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जानिए- क्या है कोलोन कैंसर, वैज्ञानिकों को मिली इस बीमारी से जुड़ी अहम जानकारी

शोधकर्ताओं के अनुसार, यह एंजाइम शुगर मोलेक्यूल या ग्लाइकान से संबद्ध करके सामान्य कोलोन टिश्यू को कैंसर में परिवर्तित कर देता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 29 Jan 2018 12:29 PM (IST)Updated: Mon, 29 Jan 2018 12:36 PM (IST)
जानिए- क्या है कोलोन कैंसर, वैज्ञानिकों को मिली इस बीमारी से जुड़ी अहम जानकारी
जानिए- क्या है कोलोन कैंसर, वैज्ञानिकों को मिली इस बीमारी से जुड़ी अहम जानकारी

नई दिल्ली (जेएनएन)। वैज्ञानिकों ने बड़ी आंत से संबंधित कोलोन कैंसर से जुड़े एक एंजाइम की पहचान की है। यह एंजाइम स्वस्थ कोलोन टिश्यू में तो नहीं मिले लेकिन कोलोन कैंसर सेल्स में प्रचुर मात्रा में पाया गया। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह एंजाइम शुगर मोलेक्यूल या ग्लाइकान से संबद्ध करके सामान्य कोलोन टिश्यू को कैंसर में परिवर्तित कर देता है। डेनमार्क की कोपेनहेगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता हांस वांडाल ने कहा, ‘हमारे शोध से जाहिर होता है कि यह खास प्रकार का एंजाइम प्रोटीन के एक समूह को प्रभावित करता प्रतीत पाया गया है। इसकी सेल जुड़ाव में भूमिका हो सकती है।’

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शोधकर्ताओं ने बताया कि दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ग्लाइकान परिवर्तन से पैटर्न में बदलाव आ जाता है। इससे सेल्स एकदूसरे से चिपक जाती हैं और सेल्स स्वस्थ टिश्यू की जगह ट्यूमर की तरह विकसित दिखाई पड़ती हैं।

कोलोन कैंसर में कारगर बैंगनी आलू

साग-सब्जियों व फलों से भरपूर आहार खासकर बैंगनी आलू कोलोन कैंसर से बचाव में कारगर साबित हो सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि इस तरह के आहार से इस रोग के खतरे को कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, बैंगनी आलू जैसी सब्जियों के रंगीन पौधों में एंथोसायनिन और फेनोलिक एसिड जैसे बायोएक्टिव यौगिक पाए जाते हैं। इनका जुड़ाव कैंसर से बचाव से है।

ये यौगिक मोलेक्युटर स्तर पर काम करते हैं। यह कैंसर के लिए नया उपचार विकसित करने की दिशा में पहला कदम हो सकता है। इस शोध से जुड़े भारतवंशी और अमेरिका की पेंसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जयराम केपी वनमाला ने कहा, ‘हमारी समझ के अनुसार, खाद्य पदार्थ दोहरी धार वाली तलवार की तरह होते हैं? इनसे बीमारी बढ़ सकती है और कोलोन कैंसर जैसे रोग से बचाव भी हो सकता है। शोध में इस रोग के खतरे को कम करने में बैंगनी आलू के प्रभाव का पता चला है। दूसरे रंगीन फलों और सब्जियों का भी इसी तरह का असर देखने को मिल सकता है।’ 


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