Move to Jagran APP

अब हिंदी में भी होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, एआईसीटीई की पहल पर सरकार ने दी हरी झंडी

इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी माध्यम में भी होगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 10 May 2018 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 10 May 2018 09:59 PM (IST)
अब हिंदी में भी होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, एआईसीटीई की पहल पर सरकार ने दी हरी झंडी
अब हिंदी में भी होगी इंजीनियरिंग की पढ़ाई, एआईसीटीई की पहल पर सरकार ने दी हरी झंडी

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इंजीनियरिंग की पढ़ाई अब अंग्रेजी के साथ-साथ हिंदी माध्यम में भी होगी। तकनीकी संस्थानों को इससे जुड़े कोर्सो को अब हिंदी माध्यम में पढ़ाने की भी स्वतंत्रता मिलेगी। सरकार ने इसे लेकर तकनीक संस्थानों को सहूलियत दी है। साथ ही इसे प्रोत्साहित करने के लिए इंजीनियरिंग से जुड़ी किताबों को हिंदी में तैयार करने की पहल भी की है। सरकार का मानना है कि इससे छात्रों में इंजीनियरिंग को लेकर रुझान और बढ़ेगा, क्योंकि अभी भाषाई दिक्कत के चलते बड़ी संख्या में छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई से कतराते है।

loksabha election banner

एआईसीटीई से जुड़े किसी भी कोर्स को हिन्दी में पढ़ाने पर अब कोई प्रतिबंध नहीं है। कोई भी संस्थान हिंदी माध्यम में इसकी पढ़ाई करा सकते है; प्रो. अनिल सहत्रबुद्धे, अध्यक्ष, एआईसीटीई।

-तकनीकी संस्थानों को मिलेगी हिंदी माध्यम में कोर्स शुरु करने की अनुमति

-एआईसीटीई ने इंजीनियरिंग के प्रति छात्रों के आकर्षण को बढ़ाने के लिए उठाया कदम

इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी माध्यम में कराने की यह पहल अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने की है। हाल ही में सरकार ने भी इसे मंजूरी दी है। हालांकि संस्थानों पर इसे जबरन नहीं थोपा जाएगा, बल्कि वह अपनी मर्जी से अपने संस्थान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी और अंग्रेजी में से किसी भी माध्यम में कराने के लिए स्वतंत्र रहेंगे।

एआईसीटीई का मानना है कि यह पहल काफी पहले होनी चाहिए थी, लेकिन इसकी राह में सबसे बड़ी बाधा पाठ्य पुस्तकों की कमी थी। जिसे अब दूर करने की कोशिश की जा रही है। इंजीनियरिंग से जुड़ी किताबों को हिंदी में तैयार करने वाले लेखकों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने इसी कड़ी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम से जुड़ी किताबों को तैयार करने वाले लेखकों को पुरस्कृत भी किया है।

माना जा रहा है कि सरकार की इस पहल से इंजीनियरिंग संस्थानों को उबारने में भी मदद मिलेगी, क्योंकि मौजूदा समय में देश में इंजीनियरिंग संस्थान बड़ी संख्या में सीटों के खाली रहने से बंद हो रहे है।

गौरतलब है कि तकनीकी शिक्षा से जुड़े आईआईटी और इंजीनियरिंग कालेजों का संचालन एआईसीटीई के नियमों के तहत होता है। इन्हें अपने यहां संचालित होने वाले प्रत्येक कोर्स को एआईसीटीई से अनुमति लेनी जरूरी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.