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    ग्रामीण अर्थव्यवस्था का इंजन बनेंगे किसान उत्पादक संगठन, एक करोड़ रुपये तक पहुंचेगा कारोबार

    By ARVIND SHARMAEdited By: Swaraj Srivastava
    Updated: Sun, 02 Nov 2025 10:00 PM (IST)

    सरकार किसानों को खुशहाल बनाने के लिए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सशक्त बनाने की योजना पर काम कर रही है। लक्ष्य है कि एक वर्ष में कम से कम पांच हजार एफपीओ का कारोबार एक करोड़ रुपये तक पहुंचे। वर्तमान में 10 हजार एफपीओ गठित हैं, जिनमें से 1,100 'एक करोड़ के क्लब' में शामिल हैं। सरकार एफपीओ को 'अमूल डेयरी माडल' की तर्ज पर विकसित करना चाहती है।

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    एफपीओ का वार्षिक कारोबार एक करोड़ रुपये तक पहुंचाने की प्लानिंग (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। किसानों को खुशहाल बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए सरकार ने किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सशक्त बनाने की नई योजना पर काम शुरू कर दिया है। लक्ष्य है कि एक वर्ष में कम से कम पांच हजार एफपीओ का वार्षिक कारोबार एक करोड़ रुपये तक पहुंचाया जाए।

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    वर्तमान में देश में 10 हजार एफपीओ गठित हो चुके हैं, जिनमें से 1,100 एफपीओ पहले ही 'एक करोड़ के क्लब' में शामिल हो चुके हैं। इनमें से 340 एफपीओ ने 10 करोड़ रुपये का कारोबार भी पार कर लिया है। अब तक इन सभी संगठनों का कुल संयुक्त कारोबार 16,700 करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।

    केंद्र सरकार का मानना है कि अगर यही रफ्तार रही तो तीन वर्षों में एफपीओ ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए 50 हजार करोड़ रुपये का बाजार तंत्र तैयार कर देंगे। ये सिर्फ किसानों के समूह भर नहीं रहेंगे, बल्कि ग्रामीण भारत के 'स्टार्टअप माडल' के रूप में उभरेंगे।

    इससे खेती न केवल लाभदायक बनेगी, बल्कि गांवों में रोजगार, निवेश और नवाचार की नई राह भी खुलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि जिस तरह अमूल ने डेयरी क्षेत्र में क्रांति लाई, उसी तरह एफपीओ कृषि बाजार में आर्थिक परिवर्तन के वाहक बन सकते हैं।

    50 लाख किसान हैं शेयरधारक

    वर्तमान में इन एफपीओ से 50 लाख से अधिक किसान शेयरधारक के रूप में जुड़े हैं। अगले एक वर्ष के भीतर इनकी संख्या चार गुना बढ़ाकर करीब दो करोड़ करने का लक्ष्य है। इससे गांवों में सशक्त आर्थिक ढांचा तैयार होगा जो खेती के साथ-साथ ग्रामीण उद्योगों और सेवा क्षेत्रों को भी नई पहचान देगा।

    तैयारी है कि एफपीओ सिर्फ कुछ किसानों के संगठन न रहकर गांवों की आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बनें। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी, उत्पादन क्षमता में सुधार आएगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

    कृषि इनपुट में बनाना चाहते हैं आत्मनिर्भर

    कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान एफपीओ को कृषि इनपुट के क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं। इसके तहत हर एफपीओ को बीज, उर्वरक और कीटनाशक बिक्री का लाइसेंस दिया जा रहा है, ताकि किसानों को सीधी आमदनी हो।

    अब तक 6046 एफपीओ को बीज, 4246 को कीटनाशक और 5709 को उर्वरक की डीलरशिप दी जा चुकी है। इससे निजी कंपनियों पर निर्भरता कम हुई है।

    'अमूल डेयरी माडल' की तर्ज पर विकसित करने की योजना

    सरकार की योजना है कि हर जिले में 'अमूल डेयरी माडल' की तर्ज पर एक प्रमुख किसान स्वामित्व वाला संगठन विकसित किया जाए, जो स्थानीय स्तर पर उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन की जिम्मेदारी संभाल सके। एफपीओ को ओएनडीसी, ई-एनएएम और जीईएम जैसे डिजिटल सरकारी प्लेटफार्मों से जोड़ने पर भी जोर दिया जा रहा है, जिससे उनकी बाजार पहुंच बढ़ेगी।

    कई एफपीओ पहले ही इन प्लेटफार्मों के जरिये एमएसपी के तहत तिलहन, दलहन और अनाज की खरीद में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। कृषि मंत्रालय का मानना है कि अगर यह माडल सफल रहा, तो एफपीओ आने वाले समय में ग्रामीण भारत की आर्थिक प्रगति के सबसे सशक्त माध्यम के रूप में स्थापित होंगे।