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    छोटे शहरों के इंजीनियरिंग कॉलेजों का होगा उन्नयन, शिक्षा मंत्रालय की बड़ी पहल

    Updated: Mon, 15 Sep 2025 11:30 PM (IST)

    शिक्षा मंत्रालय और एआइसीटीई ने छोटे शहरों के इंजीनियरिंग कॉलेजों को उन्नत करने का निर्णय लिया है। प्रोजेक्ट प्रैक्टिस के तहत अगले तीन वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 23 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जाएगी। IIT और IIIT जैसे शीर्ष संस्थान इन कॉलेजों को मेंटरिंग करेंगे। इस पहल से पांच लाख से अधिक छात्रों और 10 हजार शिक्षकों को लाभ मिलेगा जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

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    छोटे शहरों के इंजीनियरिंग कॉलेजों का होगा उन्नयन (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। छोटे शहरों में रहकर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्र भी अब अपने सपनों को ऊंची उड़ान दे सकेंगे। शिक्षा मंत्रालय और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) ने छोटे शहरों के एक हजार इंजीनियरिंग कालेजों के उन्नयन का फैसला लिया है।

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    इस दौरान इनके इंफ्रास्ट्रक्चर पर अगले तीन सालों में जहां 23 करोड़ से अधिक की राशि खर्च की जाएगी, वहीं इन संस्थानों को आइआइटी, ट्रिपलआइटी जैसे देश के शीर्ष इंजीनिय¨रग संस्थान मेंटरिंग करेंगे।शिक्षा मंत्रालय और एआइसीटीई ने इसे लेकर प्रोजेक्ट प्रैक्टिस (प्रोजेक्ट फार एडवांसिंग क्रिटिकल थिंकिंग, इंडस्ट्री कनेक्ट एंड एम्पायविलिटी) शुरू करने की घोषणा की है।

    कितने कॉलेजों को जोड़ा जाएगा

    पहले साल 200 इंजीनियरिंग कालेजों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा, जबकि 2026-27 में 300 कालेजों व 2027-28 में 500 कालेजों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जाएगा। इस पहल से तीन सालों में पांच लाख से अधिक छात्रों व करीब 10 हजार शिक्षकों को फायदा मिलेगा।

    एआइसीटीई के मुताबिक टीयर-2 व टीयर-3 शहरों के इंजीनियरिंग कालेजों के चयन को लेकर जल्द ही अभियान शुरू किया जाएगा। इनमें सरकारी और निजी कालेज दोनों शामिल होंगे। इनका चयन प्रतिस्पर्धा के आधार पर किया जाएगा।

    कितने छात्र हैं

    गौरतलब है कि देश में मौजूदा समय में एआईसीटीई अनुमोदित 5,868 इंजीनियरिंग और डिप्लोमा कालेज चल रहे है। जिसमें 30 लाख से ज्यादा छात्र हैं। इन पहलों से रोजगार की कमी को काफी हद तक पाटने की उम्मीद है। खासकर एआइ, डाटा साइंस व क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे उभरते क्षेत्रों को भी इससे ताकत मिली है।

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