Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एंडोसल्फान के पीड़ितों को मिला न्याय, सरकार देगी 2 अरब रुपये मुआवजा, जानिए- क्‍या है पूरा मामला

    By TilakrajEdited By:
    Updated: Wed, 24 Aug 2022 09:42 AM (IST)

    हानिकारक रसायनों का प्रयोग कृषि क्षेत्र में बंद करना होगा अन्यथा मानवता के लिए यह एक गंभीर खतरा साबित होगा। एक कीटनाशक का प्रयोग करने या उसके संपर्क में आने की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है जिसका दंश भावी पीढ़ी भी झेलने को अभिशप्त होती है!

    Hero Image
    भारत एक समय एंडोसल्फान का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता था

    नई दिल्‍ली, सुधीर कुमार। सर्वोच्च न्यायालय द्वारा लंबे समय से लगाई जा रही फटकार के बाद अंतत: केरल सरकार ने एंडोसल्फान कीटनाशक के पीड़ितों को मुआवजा के तौर पर दो अरब रुपये जारी कर दिया है। दरअसल, सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 और 2019 के अपने कई आदेशों में राज्य सरकार को प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने की बात कही थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    केरल में इस कृषि-रसायन से प्रभावित लोगों की संख्या पांच हजार से अधिक है। इनमें से कई पीड़ित आज मानसिक रूप से दिव्यांग, तो कई शारीरिक अक्षमता के शिकार हैं। कई पीड़ित त्वचा विकार और कई कैंसर का सामना कर रहे हैं। ऐसे में मुआवजे का मिलना पीड़ितों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के लिए एक जीत की तरह है।

    जरा सोचिए, एक कीटनाशक का प्रयोग करने या उसके संपर्क में आने की कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है, जिसका दंश भावी पीढ़ी भी झेलने को अभिशप्त होती है! साल 1950 में विकसित एंडोसल्फान एक कीटनाशक है, जिसका प्रयोग कृषि क्षेत्र में विशेषकर फसलों पर लगे कीड़ों को मारने के लिए किया जाता है। भारत एक समय एंडोसल्फान का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता था। मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को नजरअंदाज कर देश में इसका प्रयोग धड़ल्ले से जारी रहा। केरल के काजू के बागानों में कई वर्षो तक इस रसायन का छिड़काव होता रहा।

    नतीजा यह हुआ कि बड़ी संख्या में कीट-पतंगों, छोटे जीवों की मौत होने लगी और कृषकों, कृषि श्रमिकों के साथ-साथ उसके परिजन भी बीमार पड़ने लगे। कुछ ही वर्षों में वहां की मिट्टी, जल और हवा में कीटनाशक घुल गया। हजारों लोग इसकी चपेट में आने लगे। आने वाली पीढ़ियों के लिए यह एक अभिशाप की तरह ही था।

    अधिकांश कीटनाशक खाद्य पदार्थों को विषाक्त बनाने के साथ-साथ मृदा, जल और पर्यावरण को भी दूषित करते हैं। भोजन, पेयजल और हवा के जरिये ये मानव शरीर में प्रवेश करते हैं और गुर्दा, यकृत, प्रतिरक्षा प्रणाली, प्रजनन क्षमता में कमी, मानसिक मंदता का खतरा उत्पन्न करते हैं।

    दुनियाभर में शारीरिक विकारों, मानसिक अक्षमताओं और मौतों का ये कारण बन रहे हैं। 2011 के स्टाकहोम सम्मेलन में एंडोसल्फान कीटनाशक के वैश्विक उत्पादन और प्रयोग पर पाबंदी लगा दी गई। सर्वोच्च न्यायालय ने 13 मई, 2011 को इसके उत्पादन, क्रय-विक्रय और उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया।

    हालांकि, कानूनी प्रतिबंध के बाद भी इसका प्रयोग धड़ल्ले से जारी रहा, जिसका नतीजा यह हुआ कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रसायन मानव संसाधन को लीलने लगा। एंडोसल्फान से सबक लेते हुए किसी भी तरह के हानिकारक रसायनों का प्रयोग कृषि क्षेत्र में बंद करना होगा, अन्यथा मानवता के लिए यह एक गंभीर खतरा साबित होगा।

    (लेखक बीएचयू में शोधार्थी हैं)