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    उन्हीं से वसूला जाएगा पैसा... बुलडोजर एक्शन पर बोले पूर्व CJI बीआर गवई

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 08:05 PM (IST)

    पूर्व चीफ जस्टिस बीआर गवई ने बुलडोज़र एक्शन की आलोचना करते हुए इसे कार्यपालिका द्वारा कोर्ट की तरह काम करने और सामूहिक सजा देने का तरीका बताया। उन्होंने कहा कि राज्य खुद ही दोषी तय कर रहा है और परिवारों को सजा दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने गैर-कानूनी तोड़फोड़ के मामलों में हाई कोर्ट जाने की सलाह दी है और कहा है कि सरकार को ऐसे घरों को फिर से बनाना होगा।

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    भारत के पूर्व चीफ जस्टिस बीआर गवई। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पूर्व चीफ जस्टिस बीआर गवई ने सिर्फ अपराध के आरोप के आधार पर बुलडोजर एक्शन पर कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इसे कार्यपालिका के जज की तरह काम करने और बिना सही प्रोसेस के सामूहिक सजा देने का उदाहरण बताया है।

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    न्यूज एजेंसी ANI से बात करते हुए, जस्टिस गवई ने कहा कि यह तरीका ऐसा है जैसे राज्य खुद ही दोषी तय कर रहा है। वो पूरे परिवारों को सजा दे रहा है जिन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है। उन्होंने कहा, 'जब कोई नागरिक कोई अपराध करता है, तो ऐसे में उसके परिवार का क्या दोष है? उनकी छत पर बुलडोजर क्यों चलाया जाना चाहिए? कार्यपालिका, जज की तरह काम नहीं कर सकती है।'

    जस्टिस गवई की बुलडोजर एक्शन पर टिप्पणी

    तोड़-फोड़ के मामलों में सुप्रीम कोर्ट के दखल को याद करते हुए, उन्होंने कहा कि कोर्ट ने तभी दखल दिया जब पाया कि अधिकारी बिना किसी नोटिस या कानूनी प्रोसेस के घरों को गिरा रहे थे।

    उन्होंने कहा कि ऐसी हरकतें न सिर्फ आरोपियों के अधिकारों का उल्लंघन करती हैं, बल्कि माता-पिता, भाई-बहनों, बच्चों और दूसरे सभी बेगुनाहों के बुनियादी अधिकारों का भी उल्लंघन करती हैं। उन्होंने कहा, 'यह कानून को अपने हाथ में लेने जैसा है।'

    कार्यपालिका पर कोर्ट की तरह काम करने का आरोप

    जस्टिस गवई ने इस बात पर जोर दिया कि संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए ज्यूडिशियल एक्टिविज़्म जरूरी है, लेकिन इसे तय लिमिट में ही काम करना चाहिए। फिर भी बुलडोज़र से तोड़फोड़ के मामलों में उन्होंने कहा कि सरकार की मनमानी ताकत को रोकने के लिए ज्यूडिशियरी को मजबूती से दखल देना होगा।

    गैर-कानूनी तोड़फोड़ पर हाई कोर्ट जाने की सलाह

    जस्टिस गवई ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों को गैर-कानूनी तोड़फोड़ के मामलों में तुरंत हाई कोर्ट जाने की आजादी दी है। कोर्ट ने कड़े सुरक्षा उपाय भी तय किए हैं, जिसमें कहा गया है कि सही प्रोसेस का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों को अवमानना में रखा जा सकता है।

    उन्होंने कहा, 'हमें उम्मीद थी कि हाईकोर्ट ऐसी शिकायतों पर तुरंत सुनवाई करेंगे और कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ़ कड़े कदम उठाए जाएंगे।'

    उन्होंने साफ किया, 'अगर कोई घर गैर-कानूनी तरीके से गिराया गया है, तो उसे सरकार को फिर से बनाना होगा और जो लोग दोषी हैं उनसे इसका पैसा वसूला जाएगा।'