुई और 1,592 लोगों को हिरासत में लिया गया। 31 अक्‍टूबर 1984 को तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्‍या कर दी गई और दंगे भड़क गए।

कौन था भिंडरावाला?
बंटवारे के दौरान पंजाब में कट्टरपंथी विचारधारा जन्‍म लेने लगी। इस दौरान भिंडरावाला जब अकाली अलग सिख राज्‍य की मांग कर रहे थे तब दमदमी टकसाल में एक लड़का सिख धर्म की पढ़ाई करने आया। इसका नाम था जरनैल सिंह भिंडरावाला। उसकी धर्म के प्रति कट्टर आस्‍था ने उसे सबका प्रिय बना दिया और जब टकसाल के गुरु का निधन हुआ तो भिंडरावाला को टकसाल प्रमुख का दर्जा मिल गया। इसके बाद भिंडरावाला का प्रभाव बढ़ने लगा और देश विदेश में उसे समर्थन मिला।

क्या हुआ खालिस्तान का?
1990 के दशक में खालिस्तान की मांग कमजोर पड़ती गई। हालांकि ऑपरेशन ब्लू स्टार की तारीख पर आज भी हर साल पंजाब में विरोध प्रदर्शन होता है। ब्रिटेन, कनाडा और अमेरिका में रह रहे सिख समुदायों में अभी भी अलग खलिस्तान को लेकर मांग उठती रही है। समझा जाता है कि भारत से बाहर दो से तीन करोड़ सिख रह रहे हैं। उनमें से ज्यादातर का भारत के पंजाब से कोई न कोई जुड़ाव है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.