Environment protection: ऑक्सीजन की खातिर जंगल बनाने में जुटे चंबल के चार डॉक्टर, पढ़ें
31 बीघा जमीन खरीदी अब जल्द से जल्द आबाद कर देना चाहते हैं घना जंगल।
ग्वालियर, विजय सिंह राठौर ग्वालियर। चंबल के ये चार डॉक्टर नहीं चाहते हैं कि लोगों को ऑक्सीजन चढ़ाने की नौबत आए। वे भविष्य को लेकर भी चिंतित हैं। नहीं चाहते कि आने वाले समय में लोगों को बोतलबंद ऑक्सीजन का मोहताज होना पड़े। लिहाजा, जल्द से जल्द घना जंगल बसा देने में जुटे हुए हैं। ताकि प्राणवायु की कमी न होने पाए और जिंदगी हंसी-खुशी चलती रहे। आइये मिलवाते हैं ग्वालियर, मध्यप्रदेश के चिकित्सक दंपती डॉ. रवींद्र और डॉ. ऋतिका बंसल व डॉ. अंशुमन और डॉ. सपना सोमानी से।
इन चारों ने 'जहां जगह मिले वहां पौधारोपण' करने का बीड़ा उठाया है। दोनों ही दंपतियों ने पहले अपने घर-आंगन में ही पौधारोपण कर शुरुआत की, लेकिन जब आंगन कम पड़ा तो पैसे जुटाए और टेकनपुर के पास भरतरी और मानपुर गांव से लगती 31 बीघा जमीन खरीदी। यह जमीन केवल और केवल घना जंगल बसाने के इरादे से ही खरीदी गई।
वे कहते हैं, इस जमीन का कोई व्यावसायिक इस्तेमाल हम नहीं करेंगे। वीरान पड़ी इस पथरीली जमीन को घने जंगल में तब्दील कर देने की इन्हें इस कदर जल्दी है कि छोटे पौधों की जगह आदमकद हो चुके अपेक्षाकृत पौधे रोपे जा रहे हैं। इनमें आंवला, आम, नीम, पीपल, बरगद जैसे पौधे शामिल हैं, जो घने वृक्ष बन जाएंगे।
चिकित्सकों ने आमजन को भी जागरूक किया है। नतीजा, बीते कुछ ही समय में इस जमीन पर जनसहयोग से दो हजार पौधे रोपे जा चुके हैं। पौधारोपण केवल दिखावा और औपचारिकता न बने बल्कि पौधे पनप कर पेड़ भी बनें, इस बात का हरसंभव इंतजाम भी डॉक्टर दंपती ने किया है।
31 बीघा जमीन के तीन हिस्सों में वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए तीन बड़े गढ्डे कराए गए हैं। तीन बोरिंग भी कराई गई हैं। मोटर के माध्यम से नवरोपित पौधों की सिंचाई निरंतर की जाती है। इन चारों में से एक डॉक्टर रोजाना पौधों की मॉनीटरिंग करने पहुंचते हैं।
डॉ. अंशुमन सोमानी का कहना है कि हम कभी भी यह जमीन नहीं बेचेंगे। यह विचार भी हमारे मन में कतई नहीं आया। यही कारण है कि हम चारों डॉक्टरों के नाम संयुक्त रजिस्ट्री कराई गई है। हमें हमारे द्वारा बनाए गए जंगल से जैविक फल व ताजी सब्जियां मिल सकें, इसे आप हमारा लालच करार दे सकते हैं।
वहीं, डॉक्टर बंसल का कहते हैं, मुझे फोटोग्राफी का बहुत शौक है। मेरा ख्वाब है कि मैं स्वनिर्मित जंगल में सुंदर चिडि़यों के फोटो खींच सकूं। इस वन में विदेशी पक्षी भी आएं, इसलिए कृत्रिम तालाब आदि बनाने की भी कोशिश करेंगे।
कोई भी लगाए पौधे, हम करेंगे देखरेख
इस 31 बीघा जमीन को घने जंगल में तब्दील करने के लिए डॉक्टर दंपती ने सभी से अपील की है। डॉ. रवींद्र और डॉ. अंशुमन का कहना है कि कोई भी अपने मन में ये विचार न लाए कि किसी की निजी जमीन पर पौधारोपण क्यों करें। इस जमीन को लोग प्राकृतिक संपदा समझें। कोई भी आकर यहां पौधारोपण कर सकता है और हम वादा करते हैं कि हम उन पौधों को हर संभव सुरक्षा देंगे, उनकी देखरेख करेंगे।
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