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    जनसामान्य से संबंधित अनेक सरोकारी मसलों को प्रबंधन शिक्षा से जोड़ना होगा

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Mon, 18 Jul 2022 12:41 PM (IST)

    देश-दुनिया में सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में निरंतर परिवर्तन जारी है। ऐसे में प्रबंधन शिक्षा का महत्व भी बढ़ता जा रहा है लिहाजा इसके स्वरूप में भी बदलाव आवश्यक है। एआइ का उपयोग अधिकांश क्षेत्रों में बढ़ रहा है।

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    प्रबंधन शिक्षा में उभरते प्रतिमान। प्रतीकात्मक फोटो

    सी. के. रंगनाथन। प्रबंधन शिक्षा अर्थव्यवस्था और व्यापार गतिशीलता में होने वाले परिवर्तनों पर नजर बनाए रखती है। वैसे कोविड महामारी के बाद से इस परिवर्तन की गति में तेज गिरावट आई है। इस स्वास्थ्य संकट ने कामर्स, टेक्नोलाजी, व्यापारिक ढांचों और सिस्टम, संगठन की प्राथमिकताओं और उसके नियमों, उपभोक्ता और निवेशकों की सक्रियता के साथ-साथ व्यापार से समाज और राजनीतिक अपेक्षाओं को बहुत तगड़ा झटका दिया है। कोरोना काल ने उद्योग और शिक्षा के बीच की खाई को और भी चौड़ा करने का काम किया है।

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    कोविड महामारी और उससे पैदा लाकडाउन के दौर में लोगों ने बहुत कुछ सीखा। लिहाजा आने वाले वर्षो में प्रबंधन शिक्षा में कई महत्वपूर्ण बदलाव दिख सकते हैं। वर्तमान में शिक्षा के लिए जो सबसे बड़ा बदलाव देखने को मिला है वह है तकनीक का इस्तेमाल। लंबे लाकडाउन के दौर में आनलाइन और डिस्टेंस एजुकेशन ने लोगों के बीच लोकप्रियता और पहुंच हासिल की है। जिन संस्थानों और विश्वविद्यालयों ने अपने पाठ्यक्रम को आनलाइन चलाने का प्रयोग किया उन्होंने अपने संस्थानों के प्रमुख पाठ्यक्रमों को लोगों तक आनलाइन पहुंचाना भी सीखा। इन विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने डिजिटल व टेलीकाम इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए निवेश किया, जबकि शिक्षकों ने डिजिटल उपकरणों के उपयोग और शिक्षा सामग्री को डिजिटल बनाना सीखा।

    भले ही अब स्कूल और कालेज फिर से खुल गए हों, लेकिन डिजिटल विधा को पूरी तरह से भुलाया नहीं जा सकता है। वहीं अब संस्थानों और शिक्षकों को यह भी महसूस होता है कि आनलाइन शिक्षा से संचालन लागत और दूसरे खर्चो में कमी लाई जा सकती है। भारत की नई शिक्षा नीति में भी डिजिटल विश्वविद्यालयों को बनाने पर जोर दिया गया है। साथ ही छात्रों को सामयिक जरूरतों के योग्य बनाने के लिए अलग-अलग तरीकों से पढ़ाए जाने का प्रविधान किया गया है। आज बहुत से बिजनेस स्कूल ऐसे हैं, जो बड़ी स्क्रीन के साथ हाई कैपिसिटी डाटा कनेक्टिविटी से लैस वचरुअल क्लासरूम बनाने पर विचार कर रहे हैं और कुछ तैयार भी कर रहे हैं, ताकि आफलाइन शिक्षण और चर्चा के अनुभव का आनंद लिया जा सके। इन प्रतिष्ठित बिजनेस स्कूलों से उम्मीद है कि ये अपनी खासियत को कायम रखेंगे और यहां पढ़ने वाले छात्रों और शिक्षकों की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे। ये बिजनेस स्कूल अपने प्रतिद्वंद्वियों की हाइब्रिड पेशकश के बावजूद स्वयं को तैयार करने पर विचार कर रहे हैं।

    कुछ प्रमुख संस्थान ऐसे भी हैं, जो छात्रों और शिक्षकों के बीच दोस्ती को बढ़ाने के लिए अपनी आनलाइन कक्षाओं को कैंपस क्लास के साथ मिलाने का प्रयास कर रहे हैं। हमारे बीच पहले से मौजूद बिजनेस-स्कूल और उन्हें चुनौती देने वाले संस्थान छात्रों को कष्टदायी ऋण प्रक्रिया से बचाने और उन्हें सस्ती शिक्षा प्रदान करने के अवसर के साथ-साथ उच्च गुणवत्ता वाली प्रबंधन शिक्षा देने की अपनी क्षमता को परिभाषित कर रहे हैं। यह भी तय है कि उच्च शिक्षा में तकनीक एक बड़ा अंतर साबित होगी। अब आपको मैनेजर बनने के लिए केवल एमबीए करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि आप रिफ्रेशर कोर्स करके भी मैनेजर बन सकते हैं। ऐसे बहुत से लोग हैं, जो अपने करियर में एक या दो साल का ब्रेक लेकर एमबीए नहीं कर सकते हैं। इसके अलावा छात्रों को व्यावसायिक अनुभव और एक्सपोजर देने के साथ-साथ इन बिजनेस स्कूल से अपेक्षा की जाती है कि वे छात्रों को अपने नेटवर्क का विस्तार करने का तरीका सिखाएंगे।

    प्रबंधन शिक्षा में तकनीक : तकनीक के जल्द ही प्रबंधन शिक्षा के बाजार में दस्तक देने की संभावना है। एक तरफ ऐसे प्रख्यात बिजनेस स्कूल हैं, जो खुद को डिजिटली और फिजिकली दोनों प्रकार के अनुभव से लैस होने का दावा करते हैं, तो वहीं दूसरी तरफ ऐसे संस्थान भी हैं, जो पढ़ाई के खर्चे को कम करने के लिए तकनीक का उपयोग करेंगे। प्रबंधन शिक्षा का बाजार कुछ इस तरह का होगा, जिसमें उच्च तकनीक वाले बिजनेस स्कूल शीर्ष पर रहेंगे।

    आटोमेशन : शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश परीक्षा, फाउंडेशन कोर्स, स्टूडेंट प्रोग्रेस एसेसमेंट जैसी चीजों में एल्गोरिदम का उपयोग किए जाने की संभावना है। उपलब्धियों को हासिल करने के बजाए छात्रों के ज्ञान और कौशल पर ध्यान देकर एआइ का उपयोग एक अलग तरीके से किया जा सकता है। एआइ की मदद से शिक्षक के हस्तक्षेप के बिना भी छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए निर्देश सामग्री को तैयार किया जा सकता है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान तकनीकी क्रांति के अलावा प्रबंधन के पर्यावरणीय, सामाजिक और राजनयिक (ईएसजी) पहलुओं पर खासा जोर दिया गया है। एक तरफ जहां प्रबंधन शिक्षा अपने जमीनी स्तर को स्थिर बनाने के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारी हासिल कर रही थी, वहीं हाल ही में जलवायु परिवर्तन, मानवाधिकार, विविधता, लिंग समानता के मुद्दों में रुचि ने प्रबंधन शिक्षा में अपनी जगह बनाई है।

    बिजनेस एजुकेशन पर अधिक ध्यान दिए जाने की जरूरत है, क्योंकि जो इन बिजनेस स्कूलों में जो पढ़ाया जाता है, और अब जो नई व्यावसायिक तकनीक आ रही है, उनके बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है। ऐसे में प्रबंधन शिक्षा को अब और ज्यादा तकनीकी, आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बदलावों के प्रति प्रासंगिक बनाना होगा। इसलिए बिजनेस स्कूलों को बहुत कम समय में नई चीजों के प्रति अपनी दक्षता को साबित करना होगा।

    [अध्यक्ष, आल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन]