चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति समिति में बदलाव कैसे होगा? अखिलेश और कांग्रेस ने लोकसभा में उठाई मांग; दिया ये सुझाव
लोकसभा में चुनाव सुधारों पर बहस के दौरान, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए और ईवीएम की विश्वसनीयता पर चिंता व्यक्त क ...और पढ़ें
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव सुधार को लेकर लोकसभा में चल रही बहस में विपक्ष के आरोप ही नहीं सुझाव भी लगभग एक जैसे ही थे। लोकसभा में चुनाव सुधारों पर बहस की शुरूआत करते हुए कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण कर आयोग राज्यों में मतदाता सूची का विशेष सघन पुनरीक्षण एसआइआर करा रहा है।
इवीएम की विश्वसनीयता बहाल करने के लिए 100 प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों की गिनती करने या बैलेट पेपर से चुनाव कराने के विकल्प से लेकर चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के कानून में बदलाव जैसे सुझावों के साथ उन्होंने चुनाव के समय नगद बांटने की परिपाटी पर भी रोक की मांग उठाई।
बिहार में चुनाव के बीच खाते में नगदी बांटने का हवाला देते हुए कहा कि इसे न रोका गया तो सत्ता में रहने वाली पार्टी कभी चुनाव ही नहीं हारेगी। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट भी बार बार कह रहा है कि एसआइआर कराना चुनाव आयोग का अधिकार है लेकिन मनीष ने कहा कि संविधान और संसद से पारित कानूनों में एसआइआर का उल्लेख नहीं है।
आयोग को केवल इतना अधिकार है कि वह किसी चुनाव क्षेत्र की वोटर लिस्ट में कुछ गलत है तो उसकी पड़ताल कर ठीक कर सकता है। बाद में सपा नेता अखिलेश ने भी इसी सुर ईवीएम पर सवाल भी खड़ा किया, बैलेट से मतदान का सुझाव दिया और मनीष का समर्थन किया कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और एक कैबिनेट मंत्री के साथ साथ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और भारत के मुख्य न्यायाधीश को जोड़ा जाए।
मनीष ने कहा कि वह हेरफेर की बात वे नहीं कर रहे मगर चिंता है कि इवीएम में हेरफेर हो सकता है। इवीएम का सोर्स कोड किसके पास है, इसको लेकर सदन में उनके पूछे सवाल का कोई जवाब नहीं मिला। सोर्स कोड, मदर बोर्ड प्रोग्राम का नियंत्रण उसके पास है या इवीएम बनाने वाली कंपनियों के पास सरकार को यह पूछ कर हमें बताना चाहिए।
दोनों नेताओं ने कहा कि जापान तथा अमेरिका जैसे उन्नत देश बैलेट पेपर पर लौट आए हैं। बंगाल और तमिलनाडु समेत छह राज्यों में अगले साल होने वाले चुनाव को बैलेट पेपर से करा लेने में चुनाव आयोग को दिक्कत क्या है उससे तो चुनाव कराना है वह चाहे इवीएम से हो बैलेट पेपर से

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