नेशनल हेराल्ड मामले में ED का एक्शन शुरू, कब्जे में ली जाएगी 661 करोड़ की संपत्ति; नोटिस जारी
प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड मामले में एक्शन शुरू कर दिया है। ईडी ने 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने के लिए नोटिस जारी किए हैं। बता दें कि इन संपत्तियों को ईडी ने कांग्रेस के नियंत्रण वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ धन शोधन मामले की जांच में कुर्क किया था। मुंबई दिल्ली और लखनऊ में नोटिस चिपकाए गए हैं।

पीटीआई, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने शनिवार को कहा कि उसने 661 करोड़ रुपये की अचल संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने के लिए नोटिस जारी किए हैं, जिन्हें उसने कांग्रेस नियंत्रित एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ धन शोधन मामले की जांच में कुर्क किया था।
जांच एजेंसी ने एक बयान में कहा कि उसने शुक्रवार को दिल्ली में आईटीओ स्थित हेराल्ड हाउस, मुंबई के बांद्रा इलाके में परिसर और लखनऊ में बिशेश्वर नाथ रोड स्थित एजेएल भवन में ये नोटिस चिपकाए हैं।
पीएमएलए के तहत कार्रवाई
नोटिस में परिसर को खाली करने या मुंबई की संपत्ति के मामले में किराए को ईडी को हस्तांतरित करने की मांग की गई है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा (8) और नियम 5(1) के तहत की गई है।
As part of the process to take possession of the tainted properties in the Associated Journals Limited (AJL) money laundering case, the Directorate of Enforcement (ED), in compliance with Section 8 of PMLA, 2002 and Rule 5(1) of the Prevention of Money Laundering (Taking… pic.twitter.com/egM1CnJTsq
— ANI (@ANI) April 12, 2025
इसमें ईडी द्वारा कुर्क की गई और निर्णायक प्राधिकरण (पीएमएलए) द्वारा पुष्टि की गई संपत्तियों को कब्जे में लेने की प्रक्रिया के बारे में जिक्र है। इन अचल संपत्तियों को ईडी ने नवंबर 2023 में कुर्क किया था।
राहुल और सोनिया के पास शेयर
- धन शोधन का यह मामला एजेएल और यंग इंडियन से जुड़ा हुआ है। नेशनल हेराल्ड का प्रकाशन एजेएल द्वारा किया जाता है और इसका स्वामित्व यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड के पास है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी यंग इंडियन के मेजॉरिटी शेयरधारक हैं, जिनमें से प्रत्येक के पास 38 प्रतिशत शेयर हैं।
- ईडी का कहना है कि यंग इंडियन और एजेएल की संपत्तियों का इस्तेमाल 18 करोड़ रुपये के फर्जी दान, 38 करोड़ रुपये के फर्जी अग्रिम किराए और 29 करोड़ रुपये के फर्जी विज्ञापनों के रूप में अपराध की आगे की आय अर्जित करने के लिए किया गया।
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