अब ज्यादा बिजली बिल का झंझट होगा खत्म, सरकार करने जा रही कानून में संशोधन; क्या है प्लान?
केंद्र सरकार बिजली कानून में संशोधन कर रही है, जिसके तहत मुफ्त बिजली का बोझ अब दूसरे उपभोक्ताओं पर नहीं पड़ेगा। बिजली की कीमत 'कास्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ' के आधार पर तय होगी, जिसमें वितरण कंपनी (डिस्काम) केवल वास्तविक खर्च और एक निश्चित मुनाफा ही वसूल सकेगी। एक ही इलाके में कई डिस्काम होने से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली मिल सकेगी। बिजली कानून संशोधन 2025 के तहत एक इलेक्ट्रिसिटी काउंसिल का भी प्रस्ताव है।

केंद्र सरकार बिजली कानून में संशोधन ला रही है (प्रतीकात्मक तस्वीर)
राजीव कुमार, जागरण, नई दिल्ली। दूसरों को मुफ्त में मिलने वाली बिजली की कीमत अब किसी अन्य उपभोक्ता को नहीं चुकाना होगा। अभी कई राज्यों में किसी खास वर्ग या एक सीमा तक बिजली खपत करने वाले उपभोक्ताओं से बिजली का बिल नहीं लिया जाता है, लेकिन कहीं न कहीं उस बिजली का बिल सब्सिडी के दायरे से बाहर लोगों से वसूला जाता है। अब ऐसा नहीं होगा।
केंद्र सरकार बिजली कानून में संशोधन ला रही है और इसके लिए ड्राफ्ट जारी कर दिया गया है। इस माह की नौ तारीख तक मसौदे पर राय दिए जा सकते हैं।मसौदे के मुताबिक अब आम उपभोक्ता को दी जाने वाली बिजली की कीमत कास्ट रिफ्लेक्टिव टैरिफ के आधार पर तय होगी। इसका मतलब हुआ कि बिजली वितरण कंपनी (डिस्काम) का किसी उपभोक्ता तक बिजली को पहुंचाने में जो वास्तविक खर्च होगा, सिर्फ उसे ही डिस्काम वसूल सकेगी। इसके ऊपर एक निश्चित मार्जिन (मुनाफा) भी कंपनी लेगी और वह मार्जिन राज्य का विद्युत नियामक प्राधिकरण तय करेगा।
विद्युत नियामक प्राधिकरण तय करता है कीमत
अभी जो बिजली की कीमत वसूली जाती है, उसे डिस्काम के प्रस्तावित अनुरोध पर राज्य का विद्युत नियामक प्राधिकरण तय करता है। डिस्काम के उस अनुरोध में यह स्पष्ट नहीं होता है इस प्रस्तावित कीमत में क्या-क्या शामिल है। राज्य सरकार की तरफ से किसान व एक खास वर्ग को मुफ्त में दी जाने वाली बिजली की सब्सिडी राशि कई बार डिस्काम को समय पर नहीं मिल पाती है या उसका बकाया रह जाता है।
ऐसे में डिस्काम मुफ्त वाली बिजली की कीमत की भरपाई भी अन्य उपभोक्ता से करना चाहती है। अब बिजली कानून के नए संशोधन के तहत राज्य किसी खास वर्ग या किसानों को मुफ्त में बिजली तो दे सकती है, लेकिन उस राशि का भुगतान राज्य सरकार को तय कीमत के आधार पर डिस्काम को पहले करना होगा। कई बार राज्य सरकार के दबाव में डिस्काम सालों बिजली की कीमत नहीं बढ़ा पाती है जिससे उनकी आपूर्ति लागत तो बढ़ती रहती है, लेकिन उनकी वसूली नहीं बढ़ पाती है।
एक डिस्काम का एकाधिकार नहीं होगा
ऐसे में, डिस्काम बिजली उत्पादक कंपनियों का भुगतान करने में देर करती है और बिजली सेक्टर का पूरा चक्र प्रभावित होता है। नए प्रस्तावित कानून में एक ही इलाके में कई डिस्काम होंगे। मतलब बिजली आपूर्ति पर किसी एक डिस्काम का एकाधिकार नहीं होगा। एक ही मोहल्ले में सरकारी और निजी दोनों प्रकार की डिस्काम बिजली की सप्लाई कर सकेंगी। इससे डिस्काम के बीच प्रतिस्पर्धा होगी और उपभोक्ता को गुणवत्ता वाली बिजली कम दाम पर मिल सकती है।
एक ही इलाके में कई डिस्काम को लाइसेंस दिए जाने का प्रस्ताव बिजली मंत्रालय में पिछली सरकार में बनाया गया था, लेकिन इस पर अब तक अमल नहीं हो सका। हालांकि बिजली संविधान के समवर्ती (कनकरंट) सूची में शामिल है, इसलिए राज्य सरकार इस पर अपना फैसला ले सकती है।
लेकिन केंद्र का कहना है कि राज्यों के साथ बातचीत करके संशोधन लाया जा रहा है। बिजली कानून संशोधन 2025 के तहत एक इलेक्टि्रसिटी काउंसिल बनाने का भी प्रस्ताव रखा गया है जिसमें राज्य व केंद्र दोनों के नुमाइंदे होंगे जो बिजली सेक्टर की बेहतरी के लिए साथ मिलकर काम करेंगे।

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