अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान होते हुए कजाकिस्तान का सफर... 15 हजार किलोमीटर की उड़ान भर विदिशा लौट आया यूरेशियन गिद्ध
एक यूरेशियन गिद्ध अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान से 15,000 किलोमीटर की यात्रा करके विदिशा वापस आ गया। यह घटना वन्यजीव संरक्षण के महत्व को दर्शाती है और बताती है कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही ऐसे जीवों को बचाया जा सकता है। गिद्ध का अपने मूल स्थान पर लौटना संरक्षण प्रयासों की सफलता का प्रतीक है।

15,000 KM की उड़ान भरकर विदिशा लौटा गिद्ध
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के विदिशा स्थित हलाली बांध से मार्च में छोड़ा गया यूरेशियन ग्रिफिन प्रजाति का गिद्ध कजाकिस्तान में गर्मियां बिताकर लौट आया है। पिछले दिनों उसने राजस्थान के जरिये देश की सीमा में प्रवेश किया। वह अभी धौलपुर जिले में है।
विदिशा से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान होते हुए कजाकिस्तान और लगभग उसी मार्ग से वापसी की यात्रा में उसने करीब 15 हजार किलोमीटर का रास्ता तय किया है। इस साल जनवरी के महीने में यूरेशियन ग्रिफिन प्रजाति का यह गिद्ध सतना जिले के नागौद गांव में घायल अवस्था में मिला था।
15,000 KM की उड़ान भरकर विदिशा लौटा गिद्ध
वन विभाग की टीम इसे उपचार के लिए भोपाल ले आई। वहां वन विहार में उपचार के बाद 29 मार्च को हलाली डैम क्षेत्र से इसे आजाद किया गया। प्रवासी गिद्ध का माइग्रेशन पैटर्न समझने के लिए वन विभाग ने इसकी पीठ पर सैटेलाइट रेडियो कालर लगा दिया था।
पन्ना के बाद दूसरा अवसर था, जब किसी गिद्ध को जियो टैग लगाकर छोड़ा गया था। उसने कुछ दिन आसपास के क्षेत्र में विचरण करने के बाद अपने मूल स्थान की राह ली। वह पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान होता हुआ मई में कजाकिस्तान पहुंच गया। गर्मी उसने अपने पुरखों के मूल प्राकृतिक निवास में बिताई।
अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान से होकर यात्रा
सितंबर में कजाकिस्तान में सर्दियों की आहट के साथ ही उसने भारत की ओर उड़ान भरी। करीब छह माह के प्रवास के बाद उसी पैटर्न का इस्तेमाल कर वह भारत लौट आया है। विदिशा डीएफओ हेमंत यादव ने बताया कि यह गिद्ध मूलत: यूरोपीय देशों का रहने वाला है। सर्दी के मौसम में वहां ठंड बढ़ते ही वहां के गिद्ध भारत, पाकिस्तान जैसे अपेक्षाकृत कम ठंडे देशों में आ जाते हैं।
वन्यजीव संरक्षण प्रयासों का महत्वपूर्ण उदाहरण
इनके प्रवास के पैटर्न को समझने के लिए ही यह कवायद की गई थी। यादव के मुताबिक बुधवार को यह गिद्ध मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर स्थित धौलपुर के जंगल क्षेत्र में था। उनका कहना है कि यह गिद्ध वापस हलाली बांध क्षेत्र में भी आ सकता है, क्योंकि इसी क्षेत्र में यूरेशियन ग्रिफिन प्रजाति के गिद्ध अधिक आते हैं।
वन अधिकारियों का कहना है कि इससे प्रवासी पक्षियों के नेविगेशन पैटर्न आदि को समझने में मदद मिलेगी। यह गिद्ध संरक्षण में लगे विशेषज्ञों के लिए महत्वपूर्ण डाटा होगा।

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