आपकी सांसे फुला देगा पराली का ये बढ़ता धुआं, एक्सपर्ट्स ने दी ये चेतावनी
दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है। सफर के आंकड़ों के अनुसार बीते 35 दिनों में दिल्ली के प्रदूषण में पराली का स्तर बढ़ा है। अगर पराली के मामलों को नियंत्रित नहीं किया गया तो स्थिति और भयावह हो सकती है।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र/विवेक तिवारी। दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है। हालांकि दिल्ली सरकार ने प्रदूषण की विकराल स्थिति को देखते हुए कुछ दिनों के लिए स्कूल, सरकारी कर्मचारियों को घर से काम करने और निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाने को कहा है लेकिन स्थिति अभी भी बेकाबू है। प्रदूषण के बड़े कारकों में धूल, निर्माण कार्य, पराली, वाहन आदि माने जाते हैं। दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ती जा रही है।
सफर के आंकड़ों के अनुसार बीते 35 दिनों में दिल्ली के प्रदूषण में पराली का स्तर बढ़ा है। 20 अक्तूबर को जहां दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं का शेयर 12 प्रतिशत था, 21 अक्तूबर को वह बढ़कर 12 प्रतिशत हो गया। 5 नवंबर को यह बढ़कर 36 फीसद, 7 नवंबर को 41 फीसद, 11 नवंबर 27 फीसद, 12 नवंबर को 26 फीसद, 13 नवंबर को 37 फीसद रहा।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सफर प्रोजेक्ट के निदेशक डा. गुफरान बेग का कहना है कि 13 नवंबर को पराली से निकलने वाले धुएं की दिल्ली के प्रदूषण में हिस्सेदारी 31 फीसद तक पहुंच गई थी। बेग के अनुसार अगर पराली के मामलों को नियंत्रित नहीं किया गया तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
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हवा भी बिगाड़ती है दिल्ली में प्रदूषण का मिजाज
दिल्ली में हवा की गति भी प्रदूषण के मिजाज को बिगाड़ती है। अगर हवा धीमी चलेगी तो पीएम 2.5 हवा में समाहित रहेगा जिससे प्रदूषण बढ़ेगा। हवा की कम गति और कम तापमान की वजह से पीएम कण हवा में समाहित हो जाते है।
आईआईटी ने दिया सेंसर बढ़ाने का सुझाव
आईआईटी कानपुर ने एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें दिल्ली प्रदूषण को मापने वाले सेंसर को बढ़ाने के सुझाव दिए है। इस रिपोर्ट को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के सदस्य और कानपुर आईआईटी के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी और कानपुर आईआईटी के निदेशक अभय कारंदिकर ने तैयार किया था। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा था कि नजफगढ़ क्षेत्र में पराली जलने की घटनाएं होती है। वहां पर तीस किलोमीटर में एक मॉनिटरिंग स्टेशन है। वहीं धौलाकुआं में हैवी ट्रैफिक होता है वहां से आठ किलोमीटर की दूरी पर आर के पुरम में एक मॉनिटरिंग स्टेशन है। उन्होंने कहा कि दिल्ली जैसे शहर में अभी 36 मॉनिटरिंग स्टेशन है जबकि यहां पर 200-300 एयर क्वालिटी सेंसर होने चाहिए। बीजिंग और लंदन जैसे शहरों में सैकड़ों की तादाद में मॉनिटरिंग स्टेशन है जिससे वहां हवा की गुणवत्ता का सही मापन संभव है।
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पराली के धुएं के साथ उड़ रही खेतों की उपजाऊ शक्ति
ICAR के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉक्टर एके सिंह के मुताबिक किसान पराली को जला कर अपने खेतों को बंजर बना रह हैं। मिट्टी के लिए ऑर्गेनिक कार्बन बेहद जरूरी है। अगर मिट्टी में इसकी कमी हो जाए तो किसानों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कैमिकल फर्टिलाइजर भी काम करना बंद कर देंगे। अच्छी फसल के लिए मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन होना बेहद जरूरी है। मिट्टी में सामन्य तौर पर अगर आर्गेनिक कार्बन 5 फीसदी से ज्यादा है तो अच्छा है। लेकिन पिछले कुछ सालों में देश के कई हिस्सों में मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन की मात्रा 0.5 फीसदी पर पहुंच गई है जो बेहद खतरनाक स्थिति है। सिंह कहते हैं कि अगर किसान इस बात को समझ जाए तो इससे उनकी आय तो बढ़ेगी ही उनके खेतों में भी हरियाली बढ़ेगी।
सेहत के लिए हानिकारक है पराली का धुआं
पराली का धुंआ सेहत के लिए हानिकारक है। इससे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड और मीथेन जैसी जहरीली गैसें घुलती हैं, जो कि स्क्रीन, सांस व आंखों के रोग पैदा करती हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरनमेंट की प्रमुख अनुमिता राय चौधरी के अनुसार प्रदूषण के चलते दिल्ली की हवा में खतरनाक गैसों का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। हवा में ओजोन गैस का स्तर मानकों से अधिक दर्ज किया जा रहा है। वहीं स्मॉग के चलते हवा में कार्बन मोनो ऑक्साइड का स्तर भी मानकों से अधिक बना हुआ है।

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