'पीएम मोदी चाहते तो...', भारत-पाक सीजफायर पर ट्रंप के दावों की यूरेशिया अध्यक्ष ने निकाली हवा
यूरेशिया ग्रुप के प्रेसिडेंट इयान ब्रेमर ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के दावों को खारिज करने के लिए पीएम मोदी की तारीफ की। ब्रेमर ने कहा कि मोदी ने व्यक्तिगत रूप से ट्रंप को शर्मिंदा किया जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति उनसे कहीं ज्यादा शक्तिशाली हैं। उन्होंने इसे एक साहसिक कदम करार दिया है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान मध्यस्थता का दावा करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एक बार फिर किरकिरी हुई है। यूरेशिया ग्रुप के प्रेसिडेंट इयान ब्रेमर ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद ट्रंप के दावों को खारिज करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है और इसे एक साहसिक कदम करार दिया है।
ब्रेमर ने कहा, "उन्हें (ट्रंप को) परवाह नहीं है, उन्हें लगता है कि मैं ताकतवर हूं, मैं राष्ट्रपति हूं तो आपको मेरी बात सुननी होगी लेकिन हमने देखा है कि कुछ ऐसे देश भी हैं जो ट्रंप के सामने खड़े होकर नहीं कह सकते हैं। चीन ट्रंप के सामने खड़ा हुआ, रूस भी खड़ा हुआ। मुझे लगता है कि मोदी उस स्थिति में हैं। वो भारत-पाकिस्तान के मुद्दे पर ट्रंप को शर्मिंदा होने से बचा भी सकते थे लेकिन उन्होंने सार्वजनिक रूप से नहीं कहने का फैसला किया। कहा, नहीं आपका इससे कोई लेना-देना नहीं है और वाकई वैश्विक मंच पर ट्रंप को शर्मिंदा कर दिया।"
पीएम मोदी के इस फैसले को बताया रणनीतिक कदम
राजनीतिक विशेषज्ञ ने पीएम मोदी के इस फैसले को एक रणनीतिक कदम बताया। उन्होंने संकेत दिया कि ट्रंप का सार्वजनिक रूप से विरोध करने के उनके कदम से उन्हें घरेलू स्तर पर मदद मिली और उन्हें एक ऐसी राजनीतिक आजादी मिली जो अमेरिकी सहयोगियों के बीच दुर्लभ है।
यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष ने कहा, "मोदी ने व्यक्तिगत रूप से तय किया था कि वह इसे सार्वजनिक करेंगे और अमेरिकी राष्ट्रपति को शर्मिंदा करेंगे, जबकि अमेरिकी राष्ट्रपति मोदी से कहीं ज्यादा शक्तिशाली हैं और उस पद पर बैठे ज्यादातर नेताओं ने चुप रहना ही बेहतर समझा है। उन्होंने इसे बर्दाश्त कर लिया है। कुछ नेताओं ने तो खुलकर इस बारे में बात भी की है कि ट्रंप कितने अद्भुत हैं, कितने शानदार हैं। कीर स्टारमर को ही देख लीजिए, जिन्हें ट्रंप की विचारधारा बिल्कुल पसंद नहीं है, लेकिन उन्हें यह बात पसंद है कि उन्हें ट्रंप से दूसरे देशों के मुकाबले बेहतर डील मिली। वह बहुत कमजोर स्थिति में हैं... मोदी वास्तव में इसके बिल्कुल उलट हैं और इससे घरेलू राजनीति में मोदी को जरूर मदद मिली है। हम देखेंगे कि सुरक्षा और आर्थिक संबंधों पर इसका कोई व्यापक असर पड़ता है या नहीं।"
अमेरिका और पाकिस्तान के संबंधों पर क्या बोले ब्रेमर?
वहीं, ट्रंप प्रशासन और पाकिस्तानी सैन्य हलकों के बीच संबंधों में कथित गर्मजोशी को लेकर ब्रेमर ने कहा कि यह बातचीत रणनीतिक कारणों से कम, बल्कि ट्रंप के आंतरिक घेरे से जुड़े आर्थिक और व्यापारिक उद्देश्यों से अधिक प्रेरित थी।
उन्होंने कहा, "यह ज्यादातर व्यापार से जुड़ा है। जेक सुलिवन ने हाल ही में इस बारे में काफी लिखा है... यहां नैतिकता का अभाव है, परिवार में एक तरह का चोरतंत्र और कुलीनतंत्र का भाव है और प्रशासन के इर्द-गिर्द ऐसे लोगों का एक समूह है जो दुनिया के भरोसे हैं और पाकिस्तान के साथ काफी व्यापार कर रहे हैं। और इसी वजह से वे यहां आए हैं। मुझे नहीं लगता कि यह कोई खास रणनीतिक बदलाव है। मुझे लगता है कि यह अवसरवाद है और यह कुछ पैसों का मामला है। काश ऐसा न होता। अमेरिका को इस तरह नहीं चलना चाहिए। लेकिन जो कोई भी इस बारे में रिपोर्टिंग देख रहा है, वह इस सच्चाई को नजरअंदाज नहीं कर सकता।"
(न्यूज एजेंसी एएनआई के इनपुट के साथ)
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