देश के सिर्फ दस राज्यों में ही हो रही सड़कों की इलेक्ट्रानिक निगरानी, दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह ओवरस्पीडिंग
राज्यसभा में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक सवाल के जवाब में बताया है कि केवल दस राज्यों-उत्तर प्रदेश दिल्ली महाराष्ट्र बंगाल राजस्थान मध्य प्रदेश गुजरात ओडिशा और आंध्र प्रदेश ने इलेक्ट्रानिक निगरानी के उपाय किए हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: सड़क सुरक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट की समिति की ओर से खासा जोर दिए जाने के बावजूद स्थिति यह है कि केवल दस राज्य हाईवे की इलेक्ट्रानिक निगरानी करने की स्थिति में हैं। इलेक्ट्रानिक निगरानी से आशय राष्ट्रीय राजमार्गों पर उच्च ट्रैफिक घनत्व वाले स्थानों पर स्पीड कैमरे, सीसीटीवी, स्पीड गन, बाडी वियरबेल और डैशबोर्ड कैमरे, आटोमैटिक नंबर प्लेट रिकाग्निशन सिस्टम की स्थापना से है। इसे सड़क सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी जरूरत माना गया है और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से भी इसकी लगातार अनिवार्यता जताई जाती रही है।
कई राज्यों में इलेक्ट्रानिक निगरानी के उपाय
राज्यसभा में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने एक सवाल के जवाब में बताया है कि केवल दस राज्यों-उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, ओडिशा और आंध्र प्रदेश ने इलेक्ट्रानिक निगरानी के उपाय किए हैं। इनमें भी उत्तर प्रदेश ने केवल 222 स्पीड गन, 2577 बाडी वियरेबल और 186 डैश बोर्ड कैमरे लगाए हैं।
कर्नाटक ने दिखाई सबसे अधिक सक्रियता
दिल्ली ने 66 स्थानों पर 125 कैमरे, 110 स्पीड गन, 569 बाडी वियरेबल कैमरे स्थापित किए हैं। कर्नाटक ने सबसे अधिक सक्रियता दिखाई है और सभी कसौटी पर कुछ न कुछ काम किया है। गुजरात और आंध्र सीसीटीवी लगाने में सबसे आगे हैं। स्पीड कैमरों को गति सीमा के उल्लंघन के मामलों को पकड़ने के लिए सबसे जरूरी माना गया है। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक ओवर स्पीडिंग 71 प्रतिशत से अधिक हादसों का कारण है।